Homeधर्मवामन जयंती पर व्रत,पूजन करते हैं पूरी मनोकामना

वामन जयंती पर व्रत,पूजन करते हैं पूरी मनोकामना

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वामन भगवान श्री हरि विष्णु का ही एक रूप है। भाद्रपद मास की द्वादसी को भगवान श्री हरि विष्णु ने वामन रूप में धारण किया था। इसे वामन जयंती भी कहते हैं।
श्रीमद्ध भागवत पुराण के अनुसार, इसी तिथि पर भगवान वामन का प्राकट्य हुआ था। इस बार वामन द्वादशी 29 अगस्त, शनिवार को है।

वामन द्वादशी का व्रत और पूजन की विधि

वैष्णव भक्तों को इस दिन उपवास करना चाहिए।

सुबह स्नान आदि करने के बाद वामन द्वादशी व्रत का संकल्प लेना चाहिए।

दोपहर (अभिजित मुहूर्त) में भगवान वामन की पूजा करनी चाहिए।

इसके बाद एक बर्तन में चावल, दही और शक्कर रखकर किसी योग्य ब्राह्मण को दान करना चाहिए।
शाम के समय व्रती (व्रत करने वाला) को फिर से स्नान करने के बाद भगवान वामन का पूजन करना चाहिए।

व्रत कथा सुननी चाहिए। इसके बाद ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए।

स्वयं फलाहार करना चाहिए।

इस तरह व्रत व पूजन करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं।

तीन पग की कथा में छुपा है मुक्ति का मार्ग

दैत्यराज बलि
श्री हरि विष्णु वामन रूप में

एक बार दैत्यराज बलि ने इंद्र को परास्त कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया।

पराजित इंद्र की दयनीय स्थिति को देखकर उनकी मां अदिति बहुत दुखी हुईं।

उन्होंने अपने पुत्र के उद्धार के लिए विष्णु की आराधना की।
इससे प्रसन्न होकर भगवान श्री विष्णु प्रकट होकर बोले- देवी! चिंता मत करो। मैं तुम्हारे पुत्र के रूप में जन्म लेकर इंद्र को उसका खोया राज्य दिलाऊंगा।

समय आने पर उन्होंने अदिति के गर्भ से अवतार लिया।

उनके ब्रह्मचारी रूप को देखकर सभी देवता और ऋषि-मुनि आनंदित हो उठे।
एक दिन उन्हें पता चला कि राजा बलि स्वर्ग पर स्थायी अधिकार जमाने के लिए अश्वमेघ यज्ञ करा रहा है।

यह जानकर वामन वहां पहुंचे। उनके तेज से यज्ञशाला प्रकाशित हो उठी।

बलि ने उन्हें एक उत्तम आसन पर बिठाकर उनका सत्कार किया। उनसे भेंट मांगने के लिए कहा।

पाताल का अधिपति बना दैत्यराज बलि

इस पर वामन चुप रहे।

लेकिन जब बलि उनके पीछे पड़ गया तो उन्होंने अपने कदमों के बराबर तीन पग भूमि भेंट में मांगी।

बलि ने उनसे और अधिक मांगने का आग्रह किया। लेकिन, वामन अपनी बात पर अड़े रहे।

इस पर बलि ने हाथ में जल लेकर तीन पग भूमि देने का संकल्प ले लिया।

संकल्प पूरा होते ही वामन का आकार बढ़ने लगा और वे वामन से विराट हो गए।

वामन रूप में एक पग से पृथ्वी और दूसरे से स्वर्ग को नाप लिया।

तीसरे पग के लिए बलि ने अपना मस्तक आगे कर दिया।

वह बोला- प्रभु, संपत्ति का स्वामी संपत्ति से बड़ा होता है। तीसरा पग मेरे मस्तक पर रख दें।

सब कुछ गंवा चुके बलि को अपने वचन से न फिरते देख वामन प्रसन्न हो गए।

उन्होंने ऐसा ही किया और बाद में उसे पाताल का अधिपति बना दिया और देवताओं को उनके भय से मुक्ति दिलाई।

विस्तृत के लिए देखें- https://powergallery.in/

aaj ka rashifal
13 august

दिनांक 28 अगस्त 2020
दिन – शुक्रवार
विक्रम संवत – 2077 (गुजरात – 2076)
शक संवत – 1942
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद
मास – भाद्रपद
पक्ष – शुक्ल
तिथि – दशमी सुबह 10:38 तक तत्पश्चात एकादशी
नक्षत्र – मूल दोपहर 12:37 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढा
योग – प्रीति शाम 04:05 तक तत्पश्चात आयुष्मान्
राहुकाल – सुबह 10:54 से दोपहर 12:28 तक
सूर्योदय – 06:22
सूर्यास्त – 18:56
(सूर्योदय और सूर्यास्त के समय मे अलग अलग जिलों में अंतर हो सकता है)
दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व विवरण –
विशेष – 28 अगस्त 2020 शुक्रवार को सुबह 08:39 से 29 अगस्त शनिवार को सुबह 08:17 तक एकादशी है ।
29 अगस्त, शनिवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें ।

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