वीजिंग में होने वाले ओबीओआर मसले पर भारत ने चीन की आपत्तियों को अनदेखा कर पाकिस्तान में अपनी आर्थिक गतिविधियों को विस्तार देने पर आमादा है। यद्यपि चीन ने चीन-पाक ई-कारिडोर पर भारत की चिंताओं को दूर करने की कोशिश करते हुए सफाई दी है कि इसका कश्मीर मामले से हकोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं है और वन बेल्ट वन रोड परियोजना में शामिल होने के लिए भारत का स्वागत है।
सम्मेलन 14-15 मई को है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने यहां होने वाले ह्यवन बेल्ट वन रोडह्ण :ओबीओआर: शिखर सम्मेलन के संबंध में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा,कोई भारतीय नेता यहां नहीं होंगे लेकिन ओबीओआर शिखर सम्मेलन में ह्यह्यभारत का एक प्रतिनिधिह्णह्ण होगा? वांग ने कहा कि, ह्यह्यहम शिखर सम्मेलन में वार्ता में शामिल होने के लिए भारतीय प्रतिनिधि और भारतीय व्यापारिक एवं वित्तीय समुदाय के सदस्यों का स्वागत करते हैं।ह्णह्णउन्होंने बताया इस शिखर सम्मेलन में 28 राष्ट्रपतियों एवं प्रधानमंत्रियों के भाग लेने की संभावना है। वांग ने सफाई देते हुए कहा कि 46 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का मकसद आर्थिक एवं विकास है।ह्यह्यइसका राजनीति और सीमा विवाद से कोई सीधा संबंध नहीं है। सीपीईसी के कुछ वगार्ें ने भारतीय पक्ष की ओर से चिंताएं व्यक्त की हैं।ह्णह्णचीन कई वषार्ें से इन क्षेत्रों में पाकिस्तान को मदद मुहैया करा रहा है। भारत ने ओबीओआर पर आपत्तियां जताई हैं क्योंकि सीपीईसी इसका हिस्सा है और यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है। कश्मीर विवाद पर चीन के विदेश मंत्री ने कहा, ह्यह्यजहां तक इस विवाद की बात है, हमारे रख में कोई बदलाव नहीं आया है। इसके अलावा सीपीईसी का निश्चित क्षेत्रों में विवाद से कोई संबंध नहीं है। उन्होने कहा यदि भारत ओबीओआर में शामिल होना चाहता है तो ऐसा करने के कई माध्यम एवं तरीके हैं।ह्णह्ण उन्होंने कहा कि चीन ने बांग्लादेश, चीन, भारत, म्यांमा (बीसीआईएम) में भारत की भागीदारी पर ध्यान दिया है।