कलियुगाब्द……………..5119
विक्रम संवत्……………2074
शक संवत्………………1939
मास…………………….कार्तिक
पक्ष……………………….शुक्ल
तिथी…………………..त्रयोदशी
संध्या 04.11 पर्यंत पश्चात चतुर्दशी
रवि…………………दक्षिणायन
सूर्योदय……….06.32.14 पर
सूर्यास्त……….05.48.23 पर
तिथि स्वामी…………….काम
नित्यदेवी………..नित्यक्लिना
नक्षत्र…………..उत्तराभाद्रपद
प्रातः 06.55 पर्यंत पश्चात रेवती
योग……………………..हर्षण
दोप 01.46 पर्यंत पश्चात वज्र
करण…………………..तैतिल
दोप 04.11 पर्यंत पश्चात गरज
ऋतु……………………….शरद
दिन…………………….गुरुवार आंग्ल मतानुसार :-
02 नवम्बर सन 2017 ईस्वी ।👁🗨 राहुकाल :-
दोपहर 01.33 से 02.56 तक । दिशाशूल :-
दक्षिणदिशा –
यदि आवश्यक हो तो दही या जीरा का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें।
विक्रम संवत्……………2074
शक संवत्………………1939
मास…………………….कार्तिक
पक्ष……………………….शुक्ल
तिथी…………………..त्रयोदशी
संध्या 04.11 पर्यंत पश्चात चतुर्दशी
रवि…………………दक्षिणायन
सूर्योदय……….06.32.14 पर
सूर्यास्त……….05.48.23 पर
तिथि स्वामी…………….काम
नित्यदेवी………..नित्यक्लिना
नक्षत्र…………..उत्तराभाद्रपद
प्रातः 06.55 पर्यंत पश्चात रेवती
योग……………………..हर्षण
दोप 01.46 पर्यंत पश्चात वज्र
करण…………………..तैतिल
दोप 04.11 पर्यंत पश्चात गरज
ऋतु……………………….शरद
दिन…………………….गुरुवार आंग्ल मतानुसार :-
02 नवम्बर सन 2017 ईस्वी ।👁🗨 राहुकाल :-
दोपहर 01.33 से 02.56 तक । दिशाशूल :-
दक्षिणदिशा –
यदि आवश्यक हो तो दही या जीरा का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें।
☸ शुभ अंक……………….2
शुभ रंग…………….पीला
✡ चौघडिया :-
प्रात: 06.35 से 07.58 तक शुभ
प्रात: 10.45 से 12.09 तक चंचल
दोप. 12.09 से 01.33 तक लाभ
दोप. 01.33 से 02.56 तक अमृत
सायं 04.20 से 05.44 तक शुभ
सायं 05.44 से 07.20 तक अमृत
रात्रि 07.20 से 08.57 तक चंचल |
आज का मंत्र :-
|| ॐ गुरुदेवाय नमः ||
सुभाषितम् :-
अष्टावक्र गीता – अष्टादश अध्याय :-
स्फुरतोऽनन्तरूपेण
प्रकृतिं च न पश्यतः।
क्व बन्धः क्व च वा मोक्षः
क्व हर्षः क्व विषादिता॥१८- ७२॥
अर्थात :- जो अनंत रूप से स्वयं स्फुरित हो रहा है और प्रकृति की पृथक् सत्ता को नहीं देखता है, उसके लिए बंधन कहाँ, मोक्ष कहाँ, हर्ष कहाँ और विषाद कहाँ॥७२॥