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नेशनल कॉन्फ्रेंस को ‘हल’ चुनाव चिह्न के लिए कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी : उमर

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नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को कहा कि उनकी पार्टी को ‘हल’ चुनाव चिह्न प्राप्त करने के लिए कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है जबकि राजनीतिक दल होने के नाते यह उनका अधिकार है।
श्री अब्दुल्ला ने यहां संवाददाताओं से कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि नेकां को एक राजनीतिक दल के रूप में अपने अधिकार के लिए कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी जबकि चुनाव चिह्न के आवंटन के बारे में चुनाव दिशा-निर्देश बहुत स्पष्ट हैं।उन्होंने आरोप लगाया कि लद्दाख प्रशासन का एजेंडा स्पष्ट रूप से बहुत ही पक्षपातपूर्ण था और यही कारण था कि पार्टी को अधिकार से वंचित करने के लिए वे सर्वोच्च न्यायालय तक गए।


उन्होंने कहा कि कि अगर आप शीर्ष अदालत का फैसला पढ़ेंगे तो उसमें लद्दाख प्रशासन के आचरण पर पूरी तरह से तीखी प्रतिक्रिया दी गई है और अदालत ने लद्दाख प्रशासन पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है, जो अपने आप में बताता है कि अदालत ने लद्दाख सरकार के आचरण को कितनी गंभीरता से लिया है।


उन्होंने कहा कि उन्हें खुशी है कि पार्टी के लिए ‘हल’ चुनाव चिह्न आरक्षित करने का आदेश कल देर रात जारी किया गया। उन्होंने कहा “हमें हमारा चुनाव चिह्न आवंटित कर दिया गया है। चुनाव के लिए नयी तारीख जारी कर दी गई है। हमारे उम्मीदवार अपना नामांकन दाखिल करेंगे और हम इस चुनाव में कारगिल के लोगों का समर्थन प्राप्त करने के लिए तत्पर हैं।”


नेकां उपाध्यक्ष ने यह भी कहा कि भाजपा भारत का नाम नहीं बदल सकती। उन्होंने कहा “कोई भी नाम नहीं बदल सकता। क्या भाजपा के पास संसद में दो तिहाई बहुमत है? अगर उनके पास है तो करने दीजिए, नाम बदलना कोई आसान काम नहीं है। अगर वे नाम बदलना चाहते हैं तो इसके लिए संविधान में बदलाव की आवश्यकता होगी।”
उन्होंने कहा , “ अगर केंद्र सरकार में हिम्मत है तो वह इसे बदल दे। हम देखना चाहते हैं कि देश का नाम बदलने के लिए कौन उनका समर्थन करता है। उन्होंने कहा कि संविधान में बहुत स्पष्ट इंडिया है जो कि भारत है और राज्यों का एक संघ है।”


श्री अब्दुल्ला ने कहा कि इंडिया, भारत या हिंदुस्तान दोनों नामों पर लोगों का अधिकार है और अगर मोदी जी इंडिया नाम का उपयोग नहीं करते तो उन्हें नहीं करने दीजिए लेकिन वह इसे संविधान से हटा नहीं सकते।


उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के हालिया बयान कि चुनाव के बाद राज्य का दर्जा बहाल होगा, श्री अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि कि इसके बारे में वह खुद फैसला ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि मान लेते हैं कि अनुच्छेद 370 याचिकाओं पर शीर्ष अदालत का फैसला विधानसभा चुनाव से पहले आ जाएगा। आइए देखते हैं कि शीर्ष अदालत का इस मामले पर क्या निर्णय लेती है।

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