भारतीय कंपनियों के विलय एवं अधिग्रहण सौदे मार्च में चार गुना बढकर 27.82 अरब डॉलर पर पहुंच गए। इसमें वोडाफोन-आइडिया का विलय सौदा भी है।
ग्रांट थॉर्नटन की एक रिपोर्ट के अनुसार 2017 की पहली तिमाही में कुल विलय एवं अधिग्रहण सौदों का आंकडा 31.54 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
जनवरी-मार्च तिमाही में कुल सौदा गतिविधियों में उल्लेखनीय उछाल आया। मूल्य के हिसाब से इसमें तीन गुना का इजाफा हुआ। इसमें मुख्य योजना वोडाफोन-आइडिया के विलय सौदे की है। सौदों के कुल मूल्य में वोडाफोन-आइडिया का हिस्सा करीब 80 प्रतिशत बैठता है।
ग्रांट थॉर्नटन इंडिया एलएलपी के भागीदार प्रशांत मेहरा ने कहा, भारत में सौदा गतिविधियों में मुख्य रूप से बडे विलय एवं अधिग्रहण सौदों का हिस्सा रहा। तिमाही के दौरान देश में सबसे बडे सौदों में से एक सौदा वोडाफोन-आइडिया का हुआ। मूल्य के हिसाब से यह विलय 27 अरब डॉलर का बैठता है।
बाजार अध्ययन कंपनी ग्रांट थॉर्नटन के इस साल जनवरी से मार्च के बीच कराये गये सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है। कंपनी द्वारा जारी वैश्विक उम्मीद सूचकांक में भारत दुनिया में चौथे और बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में पहले स्थान पर रहा है। इस मामले में वह सिर्फ इंडोनेशिया, फिलीपींस और माल्टा से पीछे है। पड़ोसी देश चीन में महज 48 प्रतिशत कंपनियां ही अर्थव्यवस्था में सुधार के प्रति आशावान हैं।
यह रिपोर्ट 37 देशों की 2,600 कंपनियों के बीच कराये गये सर्वेक्षण के आधार पर तैयार की गयी है।
निर्यात बढ़ने को लेकर भी सकारात्मक सोच रखने वाले कंपनियों की संख्या बढ़ी है। पिछले साल की अंतिम तिमाही में जहां 28 प्रतिशत कंपनियों ने कहा था कि भारत का निर्यात बढ़ेगा वहीं हालिया सर्वेक्षण में ऐसा मानने वालों की संख्या बढ़कर 34 प्रतिशत पर पहुंच गयी। सर्वेक्षण के 56 प्रतिशत प्रतिभागियों का मानना है कि देश में रोजगार के अवसर बढ़ने की संभावना है जबकि 55 प्रतिशत का कहना है कि कंपनियों का मुनाफा बढ़ेगा।
भारत में ग्रांट थॉर्नटन के पार्टनर हरीश एच.वी. ने कहा,” चीन, अमेरिका, यूरोप, ब्रिटेन जैसे बड़े बाजारों की तुलना
में भारतीय कंपनियां दीर्घावधि के बारे में ज्यादा आशावान हैं। इससे उनका आत्मविश्वास और सरकार की नीतियों को लेकर उनकी सकारात्मक सोच परिलक्षित होती है। जीएसटी लागू होने से उनकी उम्मीदें और बढ़ेंगी।”