देश के 14 वें राष्ट्रपति के लिए निर्वाचित रामनाथ कोविंद अपनी जीत की घोषणा के बाद अति भावुक हो गए। उन्होंने एक बयान में कहा कि इस बारिश में न जाने कितने कोविंद अपनी घास-फूंस की झोपड़ी के बाहर खड़े होकर पानी रूकने का इंतजार कर रहे होंगे। कोविंद की जीत की घोषणा लोकसभा महासचिव एवं निर्वाचन अधिकारी अनूप मिश्रा ने की। कोविंद को निर्वाचक मंडल के कुल मत मूल्य का 65़.65 प्रतिशत वोट मिला है जबकि श्रीमती कुमार को 34़.35 प्रतिशत मत मूल्य मिला । निर्वाचन अधिकारी एवं लोकसभा के महासचिव अनूप मिश्रा ने यहां संवादददाताओं को बताया कि सांसदों और विधायकों के कुल 4896 वोट थे जिनमें से 4851 मत डाले गये जिनका मत मूल्य 1090300 था । इनमें से श्री कोविंद को 2930 वोट मिले जिनका मत मूल्य 702044 है । श्रीमती कुमार को 1844 वोट मिले जिनका मत मूल्य सिर्फ 367314 है ।
राष्ट्रपति भवन में सर्वे भवन्तु सुखिन: के भाव से सेवा
अत्यंत सधाारण दलित परिवार से देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचे श्री रामनाथ कोविंद ने सीढ़ी दर सीढ़ी आगे बढ़ते हुए इस शिखर तक का सफर तय किया है। विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को पराजित करके राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने वाले श्री कोविंद ने वकालत से कैरियर की शुरूआत की फिर संसद और बिहार के राजभवन तक का सफर तय करते हुए वह देश के प्रथम नागरिक बन गये। देश के नए राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित होने पर श्री रामनाथ कोविंद ने आज कहा कि वह गांव में फूस की झोपड़ी में रहने वाले गरीबों के प्रतिनिधि के रूप में राष्ट्रपति भवन जाएंगे और सर्वे भवन्तु सुखिन: की भावना से देश की सेवा करेंगें । उन्होने अपने बयान में कहा, जिस पद का गौरव डॅा- राजेंद्र प्रसाद, सर्वपल्लि रधााकृष्णन, एपीजे अब्दुल कलाम और प्रणब मुखर्जी ने बढ़ाया है, उस पद पर आना मेरे लिए गौरव की बात और जिम्मेदारी का एहसास करा रहा है। मेरे लिए ये भावुक क्षण है। दिल्ली में आज हुई बारिश का जिक्र कीते हुए कोविंद ने कहा ये बारिश का मौसम मुझे मेरे बचपन की याद दिलाता है, जब में अपने पैतृक गांव में रहता था घर कच्चा था, मिट्टी की दीवारें थी, फूंस की छत थी तब काफी तेज बारिश होती थी, तो हम सब भाई बहन दीवार के किनारे खड़े होकर बारिश के रुकने का इंतजार करते थे। आज देश में ऐसे कितने ही रामनाथ कोविंद होंगें , जो भीग रहे होंगें , कोई खेती कर रहा होगा, शाम को भोजन खाना है इसके लिए प्रबंध कर रहे होंगें । मै उन सभी से कहना चाहता हूं कि परौख गांव का ये रामनाथ कोविंद उनका प्रतिनिधि बनकर जा रहा है।
आखिरी पंक्ति से प्रथम नागरिक तक की यात्रा
उत्तर प्रदेश में कानपुर देहात जिले के डेरापुर तहसील के छोटे से गांव परौंख में एक अक्टूबर 1945 को जन्मे श्री कोविन्द का कोरी या कोली जाति से है जो राज्य में अनुसूचित जाति के अंतर्गत आती है। श्री कोविंद का विवाह 30 मई 1974 को सविता कोविंद से हुआ और उनके एक पुत्र तथा एक पुत्री है। उन्होनें परौंख गांव का पैतृक घर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को दान कर दिया। तीन भाइयों में सबसे छोटे श्री कोविंद की प्रारंभिक शिक्षा संदलपुर विकासखंड के ग्राम खानपुर प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय में हुई। उन्होनें डीएवी कॅालेज से बी कॅॉम तथा डीएवी लॅा कालेज से कानून की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होनें दिल्ली में रहकर भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा पास की लेकिन मुख्य सेवा के बजाय एलायड में चयन होने पर उन्होनें नौकरी ठुकरा दी। उन्होनें दिल्ली उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में एक दशक से भी अधिक समय तक वकालत की। वह 1977 से 1979 तक उच्च न्यायालय में केन्द्र सरकार के वकील रहे। वह 1977-1978 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के निजी सहायक भी रहे। श्री कोविंद 1991 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए। वह 1998 से 2002 तक भाजपा अनुसूचित मोर्चा के
साथ -साथ अखिल भारतीय कोली समाज के अध्यक्ष रहे। वह भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रहे। उन्होनें उत्तर प्रदेश की घाटमपुर और भोगनीपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों से पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन दोनों बार उन्होनें हार का सामना करना पड़ा।
श्री कोविंद 1994 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के सदस्य चुने गए और 12 साल तक सांसद रहे। इस दौरान वह कई संसदीय समितियों के सदस्य रहे। सांसद रहते हुए उन्होनें सांसद निधि से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में स्कूल के भवनों का निर्माण कराया और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में योगदान दिया। सांसद रहते हुए उन्होनें थाईंलैंड , नेपाल, पाकिस्तान,सिंगापुर ,जर्मनी ,स्विट्जरलैंड ,फ्रांस,ब्रिटेन और अमेरिका का दौरा किया । आठ अगस्त 2015 को वह बिहार के 36वें राज्यपाल बने। राज्यपाल के पद पर रहते हुए उन्होनें विश्वविद्यालयों में नाकाबिल लोगों के चयन और वित्तीय कुप्रवंधन तथा अयोग्य शिक्षकों की प्रोन्नति में अनियमितताओं के आरोपों की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया, जिसकी सर्वत्र प्रशंसा हुई