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70 सालों से हम जातिवाद, धर्मवाद के जाल में फंसे हैं, अब तो राष्ट्रवाद की तरफ बढ़ें: हीरालाल त्रिवेदी

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सामान्य, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक कल्याण समाज संघ (सपाक्स) के संरक्षक एवं पूर्व आईएएस अधिकारी हीरालाल त्रिवेदी कहते हैं कि हम आजादी के इतने वर्षों के बाद भी जातिवाद, धर्मवाद, क्षेत्रवाद, संप्रदायवाद के जाल में ही फंसे हैं। अब समय है राष्ट्रवाद की तरफ बढ़ने का, लेकिन हमारे देश की राजनीति ने ऐसा मकड़जाल बिछा रखा है, जिसमें हर कोई उलझा हुआ है। हीरालाल त्रिवेदी कहते हैं कि राजनीति में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है, लेकिन कीचड़ को साफ करने के लिए कीचड़ में उतरना ही पड़ता है। पावर गैलरी ने उनसे कई मुद्दों पर चर्चा की। पेश है चर्चा के मुख्य अंश…

सपाक्स ने विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। चुनावी तैयारियों को किस तरह से अंजाम दे रहे हैं?


जबाव : देखिए, सपाक्स ने मध्यप्रदेश की सभी 230 विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ने की घोषणा की थी और हम अपनी घोषणा पर कायम भी रहेंगे। चुनावी तैयारियों से पहले सपाक्स की जिला इकाइयों का गठन किया गया है। लगभग सभी जिलों में सपाक्स संगठन की कार्यकारिणी बन गई है। कुछ जगह तेजी से काम भी चल रहा है। हमारे साथ सभी समाज के लोग आ रहे हैं। इसके बाद हम पॉलिटिकल पार्टी के रूप में काम शुरू करेंगे।

क्या सपाक्स को चुनाव आयोग ने राजनीतिक दल की मान्यता दे दी है?


जबाव : सपाक्स द्वारा चुनाव आयोग में पंजीयन प्रक्रिया का आवेदन दिया है, जो प्रक्रियाधीन है। अब हमने चुनाव आयोग में चुनाव-चिन्ह आंवटन का आवेदन भी दिया है। उम्मीद है कि चुनाव से पहले हमें मान्यता और चुनाव चिन्ह दोनों मिल मिल जाएंगे। इसके बाद सपाक्स चुनाव मैदान में उतरेगा।

सपाक्स किन मुद्दों को लेकर चुनाव मैदान में उतरेगा?


जबाव : मुख्य रूप से हमारे दो मुद्दे हैं- एक एट्रोसिटी एक्ट और दूसरा आरक्षण। एट्रोसिटी एक्ट में वर्तमान सरकार ने वर्ष 2016 में 22 ऐसे छोटे-मोटे अपराध जोड़ दिए हैं, जिससे लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित हो रही है। इसमें कई ऐसे छोटे-मोटे अपराध हैं जैसे, किसी जाति विशेष का नाम ले लेना, प्रताड़ित करना या अधिकारी कर्मचारी को नोटिस देता है तो कुछ विशेष शब्द बोल देने से अपराध बन जाते हैं और उसमें जमानत नहीं होती है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गाइड लाइन दी है। लेकिन अब उस कानून को ऐसे बना दिया है, जिससे इन छोटे-मोटे अपराध को करने वाले इस देश के सामान्य, अल्पसंख्यक, अन्य पिछड़ा वर्ग के लोग बड़े हिंसक हों, आतंकवादी हों। यदि वे किसी जाति विशेष का नाम ले भी लें तो उनको अंदर करना है। अब जब ऐसी सोच रखने वाले राजनीतिक दल और जनप्रतिनिधि हैं, तो हमारे पास कोई विकल्प भी नहीं है, इसलिए हम लोग चुनाव में जाएंगे इन मुद्दों को लेकर। इसी तरह आरक्षण का मुद्दा है। यदि एक बार किसी को आरक्षण मिल गया तो उसकी पीढिय़ां उस आरक्षण का लाभ लेती रहती हैं। वर्तमान में भी यही स्थिति है। एक व्यक्ति को दो-दो बार आरक्षण मिल रहा है। एक तो वह नौकरी में भी आरक्षण लेकर आ रहा है और फिर प्रमोशन भी उसको आरक्षण का लाभ मिल रहा है। मध्यप्रदेश में तो यह स्थिति हो गई है कि जन्म से लेकर मरने तक लोगों को आरक्षण का लाभ मिल रहा है। सरकार ने सभी जातियों को अलग-अलग खंडों में बांट दिया है।

क्या आपको लगता है कि हिन्दू ही हिन्दू का दुश्मन बन रहा है?


जबाव : बिल्कुल सरकारों ने सभी जातियों को आपस में लड़वाने का काम किया है। यही कारण है कि हम लोग एक-दूसरे के दुश्मन बन रहे हैं। स्थिति यह है कि यदि कोई व्यक्ति सामान्य, ओबीसी या अल्पसंख्यक है तो उसको इतने पैसे मिलेंगे और यदि कोई व्यक्ति आरक्षित वर्ग का है तो उसको इतने पैसे मिलेंगे। हमारे यहां पर भाजपा यह दावा करती है वह हिन्दूवादी पार्टी है, कांगेस का दावा है कि वह अल्पसंख्यक और आरक्षित वर्ग के साथ है, बसपा केवल आरक्षित वर्ग की बात करती है। हम हर वर्ग की बात करते हैं। हम समाज में सदभाव लाने की बात करते हैं। जब हमारे संविधान में लिखा है कि जाति, धर्म, लिंग, संप्रदायवाद, भाषा, क्षेत्रवाद इनमें कहीं भेद नहीं करना चाहिए तो यह भेदभाव क्यों किया जा रहा है, इसे नहीं होना चाहिए। कानून, नियम ऐसे बनाओ कि यह भेद उसमें क्रिएट ही न हो, लोगों के मन में ऐसी भावनाएं ही नहीं पनपे। सरकार खुद कानून और नियम बनाकर भावनाएं पनपा रही है तो समाज कहां जाएगा।


क्या अब देश और प्रदेश में एक देश-एक आरक्षण की बात नहीं होनी चाहिए?


