विधायिका में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रावधानों वाला 128वां संविधान संशोधन विधेयक, 2023 लोकसभा में मंगलवार को पेश किया गया।
विधि एवं न्याय मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने नारी शक्ति वंदन विधेयक पेश करते हुए कहा कि संसद के नव निर्मित भवन में पहले दिन की कार्यवाही के ऐतिहासक दिन को यह विधेयक प्रस्तुत किया जा रहा है।
उन्होेंने कहा कि इस विधेयक के कानून बन जाने के बाद महिलाओं को लोकसभा और विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त होगा और आरक्षण के बाद लोकसभा में महिलाओं की संख्या बढ़कर कम से कम 181 हो जायेगी। सदन में अभी 82 महिला सदस्य हैं ।
उन्होंने कहा कि विधेयक 33 प्रतिशत महिला आरक्षण में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण का भी प्रावधान होगा।
श्री मेघवाल ने कहा कि विधेयक के प्रावधान के अनुसार महिलाओं के लिए लोकसभा और विधानसभाओं में 15 वर्ष तक आरक्षण रहेगा। इसके बाद तत्कालीन सरकार चाहेगी तो इसकी अवधि बढ़ाने के लिए संसद में विधेयक फिर लायेगी।
इस कानून का नाम नारी शक्ति वंदन विधेयक होगा।
श्री मेघवाल जैसे ही विधेयक पेश करने के लिए खड़े हुए, विपक्षी सदस्यों ने इसे आज की कार्य सूची में न होने का मुद्दा उठाते हुए शोरगुल करने लगे। इस पर संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि पूरक कार्यसूची लोकसभा की साइट पर पहले ही अपलोड कर दी गयी थी।
इससे पहले सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने अपना वक्तव्य रखते हुए दावा किया था कि महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका था। इसका सत्ता पक्ष के सदस्यों ने विरोध करते हुए कहा कि श्री चौधरी का बयान तथ्यात्मक रूप से गलत है।
गृह मंत्री अमित शाह ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि यदि श्री चौधरी का वक्तव्य सही तो वह इसके दस्तावेज प्रस्तुत करें।
इसके बाद श्री मेघवाल ने विधेयक प्रस्तुत करते हुए कहा कि महिला आरक्षण विधेयक 15 वीं लोकसभा में पेश किया गया था लेकिन पारित न होने से 15 वीं लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होते ही वह विधेयक लैप्स हो गया था।
Also Read: महिला आरक्षण को महबूबा मुफ्ती ने ‘महान कदम’ बताया
