शरद पूर्णिमा भी दीपावली के समान ही बड़ा पर्व है। इस दिन किए गए जत-तप अनुष्ठान से लक्ष्मी प्रसंन्न् होती हैं और स्थायी रूप से घर में निवास करती हैं।
नेत्र सुरक्षा के लिए शरद पूर्णिमा का प्रयोग
वर्षभर आंखें स्वस्थ रहे, इसके लिए शरद पूनम (30 अक्टूबर 2020) शुक्रवार की रात को चन्द्रमा की चांदनी में एक सुई में धागा पिरोने का प्रयास करें ।
कोई अन्य प्रकाश नहीं होना चाहिए ।
वास्तु शास्त्र
गुलाब, चंपा व चमेली के पौधे घर में लगाना अच्छा माना जाता है।
इससे मानसिक तनाव व अवसाद में कमी आती है।
शरद पूर्णिमा रात्रि में चन्द्रमा की किरणों में रखी हुई दूध – चावल की खीर का सेवन पित्तशामक व स्वास्थ्यवर्धक है |
इस रात को सुई में धागा पिरोने से नेत्रज्योति बढ़ती है।
पान का पूजा में विशेष महत्व बताया गया है।
शरद पूर्णिमा के दिन पान खाना शुभ माना जाता है
पूजा में मां लक्ष्मी को भी पान चढ़ाएं और उसके बाद इसे प्रसाद के रूप में घर के सभी सदस्यों में बांट दें।
पान को समृद्धि का प्रतीक मान जाता है और सभी प्रकार के धार्मिक पूजापाठ में इसका प्रयोग किया जाता है।
मां लक्ष्मी को सफेद और पीली कौड़ियां बेहद प्रिय मानी जाती हैं।
शरद पूर्णिमा के दिन आप शाम की पूजा में कौड़ियां रखकर मां को प्रसन्न कर सकते हैं।
आपको करना यह है कि पूजा में 5 कौड़ियां रखें और पूजा के बाद लाल वस्त्र में लपेटकर अलमारी में पैसों के साथ रख दें। आपके घर में हमेशा बरकत बनी रहेगी।
शरद पूनम रात को आध्यात्मिक उत्थान के लिए बहुत फायदेमंद है ।
इसलिए सबको इस रात को जागरण करना चाहिए अर्थात जहाँ तक संभव हो सोना नही चाहिए और इस पवित्र रात्रि में जप, ध्यान, कीर्तन करना चाहिए ।

दिनांक 30 अक्टूबर 2020
दिन – शुक्रवार
विक्रम संवत – 2077 (गुजरात – 2076)
शक संवत – 1942
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – हेमंत
मास – अश्विन
पक्ष – शुक्ल
तिथि – चतुर्दशी शाम 05:45 तक तत्पश्चात पूर्णिमा
नक्षत्र – रेवती दोपहर 02:57 तक तत्पश्चात अश्विनी
योग – वज्र 31 अक्टूबर प्रात 03:33 तक तत्पश्चात सिद्धि
राहुकाल – सुबह 10:57 से दोपहर 12:22 तक
सूर्योदय – 06:41
सूर्यास्त – 18:03
दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व विवरण – शरद पूर्णिमा (खीर चन्द्रकिरणों में रखें), माणेकठारी-कोजागरी पूर्णिमा
विशेष – चतुर्दशी और पूर्णिमा के दिन ब्रह्मचर्य पालन करे तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है
