नोबेल पुरस्कार शांति के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम करने के लिए दिया जाता है। इस साल यानि 2018 का शांति का नोबेल पुरस्कार डेनिस मुकवेज और नादिया मुराद को संयुक्त रूप से दिया जाएगा। दोनों को युद्ध के दौरान होने वाले यौन हिंसा की रोकथाम के प्रयास के लिए यह अवॉर्ड दिया जाएगा। पाकिस्तान की मलाला युसूफजई के बाद मुराद दूसरी सबसे कम उम्र की नोबेल पुरस्कार विजेता हैं। मलाला को साल 2014 में जब शांति का नोबेल मिला था तब उनकी उम्र 17 साल थी। वहीं मुराद की उम्र 25 साल है।
सखारोव मानवाधिकार पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुकी है मुराद
अगस्त 2014 में मुराद को पूरे परिवार के साथ आईएसआईएस आतंकियों ने किडनैप कर लिया था। इस दौरान इराक में आईएसआइएस के आतंकी लगातार लोगों की हत्या कर रहे थे और महिलाओं का रेप कर रहे थे। मुराद को 2016 में सम्मानीय सखारोव मानवाधिकार पुरस्कार से नवाजा गया था।
मुक्वेग यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं के जीवन को सुधारने का करते है काम
दूसरी तरफ गायनेक्लोजिस्ट मुक्वेग पिछले 10 सालों से हर बार शांति पुरस्कार विजेता के लिए शॉर्टलिस्ट हो रहे थे। मुकवेज लंबे समय से यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं के जीवन को सुधारने के लिए काम करते आ रहे हैं। 2011 में अपने एक लेख में मुकवेज ने ईस्ट कोंगो को दुनिया का रेप कैपिटल कहा था और धरती पर महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक जगह बताई थी।
रॉयल स्वीडिश अकेडमी ऑफ साइंसेज करती है नोबेल शांति पुरस्कार देने का निर्णय
नोबेल शांति पुरस्कार किसे दिया जाए, इसका निर्णय रॉयल स्वीडिश अकेडमी ऑफ साइंसेज करती है। इसके तहत 10.1 लाख अमेरिकी डॉलर की पुरस्कार राशि दी जाती है। शांति पुरस्कार ज्यादा से ज्यादा तीन लोगों के बीच साझा की जा सकती है।
