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संघ मैदान में आया है तो चुनाव का मुद्दा राम और पाकिस्तान ही होगा

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हिन्दी भाषी तीन राज्यों की चुनाव प्रक्रिया के बीच आए दशहरे के त्यौहार ने इस बात के स्पष्ट संकेत दिए हैं कि मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की भाजपा सरकार को बचाने के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्त्ता राम और पाकिस्तान का अस्त्र लेकर चुनाव मैदान में प्रचार करते नजर आएंगे।

अब तक तीनों राज्यों में सरकार की नाकामी चुनाव का मुद्दा बने हुए हैं। कांग्रेस भाजपा के तीनों मुख्यमंत्रियों पर लगातार हमलावर है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मध्यप्रदेश पर विशेष तौर पर फोकस कर रहे हैं। भाजपा के नेताओं द्वारा राहुल गांधी का बाबा कह कर उठाया जा रहा उपहास पर भी वोटर ताली नहीं बजा रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यह महसूस कर रहा है कि इन तीनों राज्यों में भाजपा को अपनी सत्ता बचाने के लिए चुनावी रणनीति में व्यापक बदलाव करना होंगे। 

मोहन भागवत के राम मंत्र को ब्रह्मास्त्र के तौर पर उपयोग करेगी भाजपा 

हिन्दू ग्रंथों और शास्त्रों में ब्रह्मास्त्र का उल्लेख कई स्थानों पर देखने को मिलता है। अर्जुन के पास भी ब्रह्मास्त्र था। उन्होंने इसका उपयोग महाभारत में किया था। भारतीय जनता पार्टी देश की चुनावी राजनीति में राम का उपयोग ब्रह्मास्त्र के तौर पर करती है। राम के नाम का उपयोग वोटों का बंटवारा हिन्दू-मुस्लिम के तौर पर किए जाने के लिए किया जाता है। राम का यह मुद्दा केवल हिन्दीभाषी राज्यों में असर करता दिखाई देता है। दक्षिण भारत में राम का असर राजनीति पर नहीं पड़ता है। उत्तरप्रदेश से लेकर हरियाणा तक के चुनाव में भाजपा के नेताओं ने अपने-अपने तरीके से राम नाम का जप किया था। पाकिस्तान और घुसपैठिया जैसे मुद्दे, वोटों के धुर्वीकरण के लिए उभरे गए।

मध्यप्रदेश,राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनाव के लिए वोट डाले जाने की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है वैसे-वैसे मुद्दे भी बदलते हुए दिखाई दे रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने दशहरे के मौके पर अपने वार्षिक संबोधन में राम का जिक्र कर भावी चुनावी रणनीति के संकेत दिए हैं। भागवत ने कहा कि अब राम मंदिर निर्माण के लिए केन्द्र सरकार को कानून बनाना चाहिए। अयोध्या की विवादास्पद बाबरी मस्जिद जिस स्थान पर है उसी स्थान पर भगवान श्री राम का जन्म हुआ था, यह दावा विश्व हिन्दू परिषद द्वारा कई शोध के आधार पर लगातार किया जाता रहा है। जमीन के स्वामित्व को लेकर मामला अभी ऊपरी अदालत में चल रहा है। इस पर सुनवाई भी जल्द शुरू होने वाली है। संघ चाहता है कि केन्द्र सरकार कानून बनाकर जमीन के स्वामित्व का मसला हल कर दे। संघ को यह उम्मीद है कि कानून बनने के बाद हिन्दू समुदाय स्वत: इसके पक्ष में खड़ा हो जाएगा। कांग्रेस अथवा अन्य दलों का विरोध भाजपा को लाभ देने वाला होगा।

माना यह जा रहा है कि संघ प्रमुख ने यह बयान देने से पूर्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से विमर्श किया होगा। मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने जिस तरह से अदालत के आदेश को दरकिनार कर एट्रोसिटी एक्ट में बदलाव किया है,उससे उच्च वर्ग में भाजपा की स्थिति कमजोर हुई है। भाजपा उच्च वर्ग को वापस अपनी और लाने के लिए मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाने का कार्ड खेल रही है। इससे पहले मंदिर निर्माण के मामले में भाजपा अदालत के आदेश का पालन करने की बात करती रही है। राहुल के मंदिर-मंदिर जाने से कमजोर पड़ रहा है.

गुजरात चुनाव के बाद से कांग्रेस की रणनीति में बदलाव ने भी भाजपा और संघ को राम मंदिर को लेकर बैकफुट पर लाकर खड़ा कर दिया है। राहुल गांधी पिछले एक साल से लगातार कांग्रेस की छवि में बदलाव लाने के लिए देश के सभी प्रमुख हिन्दू धर्म स्थानों पर जाकर पूजा-अर्चना कर रहे हैं। पिछले दो दशक में कांग्रेस की छवि अल्पसंख्यकों का पक्ष लेने वाली पार्टी के तौर गहरी हो गई है। भाजपा, कांग्रेस को बहुसंख्यक विरोधी पार्टी के रूप में प्रचारित करती रही है। राहुल गांधी के मंदिर-मंदिर जाने से भाजपा को कांग्रेस के खिलाफ अपनी मुहिम चलाने में भी मुश्किल आ रही है।

गुजरात चुनाव में राहुल की रणनीति का असर देखने को मिला। भाजपा बमुश्किल अपनी सरकार बचा पाई थी। मध्यप्रदेश में भी राहुल गांधी की कोशिश है कि वोटों का धुर्वीकरण धर्म के आधार पर न हो। राहुल गांधी,भाजपा से नाराज उच्च वर्ग को अपने साथ लाने के लिए अल्पसंख्यकों के समर्थन की बात से लगातार बच रहे हैं। वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर राफेल को लेकर लगातार हमले कर रहे हैं। मध्यप्रदेश में पचास से अधिक ऐसी विधानसभा सीटें हैं जहां वोटों का धुर्वीकरण होने पर कांग्रेस को बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है। राम का नाम न होने के कारण भाजपा को ऐसी सीटें बचाना मुश्किल दिखाई दे रहा है।

संघ के जरिए असंतुष्टों को साधना चाहते हैं शिवराज

मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव से अब तक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने अपने आपको दूर रखा था। हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भोपाल स्थित संघ कार्यालय समिधा में जाकर वहां पदाधिकारियों से मुलाकात की थी। शाह को मध्यप्रदेश के बारे में जो फीडबैक मिला हैं, उसमें जमीनी हालात सरकार बनने लायक नहीं दिखी कार्यकर्त्ता नाराज हैं। उच्च वर्ग सपाक्स की ओर जाता दिखाई दे रहा है। कुछ स्थानों पर तो शाह को भी एट्रोसिटी एक्ट के खिलाफ प्रदर्शन देखना पड़ा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चेहरे को लेकर भी जनता में नाराजगी देखने को मिली है। शाह के आग्रह पर संघ राज्य में भाजपा की मदद के लिए तैयार हो गया है। संघ ने जो फीडबैक भाजपा को दिया है, उसमें अस्सी मौजूदा विधायकों को बदलने के लिए कहा गया है। पार्टी उम्मीदवारों के चयन में भी संघ की राय ले रही है। संघ के पदाधिकारी लगातार भाजपा नेताओं के साथ बैठक कर रहे हैं। संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान के बाद संघ के कार्यकर्त्ताओं को राम मंदिर पर काननू की चर्चा के लिए लोगों के बीच भेजा जा रहा है।

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