शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने केन्द्र सरकार द्वारा पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के दौरान दो सिख उम्मीदवार वकीलों को उच्चतम न्यायालय की सिफारिशों से बाहर करने की कड़ी निंदा की है।
कमेटी के अध्यक्ष ने इसे सिखों के साथ भेदभाव करार देते हुये कहा कि केंद्र सरकार को तुरंत दोनों सिखों की न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति करनी चाहिये। उन्होंने कहा कि इस मामले पर उच्चतम न्यायालय की सख्त टिप्पणी केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा करती है।
धामी ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि वह स्पष्ट करे कि किस नीति के तहत वरिष्ठ सिख वकीलों को उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनाने से बाहर रखा गया है, जबकि शेष पांच में से तीन को नियुक्त किया गया है। उन्होंने कहा कि सिखों ने हमेशा नेता बनकर देश के लिये योगदान दिया है, लेकिन अक्सर उनके अधिकारों को दबाये जाने की खबरें आती रहती हैं।
देश में पहले से ही सिख अल्पसंख्यक हैं और अगर उनके प्रति भेदभावपूर्ण रवैया सरकार की नीति बन जाये तो इससे बड़ा अन्याय कुछ नहीं हो सकता। उन्होंने दो सिख वकीलों को न्यायाधीश के रूप में नियुक्त नहीं करने के लिये केंद्र सरकार से सवाल पूछने के लिये उच्चतम न्यायालय की भी सराहना की।
शिरोमणि अध्यक्ष ने कहा कि केंद्र सरकार को यह कभी नहीं भूलना चाहिये कि विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालयों में सिख न्यायाधीशों की नियुक्ति को प्राथमिकता दी जानी चाहिये, क्योंकि इन दोनों राज्यों में सिखों की संख्या देश के बाकी हिस्सों की तुलना में अधिक है। अगर पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में सिख न्यायाधीश काम करेंगे तो इस क्षेत्र और लोगों के मुद्दे अच्छे तरीके से सरल हो जाएंगे। उन्होंने केंद्र सरकार से न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिये उच्चतम न्यायालय की सिफारिशों को सख्ती से लागू करने की अपील की।
Also Read: सामने आयी सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों की तस्वीर
