Homeनौकरशाह‘अब हमें अन्य राज्यों से बिजली मांगनी नहीं पड़ेगी, हम भी बेचेंगे’

‘अब हमें अन्य राज्यों से बिजली मांगनी नहीं पड़ेगी, हम भी बेचेंगे’

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‘अब हमें अन्य राज्यों से बिजली मांगनी नहीं पड़ेगी, हम भी बेचेंगे’

नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव एवं ऊर्जा विकास निगम के एमडी मनु श्रीवास्तव का मानना है कि नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में मध्यप्रदेश अन्य राज्यों की अपेक्षा बेहतर काम कर रहा है। यही कारण है कि आज मध्यप्रदेश रीवा जिले में दुनिया का सबसे बड़ा पॉवर प्रोजेक्ट लगा रहा है। वे कहते हैं कि आने वाले दिनों में मध्यप्रदेश की बिजली से ही दिल्ली की मेट्रो ट्रेन दौड़ेगी। इसके अलावा अन्य राज्यों को भी मध्यप्रदेश बिजली उपलब्ध कराएगा। प्रदेशवासियों को सस्ती दरों पर बिजली देने पर वे कहते हैं कि अब चाहें तो हमारे यहां के लोग खुद अपने घर की छत पर बिजली बना सकते हैं और सरप्लस बिजली होने पर उसे विद्युत वितरण कंपनी को बेच भी सकते हैं। 1991 बैच के आईएएस श्रीवास्तव कहते हैं कि अब हमें अन्य राज्यों से बिजली नहीं खरीदनी पड़ेगी, बल्कि अन्य राज्य हमसें बिजली लेंगे। अफसरों के सोशल मीडिया पर सक्रियता को लेकर उनका मानना है कि लोकतंत्र में अपने विचार रखने की आजादी हर किसी को है। सोशल मीडिया एक ऐसा प्लेटफार्म है जिस पर सब कोई अपने विचार प्रकट कर सकता है, लेकिन कंट्रोवर्सी से बचना चाहिए। पावर गैलरी के विशेष संवाददाता ने उनसे कई मुद्दों पर चर्चा की।

पेश है चर्चा के मुख्य अंश …

  • रीवा में लग रहे सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट से मध्यप्रदेश को किस तरह का लाभ होगा?

रीवा में लग रहा सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट मध्यप्रदेश सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है। यह पॉवर प्लांट संभवत: विश्व का सबसे बड़ा सोलर पॉवर प्लांट है। रीवा जिले में 750 मेगावाट की परियोजना 250 मेगावाट की तीन इकाइयों के रूप में विकसित की जा रही हैं। इस सौर ऊर्जा पॉवर प्लांट से करीब साढेÞ सात सौ मेगावाट सोलर एनर्जी का उत्पादन होगा। इस सौर ऊर्जा प्लांट में साढ़े चार हजार करोड़ रुपए का निवेश हुआ है। वर्ल्ड ग्रीन टेक्नोलॉजी से इसके लिए हमें 0.25 प्रतिशत ब्याज पर ऋण मिला है। इससे उत्पादित 76 प्रतिशत बिजली मप्र को मिलेगी और बाकी बची 24 प्रतिशत बिजली अन्य राज्यों को बेचेंगे। हम इस बिजली को दिल्ली मेट्रो और अन्य राज्यों को बेचने जा रहे हैं। दिल्ली में चलने वाली मेट्रो ट्रेन सहित अन्य उपयोग में हमारे प्रदेश में बनी बिजली उपयोग की जाएगी। यह पहला मौका है जब सोलर एनर्जी इतनी बड़ी मात्रा में हम बेचेंगे। दिल्ली मेट्रो को दी जाने वाली बिजली की दर वर्तमान बिजली की दर से आधी है, जिससे उन्हें 100 करोड़ रुपए की प्रतिवर्ष बचत होगी। अब हम मध्यप्रदेश के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को एक उदाहरण या मिसाल के रूप में अन्य राज्यों के समक्ष रखेंगे, ताकि वे इसे आधार मानकर इस तरह से प्रोजेक्ट शुरू करें। हमें उम्मीद है कि इसका अन्य राज्यों से हमें बेहतर रिस्पांस मिलेगा। डेढ़ साल बाद इस प्रोजेक्ट से बिजली का उत्पादन शुरू हो जाएगा।

  • यदि हम देश के अन्य राज्यों से तुलना करें तो नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में मध्यप्रदेश को कहां पाते हैं?

