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मंत्रिमंडल विस्तार में शिवराज को क्यों करना पड़ रहा है विषपान

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लंबी कवायद और सियासत के बाद शिवराज सिंह चौहान को अपने मंत्रिमंडल के विस्तार में विषपान करना पड़ रहा है। मंत्रिमंडल के विस्तार में शिवराज सिंह चौहान को सबसे ज्यादा दिक्कत उन वादों के कारण हुई,जो उन्होंने सत्ता हासिल करने के लिए निर्दलीय और कांगे्रस के विधायकों से समर्थन हासिल करने के लिए किए थे। सुरेन्द्र सिंह शेरा,रणवीर जाटव,बिसाहूलाल सिंह और ऐंदल सिंह कंसाना का नाम इस विवाद में प्रमुख रूप से उभर कर सामने आए हैं।

सिंधिया के नामों पर कोई विवाद नहीं

शिवराज सिंह चौहान से बुधवार को पत्रकारों ने यह सवाल किया कि मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चल रहे मंथन में क्या निकला? शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मंथन में हमेशा ही अमृत निकलता है,विष तो शिव पी जाते हैं? इस जवाब के साथ ही शिवराज सिंह चौहान के चेहरे पर मुस्कान भी फैली दिखाई दी। लगता है कि कुछ नामों को लेकर शिवराज सिंह चौहान का रवैया भी लचीला हुआ,इस कारण ही मंत्रिमंडल विस्तार की राह भी खुल गई।

पार्टी के भीतर मिलने लगी शिवराज को चुनौती

सूत्रों का दावा है कि मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने वाले नामों को लेकर सबसे ज्यादा अडंगेबाजी शिवराज सिंह चौहान के विरोधियों की ओर से ही की गई। ज्योतिरादित्य सिंधिया के नामों को लेकर कोई संशय की स्थिति न तो शिवराज सिंहचौहान के सामने थी और न ही केन्द्रीय नेतृत्व के सामने। सिंधिया ने सोमवार को ही शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात में अपनी मत स्पष्ट कर दिया था। यद्यपि विवाद ग्वालियर-चंबल अंचल के नेताओं की ओर से ही खड़ा करने की कोशिश की गई थी।

कमलनाथ सरकार के पतन के वक्त भारतीय जनता पार्टी के जो नेता अतिसक्रिय दिखाई दे रहे थे,उनमें नरोत्तम मिश्रा और अरविंद भदौरिया भी थे। भूपेन्द्र सिंह भी मुख्य भूमिका में दिखाई दिए। जाहिर है कि सभी मंत्री पद और महत्वपूर्ण विभाग के मजबूत दावेदार हैं। नरोत्त्म मिश्रा मंत्रिमंडल में अपना समर्थन भी बढ़ाने की कवायद कर रहे हैं। गोहद से कांगे्रस विधायक रहे रणवीर जाटव को मंत्री बनाए जाने का दबाव नरोत्तम मिश्रा और अरविंद भदौरिया की ओर से बताया जाता है। रणवीर जाटव सरकार गिराने की उस कहानी का हिस्सा हैं,जो मूर्त रूप नहीं ले सकी थी। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने जिसका खुलासा चार मार्च को किया था।

नरोत्तम मिश्रा और अरविंद भदौरिया की जुगलबंदी?

बताया जाता है कि सिंधिया यदि भाजपा में शामिल नहीं होते तो भी रणवीर जाटव कांगे्रस छोड़ने का मन बना चुके थे। नरोत्तम मिश्रा और अरविंद भदौरिया की भूमिका इसमें अहम थी। ऐंदल सिंह कंसाना और बिसाहू लाल सिंह भी इसी कहानी का हिस्सा थे। आपरेशन फेल हो जाने के बाद केन्द्रीय नेतृत्व को मजबूरी में ज्योतिरादित्य सिंधिया को सामने लाना पड़ा था। भूपेन्द्र सिंह और अरविंद भदौरया ने मंगलवार की शाम भाजपा कार्यालय में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पार्टी अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा से मुलाकात कर अपना पक्ष रखा था। बताया जाता है कि भदौरिया,रणवीर जाटव को मंत्री बनाए जाने की स्थिति में अपनी दावेदारी छोड़ने को तैयार हो सकते हैं।