जबाव : बिल्कुल होनी चाहिए। यदि आरक्षण आर्थिक आधार पर लागू हो जाए तो यह व्यवस्था हो सकती है।

आपने लंबा समय प्रशासनिक सेवा में भी बिताया है और अब राजनीतिक की तरफ बढ़े हैं?


जबाव : देखिए, हमने तो कुछ मुद्दों को लेकर एक सामाजिक संगठन खड़ा किया है। हमारी राजनीति में कोई रूचि नहीं है, राजनीति में जाने में भी कोई रूचि नहीं है। लेकिन हो यह गया कि कीचड़ को साफ करने के लिए कीचड़ में उतरना होगा, गंदी नाली को साफ करना है तो गंदी नाली में उतरना पड़ेगा। हमारी राजनीति में आजकल झूठ बोलना अफवाहे फैलाना, भाई को भाई से लड़ाना, जाति के आधार पर लड़ाना, धर्म के आधार पर लड़ाना। यही सब हो रहा है। मुद्दों को लेकर कोई काम नहीं कर रहा है, लेकिन हम मुद्दों को लेकर राजनीतिक करना चाहते हैं। हम अच्छे लोगों को राजनीति में लाना चाहते हैं और यह चाहते हैं कि जो लोग आए कम से कम वे इन चीजों से ऊपर उठें।

इस समय सवर्ण समाज सरकार का विरोध कर रहा है। क्या यह विरोध जायज है?


जबाव : देखिए, सपाक्स कोई विरोध नहीं कर रहा है। यह विरोध तो स्वत: ही हो रहा है। किसी भी जाति का नाम लेना या आप ऐसे कोई शब्द बोल दो जो गांधीजी ने दिए थे, ऐसे कैसे कानून बना सकते हो, ऐसे कैसे ऊपर से थोप सकते हो। आरक्षित समाज के किसी भी व्यक्ति ने 2016 में यह मांग नहीं कि हमें ऐसे कानून चाहिए। जनता के पास से ऐसी कोई मांग नहीं आई। केवल रामविलास पासवान और उनकी पार्टी, उनके सुझाव उसके हिसाब से कानून बन जाता है, नियम बन जाता है और देश एक तरफ रह जाता है।

देश में जातिवाद, धर्मवाद हावी है, लेकिन राष्ट्रवाद को सब भूल रहे हैं, क्यों?


जबाव : इस देश के लोग आजादी के इतने वर्षों के बाद भी जातिवाद, धर्मवाद, क्षेत्रवाद, संप्रदायवाद से आगे नहीं निकल पा रहे हैं। यदि वाकई में देश का विकास करना है तो हमें राष्ट्रवाद पर आगे बढ़ना पड़ेगा। इस हिन्दुस्तान का एक ही धर्म है राष्ट्रीय धर्म, एक ही जाति रखना पड़ेगी राष्ट्रीय जाति। यदि सरकार जितने नियम-कानून जाति के आधार पर बने हैं उन सबको हटा दे तो लोग अपने आप जाति धर्म को भूल जाएंगे। लोग अपने घरों में कुछ भी करे, लेकिन घर से बाहर लोगों के दिमाग में जातिवाद, धर्मवाद, क्षेत्रवाद नहीं रहेगा। यदि आप इस जाति और इस धर्म की लड़ाई को कानून और नियम से हटा दें। लोगों से मेरा अनुरोध है कि एक बार ऐसे लोगों को ठुकराकर दिखाएं जो 68 साल से ऐसी राजनीति कर रहे हैं। एक बार ऐसे लोगों को लेकर आए कि जो इस जातिवाद को खत्म करके इस देश को राष्ट्रवाद की तरफ लेकर जाएं। यदि एक बार जनता ने ऐसे लोगों को सपोर्ट कर दिया तो इस देश की तस्वीर बदल जाएगी।

क्या आपको लगता है कि मध्यप्रदेश में अजाक्स इस स्थिति में है कि वह बदलाव कर सके?


जबाव : देखिए मध्यप्रदेश ही नहीं अब अजाक्स का दायरा मध्यप्रदेश से बाहर भी बढ़ रहा है। हमने इतने कम समय में एक बड़ा बदलाव किया है तो निश्चित रूप से हम मध्यप्रदेश में बदलाव ला सकते हैं। हमारी भावनाएं, हमारे लक्ष्य सिर्फ जातिवाद तक आकर नहीं सिमटे हैं, हमारी सोच सभी लोगों के विकास और सभी लोगों को संरक्षण देने की है। हमारा उद्देश्य संपूर्ण मध्यप्रदेश और मध्यप्रदेश में रहने वाले हरएक नागरिक का है। आज की राजनीति जातिवाद पर आधारित हो गई है, लेकिन इस जातिवाद से बाहर आकर भी राजनीति करने वालों को सोचना चाहिए। देश, प्रदेश का यह माहौल हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहद निराशाजनक साबित होगा। 

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