निश्चित रूप से मध्यप्रदेश सरकार नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में बेहतर काम कर रही है। खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी की इस प्रोजेक्ट में गहरी दिलचस्पी है। वे समय-समय पर इस प्रोजेक्ट की समीक्षा भी करते हैं। मध्यप्रदेश में अब तक 3200 मेगावाट की परियोजना लग चुकी है और इसमें से वर्ष 2015-16 यानी पिछले दो साल में दो तिहाई परियोजनाएं लगाई जा चुकी हैं। रीवा में लगने वाले प्रोजेक्ट का काम भी काफी हद तक पूरा हो चुका है। वहां से भी जल्द ही उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है। इसके अलावा मंदसौर में एक हजार मेगावाट की परियोजना से 250 मेगावॉट बिजली उत्पादन शुरू हो चुका है। अन्य इकाइयों में भी काम चल रहा है। जहां तक अन्य राज्यों से तुलना करे तो नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में मध्यप्रदेश काफी बेहतर काम कर रहा है और निश्चित रूप से हम अव्वल बने हुए हैं।

 

  • प्रदेश की जनता को सस्ती दरों पर बिजली उपलब्ध कराने की दिशा में क्या काम किया जा रहा है?

देखिए, हम ही नहीं हर राज्य की सरकार चाहती है कि उनके प्रदेश के लोगों को सस्ते से सस्ती दर पर बिजली मिले। हमारे भी प्रयास हैं कि हम प्रदेशवासियों को बेहद सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध कराएं। मध्यप्रदेश पॉवर मैनेजमेंट कंपनी बिजली खरीदकर विद्युत वितरण कंपनियों के माध्यम से आम लोगों को मुहैया कराती है। हम विद्युत वितरण कंपनी को सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध कराएंगे। जब उसे सस्ती बिजली मिलेगी तो स्वाभाविक है कि वह भी लोगों को सस्ती दरों पर बिजली देगी। इस दिशा में काम किए जा रहे हैं।

  • सोलर रूफटॉप पॉवर प्लांट योजना क्या है और लोगों को इससे कितना लाभ मिलेगा?

अब लोग अपने घरों पर सोलर एनर्जी का प्लांट लगाकर घर के लिए बिजली का उत्पादन कर सकते हैं। इसके अलावा सरप्लस बिजली वह बिजली कंपनी को बेच भी सकता है। एक किलोवॉट तक रूफटॉप सोलर प्लांट के लिए 200 वर्गफुट की छत की आवश्यकता होगी। इसके लिए डेढ़ लाख रुपए तक का निवेश करना होगा। इसमें 50 हजार रुपए तक की सब्सिडी ऊर्जा विकास निगम देगा। यदि आप 2-3 बीएचके डुपलेक्स या प्लेट में रहते हैं तो और आप 400 यूनिट बिजली की खपत करते हैं। इस स्थिति में 4 किलोवॉट क्षमता के सोलर पैनल लगाने होंगे। इसके लिए केवल 450 वर्गफुट छत की जरूरत होगी। इन पैनल से हर महीने 480 यूनिट बिजली पैदा हो सकेगी। चार किलोवॉट के पैनल लगाने पर करीब सवा तीन लाख रुपए खर्च होंगे। इस पर एक लाख रुपए की सब्सिडी दी जाएगी। इस तरह आपको केवल सवा दो लाख रुपए निवेश करना होगा। इसके बाद आप खुद की छत पर बिजली पैदा कर सकेंगे।

  • क्या इससे उत्पादित बिजली सस्ती दर पर मिलेगी?

