मध्यप्रदेश सरकार की आपत्ति के कारण उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश की दो नदियों केन एवं बेतबा को जोड़े जाने के काम में अवरोध पैदा हो गया है। जल संसधान, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्य मंत्री संजीव बालियान ने गुरूवार को लोकसभा में बताया कि मध्य प्रदेश सरकार ने कोठा बैराज, बीना कॅाम्पलैक्स और निचले ओर बाँध को भी इसमें शामिल करने की माँग की है। ऐसा करने से उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच 2005 में हुये समझौते अनुसार पानी के तय बँटवारे में अब बदलाव करना होगा। इसलिए अब यह फैसला किया गया है कि परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए पहले दोनों राज्य पानी के बँटवारे पर आपसी सहमति बना लें तभी इस पर काम शुरू किया जायेगा।
डीपीआर जल आयोग के समक्ष विचाराधीन
बीना कॅाम्पलेक्स और कोठा बैराज से संबंधित विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) केंद्रीय जल आयोग के समक्ष मूल्यांकन के लिए विचाराधीन है जबकि निचले ओर बाँध की डीपीआर भी 4 जुलाई को आयोग को सौंपी जा चुकी है। पूरी परियोजना की नये सिरे से समीक्षा के बाद एक विशेष इकाई बनाकर इसका काम आगे बढ़ाने का निर्णय किया गया है जिसमें एनएचपीसी तथा दोनों राज्य सरकारों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
परियोजना से बदल जाएगी क्षेत्र की तस्वीर
जल संसाधन विकास मंत्री उमा भारती ने बताया कि योजना पूरी होने के बाद इससे छह लाख 35 हजार 661 हेक्टेयर भूमि सिंचित हो सकेगी, जिसमें उत्तर प्रदेश के महोबा बांदा ललितपुर और झाँसी जिलों की दो लाख 65 हजार 780 हेक्टेयर और मध्यप्रदेश के छतरपुर, टीकमगढ़ और पन्ना जिलों की तीन लाख 69 हजार 881 हेक्टेयर भूमि शामिल है। साथ ही इससे 78 मेगावाट बिजली भी पैदा की जा सकेगी। पूरी परियोजना आठ साल में पूरी होने की उम्मीद है। इससे 70 लाख लोगों को लाभ होगा।