निर्दलीय विधायकों ने बढ़ाई मुश्किल

कमलनाथ की सरकार गिर जाने के बाद निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल पाला बदलकर भाजपा के पक्ष में आ गए । शिवराज सिंह चौहान से मिलकर समर्थन देने का वादा भी उन्होंने किया। बदले में शिवराज सिंह चौहान ने हितों का संरक्षण करने का भरोसा दिलाया था। अब वादा पूरा करने की घड़ी है। प्रदीप जायसवाल,कमलनाथ मंत्रिमंडल में खनिज मंत्री थे। माना यह जा रहा है कि जायसवाल को मंत्री बनाए जाने का विरोध भी है। सुरेन्द्र सिंह शेरा को मंत्री बनाए जाने की इच्छा खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रखते हैं। बुरहानपुर की राजनीति इसकी महत्वपूर्ण वजह है। सांसद नंदकुमार चौहान,अपनी विरोधी अर्चना चिटनीस के बराबरा शेरा को खड़ा करना चाहते हैँ।

बिसाहू ,ऐंदल सिंह भी कर रहे संदेश का इंतजार

रामबाई राजेश शुक्ला और संजीव कुशवाह को भी पार्टी संख्या बल के लिहाज से अपने साथ रखना चाहती है। इन विधायकों ने अपने-अपने दल से इस्तीफा नहीं दिया है। इस कारण ये मंत्री बनेंगे,संभावना कम ही दिखाई देती है। यदि निर्दलीय विधायकों को मंत्री बनाया जाता है तो भाजपा के कई विधायक मंत्री बनने से चूक जाएंगे। बिसाहू लाल सिंह और ऐंदल सिंह कंसाना के कारण भी मंत्रिमंडल विस्तार को अंतिम रूप देने में समय लगा। ये दोनों नेता शिवराज सिंह चौहान के वचन पर कांगे्रस छोड़कर भाजपा में आए हैं। कंसाना उप चुनाव चुनाव जीतने के लिए मंत्री बनना जरूरी मान रहे हैं। कंसाना के नाम पर केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की सहमति नहीं है।

प्रहलाद पटेल भाई के लिए मार रहे हैं जोर

केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल राज्य की राजनीतिक स्थितियों को भांपकर अपने भाई जालम सिंह पटेल की दावेदारी को मजूबत करने के लिए सक्रिय हुए हैं। जालम सिंह,शिवराज सिंह चौहान के पिछले मंत्रिमंडल में थे। प्रहलाद पटेल की ज्योतिरादित्य सिंधिया से हुई मुलाकात को मंत्रिमंडल विस्तार से जोड़कर देखा जा रहा है। पार्टी लोधी वोटों को साधने के लिए जालम सिंह पटेल को मंत्रिमंडल में जगह दे सकती है।

दलित-ब्राह्ण वोट साधने की चुनौती

विधानसभा के आम चुनाव में पार्टी की हार को लेकर हुई समीक्षा में यह बात उभर सामने आई थी कि यदि शिवराज सिंह चौहान प्रमोशन में रिजर्वेशन को लेकर माई का लाल का बयान न देते तो ग्वालियर-चंबल अंचल के नतीजे अलग होते। अब विधानसभा के उप चुनाव भी इसी अंचल में सबसे ज्यादा हैं। माई का लाल लोगों को आज भी याद हैं। कांगे्रस से इस्तीफा देने वाले विधायकों से दलित वर्ग नाराज है। ब्राह्ण वोटर भी दिल से भाजपा के साथ नहीं आया है। पार्टी मंत्रिमंडल विस्तार में दलित और ब्राह्ण को साधने पर विशेष ध्यान दे रही है। इमरती देवी के अलावा अनुसूचित जाति वर्ग के अन्य चेहरे भी मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं। गोपीलाल जाटव को लेकर भी असमंजस है।

कमलनाथ बोले रोज करना होगा विषपान

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विषपन किए जाने के बयान पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने चुटकी लेते हुए कहा कि मंथन इतना लंबा हो गया कि अमृत तो निकला ही नहीं । सिर्फ बिष ही विष निकला है। कमलनाथ ने अपने ट्वीट में लिखा कि अमृत के लिए अब तरसना ही तरसना पड़ेगा। उन्होंने लिखा कि क्योंकि अब रोज ही मंथन करना पड़ेगा।

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