(१) वीर्य – पुष्टिकर योग : इमली के बीज दूध में कुछ देर पकाकर और उसका छिलका उतारकर सफ़ेद गिरी को बारीक पीस ले और घी में भून लें, इसके बाद सामान मात्रा में मिश्री मिलाकर रख लें |
इसे प्रातः एवं शाम को ५-५ ग्राम दूध के साथ सेवन करने से वीर्य पुष्ट हो जाता है | बल और स्तम्भन शक्ति बढ़ती है तथा स्व-प्रमेह नष्ट हो जाता है |
(२) शराब एवं भांग का नशा उतारने में : नशा समाप्त करने के लिए पकी इमली का गूदा जल में भिगोकर मथकर, और छानकर उसमें थोड़ा गुड़ मिलाकर पिलाना चाहिए |
(३) इमली के गूदे का पानी पीने से वमन, पीलिया प्लेग, गर्मी के ज्वर में भी लाभ होता है |
(४) ह्रदय की दाहकता या जलन को शान्त करने के लिये पकी हुई इमली के रस (गूदे मिले जल) में मिश्री मिलाकर पिलानी चाहियें |