भारतीय राजनीति में सुशासन बाबू कहे जाने वाले नीतीश कुमार ने संकट के दौर में लालू प्रसाद यादव का साथ छोड़ दिया। मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद नीतीश कुमार ने पत्रकारों से कहा लालू प्रसाद ने कहा था कि मैं संकट में हूं, आप मदद कीजिए। नीतीश कुमार ने पत्रकारों से कहा कि संकट खुद लालू प्रसाद यादव ने बुलाया है। नीतिश कुमार ने कहा कि मैने बीस माह सरकार चलाई। आगे सरकार चलाना मुश्किल हो रहा था, इस कारण इस्तीफा दे दिया। राज्यपाल ने नीतीश कुमार का इस्तीफा स्वीकार कर लिया। जनता दल (युनाइटेड) के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने कहा कि जितना संभव हो सका, उन्होंने गठबंधन धर्म का पालन करने की कोशिश की, लेकिन बीते घटनाक्रम में कई महीनों से महागठबंधन में विवाद चल रहा था। नीतीश के इस्तीफे के साथ ही बिहार की 20 महीने पुरानी महागठबंधन की सरकार गिर गई। महागठबंधन में नीतीश की पार्टी जनता दल (युनाइटेड) के अलावा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस शामिल थीं।
मोदी ने दी बधाई: भाजपा समर्थन देने को तैयार
बिहार में तेजी से राजनीतिक घटनाक्रम बदल रहा है। नीतीश कुमार के इस्तीफे की खबर सामने आते ही भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह से सक्रिय हो गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट कर नीतीश कुमार को इस्तीफा देने के लिए बधाई। प्रधानमंत्री की बधाई से यह स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि नीतीश कुमार से उनके चार साल पुराने मतभेद पूरी तरह से समाप्त हो गए हैं। नीतीश कुमार भी विपक्ष की राजनीति छोड़कर केन्द्र की सत्ताधारी दल भाजपा के साथ मिलकर बिहार की सरकार चलाना चाहते हैं। भाजपा के समर्थन से सरकार चलाने की संभावना से भी नीतीश कुमार ने इंकार नहीं किया है। नीतीश कुमार ने महागठबंधन टूट जाने पर कहा कि उन्होंने कहा, “ऐसी बातें उठती रहीं कि गठबंधन बना रहे, विपक्ष की एकता बनी रहे। मैं तो हमेश विपक्ष की एकता के पक्ष में रहा, लेकिन कैसी विपक्षी एकता। विपक्ष का एक एजेंडा होना चाहिए।”
नोटबंदी और राष्ट्रपति चुनाव बने गठबंधन टूटने का कारण
गठबंधन में दरार पिछले साल नबवंर में हुई नोटबंदी के दौरान ही आ गई थी। नीतीश कुमार ने नोटबंदी का समर्थन किया था। राष्ट्रपति चुनाव में रामनाथ कोविंद का समर्थन किए जाने के एलान के बाद यह तय हो गया था कि महागठबंधन टूट जाएगा। इस्तीफे के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि “हमने नोटबंदी का समर्थन किया, तब हम पर सवाल उठाए गए। हमारे बिहार के राज्यपाल राष्ट्रपति बनने वाले थे, हमने उनका समर्थन किया, तब भी हम पर सवाल उठाए गए। इस तरह काम करना मेरे स्वभाव के विपरीत है।” उन्होंने कहा, “नोटबंदी का मसला आया तो हमने नोटबंदी का समर्थन किया। मेरे ऊपर न जाने क्या-क्या आरोप लग रहे थे। हमने नोटबंदी का समर्थन करते हुए यह भी साफ-साफ कहा था कि बेनामी संपत्ति पर भी रोक लगे। हम हमेशा जनपक्षधरता के समर्थन में रहे।” उन्होंने कहा, “ऐसी बातें उठती रहीं कि गठबंधन बना रहे, विपक्ष की एकता बनी रहे। मैं तो हमेश विपक्ष की एकता के पक्ष में रहा, लेकिन कैसी विपक्षी एकता। विपक्ष का एक एजेंडा होना चाहिए।
अंतर्रात्मा की आवजा पर दिया इस्तीफा: लालू बोले नए नेता का चुनाव हो
भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव प्रकरण पर नीतीश ने कहा, लालू जी से बातचीत होती रही है। तेजस्वी भी मिले। मैंने कहा कि जो भी आरेाप लगे हैं, उसे ‘एक्सप्लेन’ कीजिए। आम जन के बीच जो अवधारणा बन रही है, उसके लिए यह जरूरी है। वो नहीं हुआ। हमारी लालू जी के साथ, राजद के साथ कोई संवादहीनता नहीं है। अब उस पर यह बात होती है कि संकट में रक्षा कीजिए। यह कोई संकट नहीं है, यह अपने आप लाया गया संकट है। कुछ भी हो उसे स्पष्ट करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब मुझे ऐसा लग गया कि वे कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं, तो ऐसी स्थिति में मैं तो जवाब नहीं दे सकता। मैं सरकार का नेतृत्व कर रहा हूं। लेकिन सरकार के अंदर के व्यक्ति के बारे में कुछ बातें कही जाती हैं और मैं उस पर कहने की स्थिति में नहीं हूं तो ऐसी स्थिति में इस सरकार को चलाने का, मेरे हिसाब से कोई आधार नहीं है। पूरे माहौल को देखने के बाद, मुझे लगा कि मेरे जैसे व्यक्ति के लिए..यह मेरे अंतर्रात्मा की आवाज है।
इधर, राजद स्पष्ट कर चुका है कि सभी आरोपों का जवाब सही समय पर और सही जगह पर दिया जाएगा। इसके बाद दोनों दलों में दरार चौड़ी होती गई और अंतत: नीतीश ने इस्तीफा दे दिया। नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद लालू प्रसाद यादव ने पत्रकारों से कहा कि महागठबंधन के सभी विधायक एक साथ बैठक करें और नए नेता का चुनाव करें। लालू प्रसाद यादव ने हत्या से जुड़े हुए एक मामले का जिक्र करते हुए कहा कि जिस व्यक्ति पर हत्या का मुकदमा अदालत में चल रहा है, वह मुख्यमंत्री रह कैसे सकता था।