सूर्य सृष्टि के प्रत्यक्ष देवता हैं। यह हमें दिखाई देते हैं।
क्योंकि वे रोज हमें दर्शन देते हैं और उन्हीं के प्रकाश से हमें जीवनदायिनी शक्ति प्राप्त होती है।
धर्म शास्त्रों के अनुसार, रोज सूर्य की उपासना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
कार्तिक श़क्ल पक्ष षष्ठी तिथि को सूर्य की विधि विधान से पूजन भाग्य उदयम में सहायक हो सकती है।
20 नवम्बर, शुक्रवार को छठ पूजा है। इस दिन मुख्य रूप से भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में सूर्य को साक्षात भगवान माना गया है।
सूर्य उपासना की पूजा विधि
छठ की सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर शौच आदि कार्यों से निवृत्त होकर नदी के तट पर जाकर आचमन करें तथा
सूर्योदय के समय शरीर पर मिट्टी लगाकर स्नान करें।

इसके बाद पुन: आचमन कर शुद्ध वस्त्र धारण करें और
सप्ताक्षर मंत्र- ॐ खखोल्काय स्वाहा से सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
इसके बाद भगवान सूर्य को लाल फूल, लाल वस्त्र व रक्त चंदन अर्पित करें।
धूप-दीप दिखाएं तथा पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं।
अंत में हाथ जोड़कर सूर्यदेव से प्रार्थना करें।
शिव प्रोक्त सूर्याष्टक का पाठ करें
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर मनोस्तु ते।।
सप्ताश्चरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्ममज्म।
श्वेतपद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।
लोहितं रथमारूढं सर्वलोकपितामहम्।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यम्।।
त्रैगुण्यं च महाशूरं ब्रह्मविष्णुमहेश्वरम्।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यम्।।
बृंहितं तेज:पुजं च वायु माकाशमेव च।
प्रभुं च सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।
बन्धूकपुष्पसंकाशं हारकुण्डलभूषितम्।
एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।
तं सूर्यं जगत्कर्तारं महातेज: प्रदीपनम्।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।
तं सूर्य जगतां नाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम्।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणामाम्यहम्।।
व्यापार में लाभ के लिए आसान उपाए
कारोबार में लगातार घाटा हो रहा हो तो गुरुवार के दिन एक नारियल सवा मीटर पीले वस्त्र में लपेटकर एक जोड़ा जनेऊ, सवा पाव मिष्ठान्न के साथ आस-पास के किसी भी विष्णु मंदिर में अपने संकल्प के साथ चढ़ा दें। तत्काल ही व्यापार चल निकलेगा।
षष्ठी घर की 8 खास जगहों पर रखें तांबे के सूर्य, हर काम में मिलेगा दोगुना फल
वास्तु पंच तत्वों पर आधारित है । ये पंच तत्व है अग्नि, वायु, पानी, पृथ्वी व आकाश । सूर्य भी अग्नि का ही स्वरूप माना गया है । सूर्य भी वास्तु शास्त्र को प्रभावित करता है ।
अगर वास्तु अनुसार घर की इन 8 जगहों पर तांबे के सूर्य को दीवार पर लगाया जाएं तो हर इच्छा पूरी की जा सकती है ।
रात 12 से 3 बजे तक सूर्य पृथ्वी के उत्तरी भाग में होता है । उत्तर धन की दिशा होती है ।
अगर धन की कमी हो तो घर में जहां कीमती वस्तुओं या जेवरात आदि रखें हो, वहां तांबे की सूर्य प्रतिमा लगाने से घर में कभी पैसों की कमी नहीं होती ।
रात 3 से सुबह 6 बजे तक सूर्य पृथ्वी के उत्तर-पूर्वी भाग में होता है ।
यह समय चिंतन व अध्ययन का होता है । बच्चे पढ़ाई में कमजोर हो तो स्टडी रुम या बच्चों के कमरे में सूर्य प्रतिमा लगाने से पढ़ाई में सफलता मिलती है ।
सुबह 6 से 9 बजे तक सूर्य पृथ्वी के पूर्वी हिस्से में रहता है
इस समय की रोशनी रोगों से बचाती है ।
घर में अगर बीमारियाँ ज्यादा हो तो हाॅल में प्रतिमा लगानी चाहिए, जहां घर के सभी सदस्य ज्यादा से ज्यादा समय बिताते हों ।
सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक सूर्य पृथ्वी के दक्षिण-पूर्व में होता है ।
यह समय भोजन पकाने के लिए उत्तम होता है । इसलिए घर के किचन में तांबे की प्रतिमा लगाने से घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती ।
दोपहर 12 से 3 बजे के दौरान सूर्य दक्षिण में होता है, इसे विश्रांति काल (आराम का समय) मानते है ।
अगर घर में अशांति या झगड़े का माहौल रहता है तो घर के मुखिया के बेडरूम में सूर्य प्रतिमा लगाने से कोई परेशानी नहीं आती ।

आज का हिन्दू पंचांग दिनांक 19 नवम्बर 2020
दिन – गुरुवार
विक्रम संवत – 2077
शक संवत – 1942
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – हेमंत
मास – कार्तिक
पक्ष – शुक्ल
तिथि – पंचमी रात्रि 09:59 तक तत्पश्चात षष्ठी
नक्षत्र – पूर्वाषाढा सुबह 09:39 तक तत्पश्चात उत्तराषाढा
योग – शूल दोपहर 09:59 तक तत्पश्चात गण्ड
राहुकाल – दोपहर 01:47 से शाम 03:10 तक
सूर्योदय – 06:53
सूर्यास्त – 17:55
दिशाशूल – दक्षिण दिशा में
व्रत पर्व विवरण – लाभ पंचमी, श्री-सौभाग्य-पांडव-ज्ञान पंचमी
विशेष – पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
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