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उदयाचल सूर्य को अर्घ्य के साथ संपन्न हुआ छठ व्रत

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संतान की सुख-समृद्धि एवं दीर्घायु को लेकर चार दिवसीय छठ महापर्व साेमवार को संगम तट पर उदयाचल सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हो गया।

प्रयागराज,जौनपुर,वाराणसी,बस्ती,गोरखपुर,देवरिया और लखनऊ समेत समूचे उत्तर प्रदेश मे लोकआस्था के महापर्व छठ के चौथे दिन सप्तमी के उदयाचल सूर्य को अर्घ्य देने के लिए श्रद्धालु नदियों,पोखरों और तालाबों के किनारे उमड़ पड़े। महिलाओं ने परिवार के साथ वेदियों पर छठी मैया को धूप, दीप, नैवेध, फल, शाक सहित अन्य सामग्री अर्पित की। उदयाचल सूर्य के साथ व्रती महिलाएं जल में खड़े होकर अर्घ्य देने का सिलसिला शुरू किया। भगवान भास्कर से संतान प्राप्ति, समृद्धि सहित सुहाग की सलामती की दुआ की। अर्घ्य देने और पूजा करने के बाद प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे का छठ मइया का निर्जला व्रत पूरा किया।

बिहार से शुरू हुई छठ पूजा आज पूरे भारत की पहचान है। प्रयागराज से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार गंगा,यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर प्रात:काल से व्रत करने वाली महिलाएं सूर्य भगवान के उदय होने की प्रतीक्षा कर रही थी। आस्था के पर्व छठ पूजा के चार दिनों के कठोर व्रत परायण का पारंपरिक रीति रिवाज के साथ तीन दिनों तक व्रती महिलाओं ने छठ मइया का पूजन किया। चौथे दिन उन्होंने उगते सूर्य को आखिरी अर्घ्य देकर परिवार की सुख-समृद्धि की मनोकामना की। संगम तट पर कुछ विदेशियों को भी छठ पूजा में महिलाओं के अर्घ्य देने की फोटो के लिए उनको देखा गया।

मान्यता है कि छठी व्रत रखने वाली महिलाओं को छठी मैया संतान प्राप्ति का वरदान देती हैं और संतानवान व्रतियों को संतान के कल्याण का आशीर्वाद देती हैं।

यह पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में। चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाये जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ और कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाये जाने वाले पर्व को कार्तिकी छठ कहा जाता है। पारिवारिक सुख-समृद्धी तथा मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए यह पर्व मनाया जाता है। स्त्री और पुरुष समान रूप से इस पर्व को मनाते हैं।

जल पुलिस प्रभारी जनार्दन प्रसाद साहनी ने बताया कि छठ पूजा पानी में खड़े होकर की जाती है। ऐसे में पानी में तेज बहाव से बहने एवं हादसे की संभावना भी रहती है। इसके लिए प्रशासन की ओर से विशेष प्रबंध किए थे। सुरक्षा के लिए जल पुलिस गोताखोर व पीएसी की टीम रात भर तैनात रही। प्रात:काल से टीम के सदस्यों ने पानी में बोट एवं किश्तियां लेकर चक्कर लगाने शुरू कर दिए थे। उन्होंने बताया कि उनकी टीम के सदस्य लोगों को गहरे पानी में जाने से रोक रही थी, ताकि किसी प्रकार की अनहोनी होने से बचा जा सके। इस दौरान लोगों ने भी उनका सहयोग किया और हर्षोल्लास का पर्व बिना अनहोनी के संपन्न हुआ।

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