दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम देश इंडोनेशिया में महिला मौलवी, मुस्लिम महिलाओं की धर्मजन्य समस्याओं से छुटकारे के लिए नई इबारत लिख रही हैं।
भारत जैसे देश में जहां अभी भी बात सिर्फ तीन तलाक पर अटकी हुई हैं वहीं इंडोनेशिया में चर्चा निकाह की उम्र तय होने पर हो रही है।
इंडोनेशिया की महिला मौलवियों ने बाल विवाह से निपटने के मुद्दे समेत विभिन्न मुद्दों पर कई फतवे जारी किए हैं। इस मुस्लिम बाहुल्य देश में महिलाओं द्वारा प्रमुख धार्मिक भूमिकाओं को अपने हाथ में लेने का यह एक नया उदाहरण है।
सबसे ज्यादा मुस्लिम हैं इंडोनेशिया में
विश्व की सबसे बडी मुस्लिम आबादी वाले देश में महिला मौलवियों के तीन दिवसीय सम्मेलन के समापन पर गुरूवार को कई फतवे जारी किए गए।
ये फतवे यहां वैध नहीं है लेकिन प्रभावशाली माने जाते हैं। इंडोनेशिया में नियमित रूप से फतवे जारी किए जाते हैं लेकिन आमतौर पर पुरूष प्रधान इंडोनेशियान उलेमा काउंसिलह्ण इन्हें जारी करती है।
यह देश का सबसे बडी इस्लामिक संस्था है। 25.5 करोड की आबादी वाले देश में करीब 90 प्रतिशत लोग मुस्लिम हैं।
भारत-पाक की शिरकत
जावा द्वीप के सिरेबॉन में आयोजित यह बैठक दुनिया में मुस्लिलम महिला मौलवियों की इस तरह की पहली प्रमुख बैठक थी। इसमें सैकडों लोगों ने शिरकत की। अधिकतर लोग इंडोनेशिया से थे लेकिन पाकिस्तान, भारत और सउदी अरब से भी महिला मौलवी यहां पहुंचीं।
सम्मेलन के अंत में उन्होंने श्रृंखलाबद्ध तरीके से फतवे जारी किए, जिसमें सबसे ज्यादा ध्यान खींचने वाला फतवा बाल विवाह से निपटने से जुडा था।
उन्होंने सरकार से लडकियों की विवाह की आयु कानूनन 18 वर्ष करने का आग्रह किया। यह आयु अभी 16 वर्ष है।
सम्मेलन में शामिल हुए धार्मिक मामलों के मंत्री लुक्मान हकीम सैफुद्दीन ने प्रस्ताव पर प्राधिकारियों की ओर से गौर किए जाने का संकेत देते हुए कहा ह्यह्यमैं इस सिफारिश को सरकार के समक्ष पेश करूंगा।
उन्होंने कहा, ह्यह्ययह सम्मेलन महिलाओं एवं पुरूषों के संबंधों में न्याय के लिए लडने में सफल रहा।ह्णह्ण अन्य फतवों में एक फतवा महिलाओंें के यौन शोषण के खिलाफ और एक पर्यावरण विनाश के खिलाफ भी था।