अंग्रेजी अखबार ‘राइजिंग कश्मीर के प्रधान संपादक शुजात बुखारी को उनके पैतृक गांव में शुक्रवार को सुपुर्दे दफ़न किया गया। उनके जनाजे में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया। अज्ञात बंदूकधारियों ने गुरुवार को अखबार के कार्यालय के बाहर उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी। बुखारी के जनाजे में शामिल होने वालों में विपक्ष के नेता उमर अब्दुल्ला और पीडीपी तथा भाजपा के मंत्री भी शामिल थे। जनाजे में शिरकत कर रहे लोगों ने बताया कि गांव में इससे पहले कभी किसी ने ऐसा जनाजा नहीं देखा, जिसमें इतनी बड़ी तादाद में लोग शामिल हुए हों।
बुखारी सहित उनके दो अंगरक्षकों की गुरुवार शाम इफ्तार से थोड़ा पहले श्रीनगर के लाल चौक के निकट प्रेस एनक्लेव में राइजिंग कश्मीर के कार्यालय के बाहर अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मार कर हत्या कर दी थी। बुखारी घाटी में शांति के लिए आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। वह पाकिस्तान के साथ ट्रैक-2 प्रक्रिया का हिस्सा भी थे।
कौन थे शुजात बुखारी
हिंदू से शुरू किया करियर और फिर लाए राइजिंग कश्मीर
बुखारी ने एतेनियो दी मनीला यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म में मास्टर्स किया था। इसके बाद वह एशियन सेंटर फॉर जर्नलिज्म के साथ बतौर फेलो जुड़े और फिर उन्हें वर्ल्ड प्रेस इंस्टीट्यूट की फेलोशिप हासिल हुई। इन सबके अलावा वह हवाई स्थित ईस्ट-वेस्ट सेंटर में भी फेलो रह चुके थे। 10 मार्च 2008 को बुखारी ने राइजिंग कश्मीर की शुरुआत की थी। देखते ही देखते इंग्लिश का यह न्यूज पेपर कश्मीर का नंबर दो सबसे ज्यादा पढ़ा जाना वाला न्यूज पेपर बन गया था। उन्होंने बतौर जर्नलिस्ट अपना करियर द हिंदू से शुरू किया था। वह द हिंदू के लिए जम्मू कश्मीर से रिपोर्टिंग करते थे।
18 वर्ष पहले भी हुआ था हमला
बुखारी पर 18 वर्ष पहले पहली बार आतंकी हमला हुआ था और इसके बाद उन्हें सुरक्षा दी गई थी। उनके साथी, राजनेता और उनके करीबी दोस्त उन्हें कश्मीर में शांति की वकालत करने वाला एक मजबूत शख्स मानते थे। कश्मीर पर पाकिस्तान के साथ भारत की ओर से अनौपचारिक वार्ता के लिए प्रतिनिधिमंडल पिछले वर्ष दुबई में था और बुखारी इसका हिस्सा थे।
इसके अलावा उन्होंने कश्मीर पर शांति के लिए कई तरह की कॉन्फ्रेंसेज का आयोजन भी किया था। बुखारी पाकिस्तान के साथ होने वाली ट्रैक टू डिप्लोमैसी का भी हिस्सा थे। बुखारी, जम्मू कश्मीर सरकार में मंत्री बशारत बुखारी के भाई भी थे। आठ जुलाई 1996 को आतंकी संगठन इख्वान ने घाटी से 19 जर्नलिस्ट्स का अपहरण कर लिया था और बुखारी उनमें से ही एक थे।