नाबालिग शिष्या से दुष्कर्म के मामले में आसाराम को 25 अप्रैल को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। अदालत ने कहा कि आसाराम को बाकी बची जिंदगी जेल में ही काटनी होगी। उसके दो सहयोगियों शिल्पी और शरतचंद्र को भी 20-20 सजा की सजा हुई। फैसला सुनाते हुए विशेष एससी-एसटी कोर्ट के जज मधुसूदन शर्मा ने कहा- “‘आसाराम संत कहलाते हैं, लेकिन उन्होंने जप करवाने का बहाना कर पीड़िता को अपने कमरे में बुलाकर दुष्कर्म किया। दोषी ने ना सिर्फ पीड़िता का विश्वास तोड़ा, बल्कि आम जनता में संतों की छवि को भी नुकसान पहुंचाया।
जज ने अपने फैसले में मुख्य बातें कहीं–
1) पीड़िता आसाराम के विशाल कद और उसकी शक्तियों से घबराई हुई थी। जिस व्यक्ति को वह भगवान मान कर पूजती थी, उसके द्वारा ऐसा घिनौना कृत्य करने से निश्चित रूप से उसकी विचार प्रक्रिया सुन्न हो गई होगी।
2) 453 पन्नों के अपने फैसले में एससी-एसटी अदालत के जज ने कहा, आसाराम संत कहलाते हैं, लेकिन उन्होंने जप करवाने का बहाना कर पीड़िता को अपने कमरे में बुलाकर दुष्कर्म किया। आसाराम ने ना सिर्फ पीड़िता का विश्वास तोड़ा, बल्कि आम जनता में संतों की छवि को भी नुकसान पहुंचाया।’’
3) लेकिन निश्चित रूप से यदि कोई भी घटना होने पर माता-पिता बच्ची का साथ देते हैं तो उसमें यह हिम्मत पैदा हो जाती है कि अपराधी और समाज का सामना कर सके।
4) गवाहों से ज्यादा परिस्थितियां बयान करती हैं। व्यक्ति झूठ बोल सकता है लेकिन परिस्थितियां कभी झूठ नहीं बोलतीं। अभियोजन पक्ष यह साबित करने में सफल रहा कि पीड़िता घटनास्थल पर स्थित कुटिया के कमरे में गई थी। यानी पीड़िता का उक्त कमरे में जाना साक्ष्य से साबित हुआ है।
पीड़ित लड़की का बयान- अदालत के फैसले में पीड़ित लड़की के उस बयान का भी जिक्र है जो उसने कोर्ट में जिरह के दौरान दर्ज कराया था। इसमें पीड़ित ने एक जगह कहा है, ‘‘मैं रो रही थी, और कह रही थी कि मुझे छोड़ दो। हम तो आपको भगवान मानते हैं। आप यह क्या कर रहे हो? फिर भी वो मेरे से बदतमीजी करते रहे और करीब एक-सवा घंटे बाद मुझे छोड़ा।
फैसले की सबसे बड़ी कड़ी
1. दुष्कर्म की शिकार लड़की उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की रहने वाली है। आसाराम के समर्थकों ने उसे और उसके परिवार को बयान बदलने के लिए बार-बार धमकाया।
2. उत्तर प्रदेश से बार-बार जोधपुर आकर केस लड़ने के लिए उसके पिता को ट्रक तक बेचने पड़े। 3. आसाराम के खिलाफ गवाही देने वाले नौ लोगों पर हमला हुआ। तीन गवाहों की हत्या तक हुई। जान गंवाने वालों में लड़की के परिवार के करीबी दोस्त भी थे।
4. आसाराम की तरफ से लड़की पर अपमानजनक आरोप लगाए गए। ये तक कहा गया कि मानसिक बीमारी के चलते लड़की की पुरुषों से अकेले मिलने की इच्छा होती है। फिर भी 27 दिन की लगातार जिरह के दौरान पीड़ित लड़की अपने बयान पर कायम रही। उसने 94 पन्नों में अपना बयान दर्ज कराया।
5. आसाराम के वकीलों ने पीड़िता को बालिग साबित करने की हर मुमकिन कोशिश की। लेकिन उम्र पर संदेह की कोई जायज वजह नहीं मिली। जांच अधिकारी ने भी 60 दिन तक हर धारा पर ठोस जवाब दिए। 204 पन्नों में बयान दर्ज हुए।
आसाराम के खिलाफ फैसले में मददगार ये बातें
1. जहां लाखों लोगों की आस्था जुड़ी होती है, उसका अपराध ज्यादा गंभीर माना जाता है। ऐसा ही राम रहीम के केस में भी हुआ था। उस केस में जज ने कहा था- जिसने अपनी साध्वियों को ही नहीं छोड़ा और जो जंगली जानवर की तरह पेश आया, वह किसी रहम का हकदार नहीं है।
2. पॉक्सो एक्ट 2012 में नाबालिग की उम्र 16 से 18 हो गई, पीड़िता 17वें साल में थी। इसलिए 2013 में दर्ज आसाराम के मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत ही धाराएं लगीं।मामला नाबालिग से दुष्कर्म का था।
3. जिसके संरक्षण में नाबालिग रहता है, वही उसका शोषण करे तो अपराध और भी संगीन माना जाता है।
4. द क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट 2013 में दुष्कर्म की परिभाषा बदल गई, इसलिए 376 लगी।