भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग शुरू करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे एक बार फिर मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। इस बार वे सरकार की वादाखिलाफी को लेकर आंदोलन करेंगे। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र लिखा है।
अन्ना हजारे ने देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग का आगाज किया था। इसके अलावा लोकपाल कानून, लोकायुक्तों की नियुक्तियां सहित अन्य प्रमुख मुद्दों पर आंदोलन शुरू किया था। सरकारों ने उनके आंदोलन पर तत्काल तो कार्रवाई करने का आश्वान दिया था, लेकिन बाद में इन आश्वासनों को पूरा नहीं किया गया। अन्ना हजारे द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा गया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बार फिर से अभियान शुरू किया जाएगा। उन्होंने लिखा कि एनडीए की सरकार ने तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लिया है, लेकिन आंदोलन के दौरान दिए गए सरकार के आश्वासनों पर अब तक गंभीरतापूर्णक कदम नहीं उठाया गया है। इसके कारण फिर से जनआंदोलन शुरू करने का फैसला लेना पड़ रहा है।
लोकपाल कानून सहित लोकायुक्तों की नियुक्तियां भी हैं प्रमुख
अन्ना हजारे ने लिखा है कि भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना देखते हुए देश की जनता ने अगस्त 2011 में दिल्ली के रामलिला मैदान पर और पूरे देशभर में ऐतिहासिक आंदोलन की शुरूआत की थी। देशभर के गांव-गांव, शहर-शहर से लाखों की संख्या में लोगों ने इस आंदोलन में हिस्सा लिया था, क्योंकि भ्रष्टाचार के कारण आम जनता का जीवन जीना मुश्किल हो रहा था। जनशक्ति के इस आंदोलन के कारण तत्कालीन सरकार के शासन में लोकपाल, लोकायुक्त का कानून 17 दिसंबर 2013 को राज्यसभा में और 18 दिसंबर 2013 को लोकसभा में पारित कर दिया। उसके बाद जनवरी 2014 को राष्ट्रपति ने इस पर हस्ताक्षर भी कर दिए थे। उसके बाद 26 मई 2014 को नई सरकार सत्ता में आई। नई सरकार से जनता को बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन यह पूरी नहीं हुर्इं।
न तो कार्रवाई की और नहीं ही पत्र का जवाब दिया
श्री हजारे ने आगे लिखा है कि नई सरकार को काम के लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए, ऐसा सोचकर मैं चुप रहा। कुछ वक्त बीत जाने के बाद लोकपाल और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर बनाए गए कानूनों पर अमल के संबंध में पिछले तीन सालों में कई बार आपको पत्र लिखा, लेकिन आपने न तो कार्रवाई की और नहीं ही मेरे पत्र का जवाब दिया। सत्ता में आने से पहले आपने देश की जनता को भ्रष्टाचार मुक्त भारत के निर्माण की प्राथमिकता का आश्वासन दिया था। आज भी नया भारत बनाने के लिए भ्रष्टाचार मुक्त भारत निर्माण करने का संकल्प करने हेतु आप बडे-बड़े विज्ञापन के माध्यम से जनता को संदेश दे रहे हैं। आश्चर्यजनक बात यह है कि जिन राज्यों में भाजपा के अलावा अन्य दलों की सरकारें हैं वहां तो नहीं लेकिन जिन राज्यों में आपकी पाटी र्की सरकारें हैं वहां भी नए कानून के तहत लोकायुक्त नियुक्त नहीं किए गए हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि आपके पास लोकपाल, लोकायुक्त कानून पर अमल करने के लिए इच्छाशक्ति का अभाव है। आपकी कथनी और करनी में यदि अंतर होगा तो फिर कैसे होगा भ्रष्टाचारमुक्त भारत? जिस संसद ने देश के लाखों लोगों की मांग पर यह कानून बनाया और राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर भी कर दिए फिर भी उस कानून पर अमल ना करना, क्या यह जनता, संसद और राष्ट्रपति का अपमान नहीं है।