बिल्कुल इससे बनने वाली बिजली सस्ती दरों पर उपलब्ध हो सकेगी। इसके लिए एक बार आपको इन्वेस्टमेंट करना होगा। इसके बाद आप सरप्लस बिजली कंपनी को बेच भी सकेंगे। इसके लिए राज्य सरकार से सब्सिडी लेने की जरूरत भी नहीं है। हम तीन रुपए प्रति यूनिट से कम दरों पर बिजली बेचेंगे। आॅक्सन प्रोसेस में रीवा सौर परियोजना में बिना किसी अनुदान के उपयोग के सौर ऊर्जा की दर 2.97 प्रति यूनिट (प्रथम वर्ष) और 3.30 प्रति यूनिट प्राप्त हुई हैं। यह दर कोयला आधारित विद्युत की दर से भी कम है, जबकि कोयला आधारित विद्युत संयंत्र की बिजली की वर्तमान दर 4 रुपए से ज्यादा है।

  • मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना का लाभ किसे और कैसे मिलेगा?

इस योजना का फायदा छोटे से छोटा किसान उठा सके, इसके लिए अनुदान की राशि 85 प्रतिशत कर दी गई है। इस योजना के जरिए ऐसे क्षेत्रों में बिजली उपलब्ध कराई जाएगी, जहां स्थायी विद्युत पंप कनेक्शन देने की व्यवस्था नहीं है अथवा वहां विद्युत अधोसंरचना का विकास नहीं हुआ है।

  • सस्ती दरों पर एलईडी बल्व बेचने की योजना किस अंजाम तक पहुंची है। क्या भविष्य में अन्य कोई योजना भी इस तरह की लाएंगे?

सरकार ने सस्ती दरों पर एलईडी देने की योजना इस मकसद से शुरू की थी कि आम लोगों को इसका फायदा मिले। लोगों के द्वारा हमें योजना का भरपूर रिस्पांस मिला है। इसका अंदाज आप इस बाद से लगा सकते हैं कि एक साल में सवा करोड़ बल्व बांट चुके हैं। इससे प्रतिदिन साठ लाख यूनिट बिजली की बचत हो रही है। करीब-करीब चार करोड़ का फायदा प्रतिदिन हो रहा है। कार्बन उत्सर्जन पर भी कंट्रोल हो रहा है। भविष्य में भी अन्य सामग्री सस्ती दरों पर देने की योजना पर काम चल रहा है। इसकी घोषणा भी जल्दी ही की जाएगी।

  • कई बार अफसरों की सोशल मीडिया पर सक्रियता सरकार की फजीहत कर देती है। सोशल मीडिया पर अपने विचारों को लेकर अफसरों के इस रवैये पर आपका क्या कहना है?

देखिए, लोकतंत्र में अपने विचार रखने की आजादी हर किसी को है। अफसरों की सोशल मीडिया पर सक्रियता इससे अलग नहीं है पर सरकार की नीतियों को लेकर कोशिश करनी चाहिए कि वे विवादों से दूर रहे। मुझे लगता है कि कई बार छोटी से छोटी बात को लेकर विवाद खड़ा कर दिया जाता है।

  • पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि आईएएस अहंकारी न बनें। क्या आप मानते हैं कि मप्र के अफसरों पर अहंकार हावी है?

देखिए, मेरा मानना है कि आपका व्यवहार सबसे अच्छा होना चाहिए। यदि आपके पास ज्ञान है और काम करने की क्षमता है तो आपका सम्मान स्वयं ही बढ़ जाएगा। सम्मान की खातिर अपने को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने को मैं किसी भी मायने में ठीक नहीं मानता हूं।

  • मप्र में नौकरशाही हावी है। इससे आप कितने सहमत हैं?

जहां तक नौकरशाही हावी होने का सवाल है तो मैं इस आरोप को ठीक नहीं मानता हूं। कार्यपालिका के मुखिया तो राजनीतिक ही होते हैं। मुखिया के दिशा-निर्देश पर हम लोग काम करते हैं। हमारे यहां यही व्यवस्था सालों से लागू है।

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