सोशल मीडिया की सूचनाएं कितनी भरोसेमंद होती हैं, ये किसी से छुपा नहीं है। अफवाहों, भ्रम और झूठ के लिए ये बदनाम ये प्लेटफार्म अब मात्र मनोरंजन का साधन बनकर रह गया है। हैरानी है कि खबरों के लिए सूचनाओं को तौलने में माहिर मीडिया अब भी इससे धोखा खा जाता है। मीडिया की शर्मिंदगी का ताजा मामला है शिवपुरी का 24 वर्षीय युवक रामेश्वर गुर्जर, जिसने 11 सेकेंड में 100 मीटर दौड़ पूरी करने का दावा करने वाला अपना वीडियो वायरल किया था।
आखिरी नंबर पर रहा रामेश्वर
भोपाल में हुए ट्रायल में वह सात धावकों के साथ दौड़ में सबसे अंतिम स्थान पर रहा। इसमें शामिल एक लड़की से भी पीछे छूट गया। आज सुबह हुई 100 मीटर की रेस में आयुष तिवारी ने 10.9, एम्मानुअल पॉल ने 11.1, नीरज नागदेव ने 11.3, रोहन बावरिया ने 11.6, दुर्गेश रावत ने 12.1, पायल यादव ने 12.8 और रामेश्वर गुर्जर ने 12.9 सेकेंड में दौड़ पूरी की। रामेश्वर अपने दावे से करीब 2 सेकेंड पीछे रह गए। इसमें कोई शक नहीं कि रामेश्वर में प्रतिभा है और उन्हें जिस मौके का इंतजार था, उन्हें दिया गया, लेकिन वह उस स्तर पर प्रदर्शन नहीं कर सके, जैसी मीडिया ने हाय-तौबा मचा रखी थी।
ऐसा कर मीडिया ने रामेश्वर के साथ भी अन्याय किया। बतौर ग्रामीण प्रतिभा वह जिस सम्मान के हकदार हैं, मीडिया ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पिछड़े एथलीट का तमगा दे दिया। यदि मीडिया शोर-शराबा मचाने और प्रदेश के खेल मंत्री का सवाल से घेरने से पहले एक बार रामेश्वर की क्षमताओं का परीक्षण अपने स्तर पर कर लेती तो आज रामेश्वर की छवि कुछ और होती। वह ग्रामीण परिवेश से आने वाले एथलेटिक्स प्रतिभाओं का रोल मॉडल बन सकते थे।
रामेश्वर की हार से निशाने पर आया मीडिया
खबरों की मारा-मारी और मीडिया हाउसों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा ने उनके पत्रकारों को भी इस कदर असुरक्षित कर रखा है कि वे सूचनाओं और खबरों के बीच के गंभीर अंतराल को समझ नहीं पा रहे या शायद समझना नहीं चाहते। ये स्थितियां रामेश्वर जैसी प्रतिभाओं, खबरों के लिए मीडिया पर भरोसा रखने वाले समाज और खुद मीडिया के लिए ठीक नहीं हैं। हालांकि रामेश्वर सिर्फ पिछड़ा है, हार तो मीडिया के भरोसे की हुई है। क्या सोशल मीडिया की तरह मीडिया भी सहज भरोसे के लायक नहीं है।
मीडिया ने उसके वीडियो देखते हुए मप्र ही नहीं, पूरे देश को नया उसेन बोल्ट (दुनिया का सबसे तेज धावक) देने का अघोषित वादा कर दिया था। अब इस हड़बड़ाई मीडिया के पास क्या जवाब है? कहां है उनका भावी बोल्ट? अगली बार खबरों पर कितना भरोसा रखें? क्या मान लें कि मीडिया भी सूचनाओं को ठोकने-बजाने की जहमत नहीं उठाता? इस गैर जिम्मेदाराना हरकत के लिए जिम्मेदार कौन है?
लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं पावर गैलरी पत्रिका के मुख्य संपादक है. संपर्क- 9425014193