राष्ट्रपति ने प्रोफेसर शंख घोष को 52वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया 

The President, Shri Pranab Mukherjee presenting the 52nd Jnanpith Award to Prof. Sankha Ghosh, in New Delhi on April 27, 2017.

राष्ट्रपति ने प्रोफेसर शंख घोष को 52वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया

राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने आज गुरुवार को नई दिल्ली में प्रोफेसर शंख घोष को 52वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि पद्मभूषण प्रोफेसर शंख घोष एक उत्कृष्ट कवि और समालोचक, विख्यात शिक्षक हैं, जो 1977 में ही साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। वह वास्तव में ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त करने के सबसे हकदार व्यक्तियों में से एक हैं। प्रोफेसर शंख घोष बांग्ला भाषा के एक प्रोफेसर तथा गुरूदेव रविन्द्र नाथ टैगोर के कार्यों पर अपनी तरह के एक प्राधिकारी हैं।

क्या है ज्ञानपीठ पुरस्कार

भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। इसमें पुरस्कार स्वरूप 11 लाख रुपये, प्रशस्तिपत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है। प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरुप को प्रदान किया गया था। जिसके उपरान्त अब तक 54 लेखकों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

कब से हुई शुरुआत

प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरुप को प्रदान किया गया था। जिसके बाद यह पुरस्कार हर साल दिया जाता है।
अब तक कितने लोगों को दिया जा चूका है।
अब तक 56 लेखकों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. साल 1967, 1973, 1999, 2006 और 2009 में यह पुरस्कार दो-दो लोगों को दिया गया था।

अब तक इन लेखकों को दिया जा चुका है ज्ञानपीठ पुरस्कार :

1965 (पहला) – जी शंकर कुरुप (मलयालम)
1966 (दूसरा) – ताराशंकर बंधोपाध्याय (बांग्ला)
1967 (तीसरा) – केवी पुत्तपा (कन्नड़) और उमाशंकर जोशी (गुजराती)
1968 (चौथा) – सुमित्रानंदन पंत (हिन्दी)
1969 (5वां) – फिराक गोरखपुरी (उर्दू)
1970 (6वां) – विश्वनाथ सत्यनारायण (तेलुगु)
1971 (7वां) – विष्णु डे (बांग्ला)
1972 (8वां) – रामधारी सिंह दिनकर (हिन्दी)
1973 (9वां) – दत्तात्रेय रामचंद्र बेन्द्रे (कन्नड़) और गोपीनाथ महान्ती (ओड़िया)
1974 (10वां) – विष्णु सखा खांडेकर (मराठी)
1975 (11वां) – पी.वी. अकिलानंदम (तमिल)
1976 (12वां) – आशापूर्णा देवी (बांग्ला)
1977 (13वां) – के. शिवराम कारंत (कन्नड़)
1978 (14वां) – एच. एस. अज्ञेय (हिन्दी)
1979 (15वां) – बिरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य (असमिया)
1980 (16वां) – एस.के. पोट्टेकट  (मलयालम)
1981 (17वां) – अमृता प्रीतम (पंजाबी)
1982 (18वां) – महादेवी वर्मा (हिन्दी)
1983 (19वां) – मस्ती वेंकटेश अयंगर (कन्नड़)
1984 (20वां) – तक्षी शिवशंकरा पिल्लई (मलयालम)
1985 (21वां) – पन्नालाल पटेल (गुजराती)
1986 (22वां) – सच्चिदानंद राउतराय (ओड़िया)
1987 (23वां) – विष्णु वामन शिरवाडकर कुसुमाग्रज (मराठी)
1988 (24वां) – डॉ. सी नारायण रेड्डी (तेलुगु)
1989 (25वां) – कुर्तुल एन. हैदर (उर्दू)
1990 (26वां) – वी.के.गोकक (कन्नड़)
1991 (27वां) – सुभाष मुखोपाध्याय (बांग्ला)
1992 (28वां) – नरेश मेहता (हिन्दी)
1993 (29वां) – सीताकांत महापात्र (ओड़िया)
1994 (30वां) – यूआर अनंतमूर्ति (कन्नड़)
1995 (31वां) – एमटी वासुदेव नायर (मलयालम)
1996 (32वां) – महाश्वेता देवी (बांग्ला)
1997 (33वां) – अली सरदार जाफरी (उर्दू)
1998 (34वां) – गिरीश कर्नाड (कन्नड़)
1999 (35वां) – निर्मल वर्मा (हिन्दी) और गुरदयाल सिंह (पंजाबी)
2000 (36वां) – इंदिरा गोस्वामी (असमिया)
2001 (37वां) – राजेन्द्र केशवलाल शाह (गुजराती)
2002 (38वां) – दण्डपाणी जयकान्तन (तमिल)
2003 (39वां) – विंदा करंदीकर (मराठी)
2004 (40वां) – रहमान राही (कश्मीरी)
2005 (41वां) – कुंवर नारायण (हिन्दी)
2006 (42वां) – रवीन्द्र केलकर (कोंकणी) और सत्यव्रत शास्त्री (संस्कृत)
2007 (43वां) – ओएनवी कुरुप (मलयालम)
2008 (44वां) – अखलाक मुहम्मद खान शहरयार (उर्दू)
2009 (45वां) – अमरकान्त व श्रीलाल शुक्ल (हिन्दी)
2010 (46वां) – चन्द्रशेखर कम्बार (कन्नड)
2011 (47वां) – प्रतिभा राय (ओड़िया)
2012 (48वां) – रावुरी भारद्वाज (तेलुगू)
2013 (49वां) – केदारनाथ सिंह (दोनों हिन्दी)
2014 (50वां) – भालचन्द्र नेमाड़े (मराठी)
2015  (51वां) – रघुवीर चौधरी (गुजराती)

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