देश में शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जिसने मुगलसराय स्टेशन का नाम न सुना हो। मुगल सराय। मुगलों का देश में सालों तक शासन रहा है। हिन्दी में सराय के मतलब धर्मशाला होता है। उत्तरप्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के प्रस्ताव पर केन्द्र के गृह मंत्रालय ने मुगलसराय स्टेशन का नाम बदलकर पंडित दीदयाल उपाध्याय रखने को मंजूरी दे दी है। केन्द्र और उत्तरप्रदेश सरकार के इस कदम का विरोध दो कारणों से हो रहा है। पहला कारण भारतीय जनता पार्टी की मुस्लिम विरोधी पहचान का है। दूसरा कारण एतिहासिक नाम की पहचान मिटने का है। मुगलसराय उत्तरप्रदेश के चंदोली जिले का स्टेशन है। बनारस इससे लगा हुआ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लोकसभा में बनारस का प्रतिनिधित्व करते हैं। माना यह जा रहा है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचारधारा को मजबूत करने के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर स्टेशन का नामकरण किया जा रहा है। पंडित उपाध्याय फरवरी 1968 में इसी स्टेशन पर मृत पाए गए थे।
लाल बहादुर शास्त्री की जन्म स्थली भी मुगलसराय
मुगलसराय देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जन्म स्थली है। शास्त्री जी ने ही जय जवान, जय किसान का नारा दिया था। उनके सादगीपूर्ण जीवन को आज भी याद किया जाता है। स्वर्गीय शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 में हुआ था। उनकी मृत्यु ताशकंद में रहस्मयी परिस्थितियों में हो गई थी। वे ताशकंद, पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान से युद्ध समाप्त करने की संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए गए थे। 11 जनवरी को उनकी मृत्यु हुई। प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज के स्थान पानी की बौछार का उपयोग करने की शुरूआत लालबहादूर शास्त्री ने गोविन्द वल्लभ पंत के मंत्रिमंडल रहते हुए कराई थी। लाल बहादुर शास्त्री की जन्म स्थली होने के बाद भी किसी के दिमाग में मुगलसराय स्टेशन का नाम बदलकर उनके नाम किए जाने का विचार नहीं आया। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर अब यह स्टेशन जाना जाएगा। केन्द्र सरकार और उत्तरप्रदेश सरकार के सभी विभाग दस्तावेजों में आवश्यक संशोधन करने में लगे हुए हैं। केन्द्र सरकार पंडित दीदयाल उपाध्याय की जन्मशती वर्ष मान रही है। इसी कारण स्टेशन का नाम बदला जा रहा है।
अंग्रेजों ने बनाया था मुगलसराय जंक्शन
यह तथ्य किसी से छुपा हुआ नहीं है कि देश में रेल मार्ग को विकसित करने में अंगे्रजों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही है। 1883 में इसे मुगलसराय जंक्शन का नाम दिया गया। कुछ दस्तावेजों में इसे मुगलचक, मंगलपुर और ओवन नगर भी कहा गया है। मुगलसराय नाम देने का कारण बताने वाला कोई साक्ष्य दस्तावेजों में नहीं मिलता। जैसा कि राम मंदिर के मामले में है। यह जीटी रोड का महत्वपूर्ण हिस्सा है। शेरशाह सूरी ने इसका नामकरण सडक-ए-आजम के तौर पर किया था। यह मुगलकाल में पूर्वी और उत्तर भारत का एक महत्वपूर्ण कॉरीडोर है। पटना-मुगलसराय डिवीजन 1862 में अस्तित्व में आया था।
मुगलसराय का नाम नहीं बदले जाने की मांग करने वालों का कहना है कि इसका नाम ही परिवर्तित करना है तो इसे शास्त्रीजी के नाम पर किया जाना चाहिए,क्योंकि यह धरा उनकी जन्मस्थली है। श्री शास्त्री की मूर्ति लगवाने के लिए जूझ रहे भारतीय रेल दलित मजदूर एसोसियेशन के महासचिव राजेन्द्र राम का कहना है कि शास्त्री जी शायद वोट बैंक नहीं है इसलिए राजनीतिक दल उनकी मूर्ति लगवाने के लिए सहयोग नहीं दे रहे हैं ,और अब तो इसका नाम भी बदलने की कवायद चल रही है। नाम बदल गया तो आने वाली पीढ़ी यह भी भूल जाएगी कि शास्त्रीजी का जन्म मुगलसराय में हुआ था। श्री राम ने कहा कि शास्त्री जी का जन्म मुगलसराय रेलवे परिसर (कूढकला) में अपने ननिहाल में हुआ था। एशिया का सबसे बडा रेलवे यार्ड मुगलसराय रेलवे परिसर में शास्त्री जी की आदमकद मूर्ति रखी है लेकिन रेलवे प्रशासन उसे लगने नहीं दे रहा है। उनकी मांग है कि मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम शास्त्रीजी के नाम पर हो।