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रियल एस्टेट में ग्राहकों की बल्ले-बल्ले !

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रियल एस्टेट में ग्राहकों की बल्ले बल्ले !

सोमवार 1 मई 2017 से रियल एस्टेट (रेग्युलेशन ऐंड डिवेलपमेंट) ऐक्ट यानी रेरा एक साथ पूरे देश में लागू हो रहा है। यह एक ओर खरीदारों को सुरक्षा का अहसास कराएगा, तो दूसरी ओर इस सेक्टर से जुड़े डिवेलपर्स के लिए भी यह मील का पत्थर साबित होगा।
बीते दिनों में जिस अविश्वास की बात एक्सपर्ट्स कह रहे थे, वह अब दूर होगा। आइए जानते हैं इस नए कानून से किसको, कितना फायदा मिलनेवाला है।

खरीददार के अधिकारों को सुरक्षा

शहरी विकास मंत्री एम.वेंकैया नायडू का कहना है कि ‘रियल एस्टेट सेक्टर में यह एक नई शुरुआत है। एक मई से कानून लागू होने के बाद खरीददार वाकई में किंग बन जाएगा और यह कानून उसके सभी अधिकारों को सुरक्षा देगा। खरीददार से धोखाधड़ी करने वाला कोई भी व्यक्ति बच नहीं पाएगा।’

एजेंट भी रजिस्टर  होंगे

इस कानून के तहत सिर्फ रियल एस्टेट कंपनियों को ही नहीं बल्कि बिचौलिए की भूमिका निभाने वाले रियल एस्टेट एजेंट को भी अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
इन रियल एस्टेट एजेंटस को एक तय फीस भी रेग्युलेटर को जमा करनी होगी।
अगर ये एजेंट भी खरीददार से झूठे वादे करने के दोषी पाए गए तो इन पर भी कानूनी कार्यवाही की जा सकेगी ।

सरकारी भी दायरे में

ऐसा नहीं है कि इस कानून के दायरे में सिर्फ प्राइवेट बिल्डर या डिवेलपर्स ही आएंगे। हाउजिंग और कमर्शल प्रॉजेक्ट बनाने वाले डीडीए, जीडीए जैसे संगठन भी इस कानून के दायरे में आएंगे यानी अगर डीडीए भी वक्त पर फ्लैट बनाकर नहीं देता तो उसे भी खरीददार को उसकी जमा राशि पर ब्याज देना होगा।
यही नहीं कमर्शल प्रॉजेक्टस पर भी रियल एस्टेट रेग्युलेटरी कानून लागू होगा।

चालू प्रॉजेक्टस पर भी लागू

नया लॉन्च होने वाले प्रॉजेक्टस पर तो लागू होगा ही, 30 अप्रैल तक जिन प्रॉजेक्टस को कंप्लीशन सर्टिफिकेट नहीं मिला, वे सभी इस कानून के दायरे में आएंगे।
बिल्डर्स को अपने लॉन्च होने वाले नए प्रॉजेक्टस का तो रजिस्ट्रेशन तो कराना ही होगा, साथ ही 30 अप्रैल को जो प्रोजेक्टस कंप्लीट नहीं हुए, उनका भी तीन महीने के अंदर रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
इस तरह से इन प्रॉजेक्टस में बिल्डर ने कोई गड़बड़ी की है तो उस पर भी यही कानून लागू होगा और देरी होने पर उसे खरीददारों को ब्याज देना होगा।

76 हजार कंपनियां

रियल एस्टेट इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है कि इस कानून का लगभग देश की 76 हजार 44 रियल एस्टेट कंपनियों पर पड़ेगा। यानी, ये सभी इस कानून के दायरे में आएंगी। इनमें सबसे अधिक 17 हजार 431 दिल्ली की हैं जबकि 7,000 से ज्यादा यूपी की और 2,000 से ज्यादा हरियाणा की हैं।
इसी तरह पश्चिम बंगाल में ऐसी 17,000 कंपनियां हैं।
रियल एस्टेट प्रॉजेक्टस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2011 से 2015 के बीच 17 हजार 526 प्रॉजेक्टस लॉन्च हुए, जिनकी कुल लागत 13.70 लाख करोड़ रुपये है।
महत्वपूर्ण है कि देश में हर साल लगभग दस लाख खरीददार इस तरह के प्रॉजेक्टस में निवेश करते हैं।

सेक्टर में उछाल 

इस कानून के लागू होने से ऐसा नहीं है कि सिर्फ खरीददार को ही फायदा होगा बल्कि इसका फायदा इस सेक्टर को भी होगा। जानकारों का मानना है कि अब तक ब्लैक मनी के ठिकाने के रूप में बदनाम रहे इस सेक्टर में पारदर्शिता आएगी।
रेग्युलेटर होने की वजह से डिवेलपर और बिल्डरों की कंपनी का पूरा ब्योरा रेग्युलेटर के पास होगा। चूंकि रेग्युलेटर के पास रजिस्टर कराने के लिए सभी डॉक्युमेंट्स के साथ ही वित्तीय जानकारी भी देनी होगी।

डिवेलपर्स के प्रति विश्वास बढ़ेगा
रियल एस्टेट सेक्टर में काम करने वाली कंपनियों का पूरा लेखाजोखा सामने होगा और लोगों में इनके प्रति विश्वास बढ़ेगा। रियल एस्टेट कंपनियों को सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि उनकी साख बनेगी।

जिससे उन्हें बैंकों और वित्तीय संस्थानों ही नहीं बल्कि मार्केट से भी पैसा उठाने में दिक्कत नहीं आएगी। पारर्शिता की बदौलत ही बैंक भी रियल एस्टेट कंपनियों को लोन देने से इनकार नहीं करेंगे। इसके अलावा बिल्डर्स के लिए सरकारी विभागों से एनओसी लेने में भी कोई परेशानी नहीं  होगा।

मार्केट पर ही निर्भर रेट्स 

रियल एस्टेट कंपनियों के लिए फायदे की बात यह भी है कि उनके प्रॉजेक्ट्स के तहत बिकने वाले मकानों की कीमत सरकार या रेग्युलेटरी अथॉरिटी तय नहीं करेगी बल्कि ये मार्केट पर ही निर्भर करेंगे।

इस कानून के आने के बाद सिर्फ खरीददार ही किंग नहीं बनेगा, बल्कि रियल एस्टेट सेक्टर में भी पारदर्शिता आएगी। यहां तक की बिल्डरों को भी इस कानून का फायदा मिलेगा और उनके लिए बैंकों और वित्तीय संस्थानों से ऋण लेना आसान हो जाएगा।

साथ ही रेरा के मुताबिक अब बिल्डर किसी भी यूनिट की बिक्री कार्पेट एरिया के अनुसार ही करेंगे, अत: कॉमन एरिया एवं पार्किंग एरिया पर स्पष्टता की जरूरत है।

क्रेडाई के स्तर पर भी हम सभी डिवेलपर्स को रेरा के नए नियम एवं लाभों से अवगत करा रहें हैं और साथ ही उनको यह भी शिक्षित कर रहे की रेरा लागू होने बाद मार्केट के हालात किस तरह के होंगे।’

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