रविवार पंचांग
विक्रम संवत – 2077 (गुजरात – 2076)
शक संवत – 1942
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – वर्षा
मास – भाद्रपद (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार – श्रावण)
पक्ष – कृष्ण
तिथि – षष्ठी पूर्ण रात्रि तक
नक्षत्र – रेवती शाम 07:07 तक तत्पश्चात अश्विनी
योग – धृति सुबह 06:46 तक तत्पश्चात शूल
राहुकाल – शाम 04:30 से शाम 06:00 तक स्थानीय समयनानुसार
सूर्योदय – 06:16
सूर्यास्त – 19:11
रविवार दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व विवरण – हल षष्ठी है। ग्रामीण भारत में लोग आज के दिन उस सामग्री का उपयोग खाने के लिए नहीं करते,जिनके लिए हल चलाया जाता है।
विशेष -प्रत्येक षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड 27.29-34)
रविवार को वर्जित कार्य:ब्रह्मचर्य पालन करें

रविवार को वर्जित कार्य
ब्रह्मचर्य पालन करें तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड 27.29-38)
मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंड 75.90)
काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंड 75)
स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।
जिनका आज जन्म दिन हैं उनको हार्दिक शुभकामनाएं
अंक ज्योतिष का सबसे आखरी मूलांक है नौ। आपके जन्मदिन की संख्या भी नौ है। यह मूलांक भूमि पुत्र मंगल के अधिकार में रहता है। आप बेहद साहसी हैं। आपके स्वभाव में एक विशेष प्रकार की तीव्रता पाई जाती है। आप सही मायनो में उत्साह और साहस के प्रतीक हैं।
मंगल ग्रहों में सेनापति माना जाता है। अत: आप में स्वाभाविक रूप से नेतृत्त्व की क्षमता पाई जाती है। लेकिन आपको बुद्धिमान नहीं माना जा सकता। मंगल के मूलांक वाले चालाक और चंचल भी होते हैं। आपको लड़ाई-झगड़ों में भी विशेष आनंद आता है। आपको विचित्र साहसिक व्यक्ति कहा जा सकता है।
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