साथ छोड़ गया ‘’एक थी रानी ऐसी भी’’ का राजा विनोद खन्ना
फिल्म अभिनेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री विनोद खन्ना का आज सुबह कैंसर की बीमारी से हार गए। विनोद खन्ना हमारे बीच नहीं रहे, इसका यकीन उन दर्शकों को नहीं हो रहा है जिन्होंने पिछले सप्ताह ही एक थी रानी ऐसी भी फिल्म में उन्हें राजा की भूमिका में देखा। स्वस्थ्य, प्रसन्न और हट्टे-कट्टे। एक थी रानी ऐसी भी विनोद खन्ना के जीवन की आखिरी फिल्म साबित हुई। यह फिल्म देश के सबसे प्रतिष्ठित राज परिवार सिंधिया साम्राज्य की रानी विजयाराजे सिंधिया के जीवन पर आधारित है। फिल्म की पटकथा गोवा की राज्यपाल मृदला सिन्हा द्वारा लिखी गई किताब राजपथ से लोकपथ पर आधारित है। इस फिल्म से पूर्व विनोद खन्ना वर्ष 2015 में शाहरूख खान के साथ दिलवाले में नजर आए थे। उनका फिल्मी कैरियर वर्ष 1968 में शुरू हुआ था।
केन्द्रीय मंत्री के रूप में विनोद खन्ना
पंजाब के गुरदासपुर क्षेत्र से चार बार भाजपा के सांसद रहे विनोद खन्ना ने पहली बार 1997 में चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज की। इसके बाद उन्होंने 1999, 2004, 2009 व 2014 में चुनाव लड़ा। 2009 को छोड़कर उन्होंने हर बार जीत दर्ज की। विनोद खन्ना क्षेत्र में काफी सक्रिय रहते थे, लेकिन इस बार चुनावी जीत के बाद बीमारी के कारण वह क्षेत्र में कम ही दिखे। विनोद खन्ना 2002 में केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री भी रहे।
विनोद खन्ना का परिवार
फिल्मी दुनिया से राजनीति में कदम रखने वाले विनोद खन्ना का जन्म 7 अक्टूबर, 1946 को पाकिस्तान स्थित पेशावर में हुआ। विभाजन के बाद इनका परिवार मुंबई आकर बस गया था। इनके पिता किशनचन्द्र खन्ना एक बिजनेसमैन रहे हैं और माता कमला खन्ना एक हाउसवाइफ रही है।
विनोद बचपन में बेहद शर्मीले थे, स्कूल के दौरान उन्हें एक टीचर ने जबरदस्ती नाटक में हिस्सा लेने को कहा, इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। पिता की इच्छा के विपरीत उन्होंने फिल्मी दुनिया में कदम रख दिया।
विनोद की पहली पत्नी गीतांजली। विनोद और गीतांजली के दो बेटे अक्षय और राहुल खन्ना हैं।
1990 में विनोद ने कविता से दूसरी शादी की। कविता और विनोद का एक बेटा साक्षी और बेटी श्रद्धा है।
खलनायक की भूमिका से की शुरुआत
विनोद खन्ना को 1968 में सुनील दत्त ने फिल्म मन का मीत में खलनायक का रोल देकर लांच किया। इसके बाद विनोद खन्ना ने फिल्मी दुनिया में अपने पांव जमा दिए। अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना की जोड़ी को दर्शकों ने काफी पसंद किया।
विनोद खन्ना ने ‘मेरे अपने’, ‘कुर्बानी’, ‘पूरब और पश्चिम’, ‘रेशमा और शेरा’, ‘हाथ की सफाई’, ‘हेरा फेरी’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’ जैसी कई शानदार फिल्में की हैं. विनोद खन्ना का नाम ऐसे एक्टर्स में शुमार था जिन्होंने शुरुआत तो विलेन के किरदार से की थी लेकिन बाद में हीरो बन गए. विनोद खन्ना ने 1971 में सोलो लीड रोल में फिल्म ‘हम तुम और वो’ में काम किया था.
परवरिश से बड़ा ब्रेक
1977 में अमिताभ बच्चन के साथ की गई फिल्म ‘परवरिश’ ने उन्हें बड़ा ब्रेक दिलाया। पहली बार इसी फिल्म से उन्होंने स्टारडम का स्वाद चखा। विनोद को 1971 में पहली सोलो लीड फिल्म ‘हम तुम और वो’ मिली। बाद में गुलजार के ‘मेरे अपने’ में शत्रुघ्न सिन्हा के अपोजिट निभाए गए उनके किरदार को आज भी लोग याद करते हैं। गुलजार की ही फिल्म ‘अचानक’ में मौत की सजा पाए आर्मी अफसर का किरदार निभाने के लिए भी उन्हें काफी तारीफ मिली। बाद में अमिताभ के अपोजिट हेराफेरी, खून पसीना, अमर अकबर एंथनी, मुकद्दर का सिकंदर में भी उन्होंने यादगार रोल निभाया।
अमिताभ पर पड़ते भारी
कहा जाता है कि अगर विनोद खन्ना ओशो के आश्रम न जाते तो आने वाले वक्त में वह अमिताभ बच्चन के स्टारडम को फीका कर देते। बहुत कम लोग ही जानते हैं कि विनोद खन्ना की सबसे हिट फिल्मों में से एक ‘कुर्बानी’ का रोल पहले अमिताभ बच्चन को ही ऑफर किया गया था। उन्होंने यह रोल ठुकरा दिया, जिसके बाद विनोद खन्ना ने यह किरदार निभाया। बाद में विनोद को ‘रॉकी’ फिल्म ऑफर की गई, लेकिन उन्होंने यह फिल्म नहीं की। इस फिल्म से संजय दत्त ने बॉलिवुड में एंट्री ली।
ड्रीम गर्ल के साथ आखिरी फिल्म
राजमाता विजयाराजे सिंधिया के जीवन पर बनी फिल्म ‘एक थी रानी ऐसी भी’ में हेमा मालिनी के साथ विनोद खन्ना की आखिरी फिल्म थी। यह फिल्म 21 अप्रैल को देश भर में रिलीज हुई। इस फिल्म में अभिनेत्री एवं मथुरा लोकसभा सीट से भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने विजयाराजे की भूमिका निभाई है। उनके अलावा, इस फिल्म में विनोद खन्ना, सचिन खेडेकर एवं राजेश शृंगारपुरे भी नजर आएंगे।
