प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में ‘पुनरुत्थान के लिए शिक्षा पर अकेडमिक नेतृत्व’ विषय पर आयोजित सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस मौके पर पीएम मोदी ने देश के विकास के लिए शिक्षा के विकास पर जोर दिया। शिक्षा के बुनियादी ढांचे में सुधार पर सरकार की योजनाओं को भी पीएम मोदी ने अपने संबोधन में बताया। पीएम ने सम्मेलन को संबोधत करते हुए कहा कि हमारे प्राचीन नालंदा, विक्रमशिला और तक्षशिला जैसे यूनिवर्सिटी ने ज्ञान और नवाचार दोनों को एक समान महत्व दिया था।
अटल टिंकरिंग लैब की हुई शुरुआत
मोदी ने कहा, मेरा आग्रह है कि विद्यार्थियों को कालेज, यूनिवर्सिटी के क्लास रुम में तो ज्ञान दें हीं, लेकिन उन्हें देश की आकांक्षाओं से भी जोड़े। उन्होंने कहा, इसी मार्ग पर चलते हुए केंद्र सरकार की भी यही कोशिश है कि हम हर स्तर पर देश की आवश्यकताओं में शिक्षण संस्थानों को भागीदार बनाएं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस सोच के साथ सरकार ने अटल टिंकरिंग लैब की शुरुआत की है। इसमें स्कूली बच्चों में नवोन्मेष की प्रवृत्ति बढ़ाने पर ध्यान दिया जा रहा है। 2000 से ज्यादा स्कूलों में इसकी शुरुआत हो चुकी है और अगले कुछ महीनों में इसकी संख्या 5 हजार करने की योजना हैं। पीएम ने आगे कहा कि बच्चों पर जबरदस्ती कुछ भी थोपा न जाए।
शिक्षा के क्षेत्र में 2022 तक 1 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का सरकार का इरादा
मोदी ने कहा कि सरकार शिक्षा जगत में निवेश पर भी ध्यान दे रही है। शिक्षा का आधारभूत ढांचे को बेहतर बनाने के लिए राइज यानी रिवाइटलाइजेशन आफ इंफ्रास्ट्रक्चर इन एजुकेशन कार्यक्रम शुरु किया गया है। उन्होंने कहा, सरकार ने वर्ष 2022 तक एक लाख करोड़ रुपए खर्च करने का लक्ष्य रखा है। शिक्षा के क्षेत्र में अपनी सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने हेफा यानी उच्चतर शिक्षा वित्त पोषण एजेंसी की स्थापना भी की है जो उच्च शिक्षण संस्थाओं के गठन में आर्थिक सहायता मुहैया कराएगी।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि मुझे खुशी तब होगी जब मेरे यहां से निकला हुआ टीचर 50 वैज्ञानिक पैदा करेगा। यह तब होगा जब शिक्षा का विस्तार क्लासरूम की चौखट से बाहर हो। समाज की तस्वीर से छात्रों का परिचय जरूरी है।
