शनिवार को एकादशी का संयोग बना है। पीपल का वृक्ष एक चमत्कारी वृक्ष है। खासकर ग्रह पीड़ा से मुक्ति के लिए।
हर शनिवार की शाम पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दिया जलाना हमें अपनी आदत बनाना चाहिए।
ब्रह्म पुराण’ में शनिदेव कहते हैं- ‘मेरे दिन अर्थात शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे
उनको कोई पीड़ा नहीं होगी।
जो शनिवार को प्रात:काल उठकर पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।’ (ब्रह्म पुराण’)
शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय। का 108 बार जप करने से दु:ख, कठिनाई एवं ग्रह दोषों का प्रभाव शांत हो जाता है।
पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है ।
एकादशी भी इन बातों का रखें ध्यान
हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है। ह्णराम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।
इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है
एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।
*एकादशी को चावल खाना वर्जित है । एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं
जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।
घरेलू टोटक
शांति के साथ आर्थिक सम्पन्नता लाने हेतु सोते समय किसी सफेद कागज में थोडा-सा कपूर रखें ।
प्रात: उसे घर से बाहर जला दें। इससे घर में शांति के साथ आर्थिक सम्पन्नता आती है |
संध्या के समय घर में किसीको सोना नहीं चाहिए ।
संध्या के समय घर के प्रत्येक कक्ष में कुछ देर के लिए रोशनी जरूर कर दें ।
यदि सम्भव हो तो बीमार व्यक्ति भी भले बिस्तर पर ही सही, निद्रा त्यागकर बैठ जाएं।
सभी लोग मन-ही-मन भगवन्नाम का सुमिरन करें | इससे घर में सुख-शांति की वृद्धि होती है।
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पंचांग दिनांक 15 अगस्त 2020

दिनांक 15 अगस्त 2020
दिन – शनिवार
विक्रम संवत – 2077 (गुजरात – 2076)
शक संवत – 1942
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – वर्षा
मास – भाद्रपद (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार – श्रावण)
पक्ष – कृष्ण
तिथि – एकादशी दोपहर 02:20 तक तत्पश्चात द्वादशी
नक्षत्र – मॄगशिरा सुबह 06:36 तक तत्पश्चात आद्र्रा
योग – हर्षण सुबह 09:09 तक तत्पश्चात वज्र
राहुकाल – सुबह 09:19 से सुबह 10:55 तक
सूर्योदय – 06:18
सूर्यास्त – 19:07
दिशाशूल – पूर्व दिशा में
व्रत पर्व विवरण – अजा एकादशी, स्वतंत्रता दिवस
