भारतीय जनता पार्टी (BJP) में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) कांगे्रस को लेकर आक्रमक मुद्रा में हैं। पिछले तीन माह से कमलनाथ (KamalNaath) और दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) द्वारा उनके खिलाफ चलाए जा रहे अभियान पर सिंधिया ने कहा कि टाइगर अभी जिंदा है। कांगे्रस और उसके नेताओं को लेकर भी सिंधिया हमलावर हैं। भाजपा (BJP) की रीति-नीति को आत्मसात करते हुए सिंधिया ने आपातकाल लगाए जाने पर भी कांगे्रस को निशाने पर लेने में देरी नहीं की। शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chuohan) के मंत्रिमंडल में अपने सबसे ज्यादा समर्थकों को शपथ दिलाकर सिंधिया यह संदेश देने में सफल रहे हैं कि कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांगे्रस सरकार में उनकी उपेक्षा की जा रही थी।
उप चुनाव के मैदान होगा सिंधिया-कांगे्रस का सीधा मुकाबला
भारतीय जनता पार्टी कार्यालय में ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) उसी तरह से भीड़ से घिरे दिखाई दिए जिस तरह कांगे्रस में नजर आते थे। ग्वालियर-चंबल संभाग के कई नेता और कार्यकता कांगे्रस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं। मंत्रिमंडल (Cabinet)के बाद सिंधिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती उप चुनाव में अपने समर्थकों को जीताने की है। उप चुनाव के मैदान में ही सिंधिया का पहली बार आमने-सामने का मुकाबला उन नेताओं से होगा जो कांगे्रस में उनकी राह में रोड़े अटकाते रहते थे। ऐसे नेताओं में कमलनाथ (KamalNaath) और दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) बडे़े नाम हैं। सिंधिया के भाजपा (BJP) में जाने के बाद से ये दोनों नेता सिंधिया को गद्दार कहकर उन पर लगातार हमला कर रहे हैं। विधायकों पर सौदेबाजी के आरोप लगा रहे हैं। इन आरोपों पर सिंधिया ने भोपाल में कहा कि टाइगर अभी जिंदा है। उन्होंने कहा कि मैं कांगे्रस को पूर्ण जवाब दूंगा। अभी तो कमलनाथ (KamalNaath) और दिग्विजय सिंह
(Digvijay Singh) को इतना ही कहना चाहता हूं कि “टाइगर अभी जिंदा ” है।
ग्वालियर-चंबल का मंत्रिमंडल में दबदबा
ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के कारण ग्वालियर-चंबल संभाग का पलड़ा मंत्रिमंडल (Cabinet) में भारी हो गया है। मुरैना से लेकर गुना तक सिंधिया ने अपने समर्थकों को मंत्री पद दिलाया। मुंगावली के विधायक ब्रजेन्द्र सिंह यादव, सुरेश धाकड़ पहली बार मंत्री बने हैं। बदनावर विधायक राजवर्द्धन सिंह को भी जगह दिलाने में सिंधिया को कोई दिक्कत नहीं हुई। कांगे्रस में विरोधी रहे ऐंदल सिंह कंसाना को भी सिंधिया ने अपने साथ कर लिया है। कंसाना मुरैना के सुमावली से विधायक हैं। मुरैना से ही सिंधिया ने अपने समर्थक गिर्राज दंडोतिया को भी मंत्रिमंडल में जगह दिलाई है। प्रद्युमन सिंह और इमरती देवी स्वभाविक दावेदार थीं। भिंड में ओपीएस भदौरिया को वफादारी का ईनाम मिला। बिसाहूलाल सिंह को भी सिंधिया का साथ मिला।
सोशल मीडिया पर असंतोष का शोर पर प्रतिक्रिया सधी हुई

शिवराज सिंह चौहान (Shivraj singh chouhan) के मंत्रिमंडल (Cabinet) में 9 वो चेहरे हैं,जो पिछली पारी में मंत्रिमंडल में साथ थे। सात नए चेहरों को जगह मिली है। इनमें ओमप्रकाश सकलेचा भी है। सकलेचा को पिछले दो कार्यकाल में शिवराज सिंह चौहान (Shivraj singh chouhan) ने मंत्रिमंडल से बाहर ही रखा। जबकि कैलाश जोशी के पुत्र दीपक जोशी और सुंदरलाल पटवा के दत्तक पुत्र सुरेन्द्र पटवा को मंत्री बनाया गया। ओमप्रकाश सकलेचा के पिता वीरेन्द्र कुमार सकलेचा भी मुख्यमंत्री रहे हैं। रामपाल सिंह,राजेन्द्र शुक्ला गौरीशंकर बिसेन जैसे चेहरे इस बार पिछड़ गए। इन नेताओं के चेहरों पर झलक रहा दर्द असंतोष की कहानी बयां करता है, लेकिन वे खुकर कुछ नहीं कह रहे। संजय पाठक ने जरूर यहा कहा कि जिन के कारण सरकार बनी, उनका हक पहला था। संजय पाठक छह साल पहले भी कांगे्रस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। नारायण त्रिपाठी का चेहरा कहीं दिखाई नहीं दिया। इंदौर में रमेश मेंदोला की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई। किसी समर्थक ने मिट्टी का तेल ड़ालकर आग लगाने की कोशिश की।
उमा भारती ने पत्र लिखकर जताई नाराजगी
मंत्रिमंडल में शामिल चेहरों को लेकर कांगे्रस न उगल पा रही है, न निगल पा रही है। राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा (Vivek Tankha) ने विंध्य, महाकौशल को पर्याप्त प्रतिनिधित्व न मिलने पर तंज कसा। मंत्रिमंडल (Cabinet) में शामिल अधिकांश चेहरे वो हैं,जो उप चुनाव में उम्मीदवार होंगे, इस कारण कांगे्रस को अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ सकता है। भाजपा में मंत्रिमंडल के गठन को लेकर उमा भारती (Uma Bharti) द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
(Shivraj singh chouhan) और वी ड़ी शर्मा (V D Sharma) को पत्र लिखकर नाराजगी प्रकट करने की बात जरूर सामने आई, लेकिन पत्र की कॉपी सामने नहीं आई। बताया जा रहा है कि उमा भारती (Uma Bharti) की नाराजगी उनके सुझावों को महत्व न देने पर है।
