भारतीय अधिकारियों ने प्रधानमंत्री की उपस्थिति में नेशनल सोशलिस्ट कॉन्सिल ऑफ नागालैंड के साथ समझौते पर दस्तखत किए। यह संगठन इलाके के उन कई संगठनों में शामिल है जो चीन, म्यांमार, बांग्लादेश और भूटान से लगी सीमा के इलाके में सक्रिय हैं. एनएससीएन-आईएम एक नागा होमलैंड की मांग कर रहा है जिसमें पूर्वोत्तर के कई राज्यों के इलाकों के अलावा पड़ोसी म्यांमार के कुछ इलाके भी शामिल होंगे. यह संगठन 1997 से भारत सरकार के साथ बातचीत कर रहा है।
गृह मंत्रालय के 20 अप्रैल 2018 को जारी वक्तव्य में कहा गया है, “केन्द्र और एनएससीएन के इन दो गुटों के बीच संघर्ष विराम लागू है। अब इसकी अवधि 28 अप्रैल 2018 से एक वर्ष के लिए बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।”
इस आशय के समझौते पर 19 अप्रैल 2018 को हस्ताक्षर किये गये थे। गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव सत्येन्द्र जैन ने केन्द्र की ओर से इस समझौते पर हस्ताक्षर किये जबकि एनएससीएन-एनके की ओर से जैक जिमोमी और एनएससीएन-आर की ओर से विनिहो किहो स्वू ने हस्ताक्षर किये।
एनएससीएन-आईएम के संस्थापकों में शामिल महासचिव थुइंगालेंग मुइवा के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “हम आज एक नई शुरुआत कर रहे हैं. 60 साल लड़ने के लिए लंबा समय है. जख्म गहरे हैं.” समझौते की शर्तों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है लेकिन मोदी सरकार ने कहा है कि वह सालों से उपेक्षित रहे इलाके का अतिरिक्त संसाधान देकर और बेहतर ढांचा बनाकर विकास करना चाहती है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “प्रधानमंत्री बनने के बाद से पूर्वोत्तर में शांति, सुरक्षा और आर्थिक परिवर्तन मेरी उच्चतम प्राथमिकता रही है. यह मेरी विदेशनीति खासकर एक्ट ईस्ट के भी केंद्र में है.” भारत दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ संबंधों को गहरा बनाने में लगा है.