व्यापमं में हुए घोटाले के कई मामले अभी भी कोर्ट में चल रहे हैं अब कर्मचारी चयन मंडल द्वारा आयोजित कई विभागों की भर्ती परीक्षा में घोटाला होने के मामले सामने आने लगे हैं। कृषि विस्तार अधिकारी की तरह ही इन भर्ती परीक्षा में एक ही केन्द्र पर परीक्षा देने वाले उम्मीदवार सफल रहे हैं। कांग्रेस का आरोप है कि जिन परीक्षा केन्द्र के उम्मीदवार सफल रहे हैं वह भाजपा नेता का है।
परीक्षा का परिणाम हाल ही में जारी किए गए हैं। परीक्षा परिणाम सामने आते ही उसमें हुई गड़बड़ी की कहानी भी सामने आने लगी है। गडबडिया उसी तरह की हैं जिस तरह का घोटाला व्यापम की भर्ती परीक्षाओं में हुआ था। सबसे बड़ा सवाल तो टॉपर की लिस्ट सार्वजनिक न किए जाने पर उठ रहा है। परीक्षा लेने वाली संस्था मध्यप्रदेश कर्मचारी मंडल हर परीक्षा की टॉपर लिस्ट अपनी वेबसाइट पर डालता है। लिस्ट छुपाने से भी कई सवाल उसकी विश्वसनीयता पर खड़े हो रहे हैं।
कर्मचारी चयन मंडल का गठन प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड का नाम बदलकर किया गया था। प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड बोर्ड का गठन व्यवसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) का नाम बदलकर किया गया था। हर घोटाले के बाद हुई बदनामी से बचने के लिए मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार ने बोर्ड का नाम जरूर बदला लेकिन घोटाले नहीं रुक रहे।
परीक्षा के रिजल्ट जारी होने के बाद कई शिकायतें विभिन्न स्तर पर हुई हैं। सोशल मीडिया पर ऐसे दस्तावेज सामने आ रहे हैं,जिनमें इंजन-बोगी से अलग पैटर्न अपनाया गया। सोशल मीडिया पर चयनित पटवारी पूजा रावत के दस्तावेज भी हैं। पूजा सहायक विकास विस्तार अधिकारी बनी हैं। उनके इस परीक्षा में 177 नंबर आए हैं। जबकि एक अन्य पूजा जिनका पूरा नाम पूजा राजपूत है इनके 164.92 नंबर हैं। इनका चयन सहायक संपरीक्षक के पद पर हुआ है। तीसरी उम्मीदवार कृष्णा कुशवाहा हैं। इन्हें कुल 177.06 अंक मिले हैं। ये भी विकास विस्तार अधिकारी के लिए चुन ली गईं। इन तीनों का ही परीक्षा केन्द्र ग्वालियर के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट में था। यह कॉलेज भाजपा नेता का बताया जाता है। इन सभी चयनित उम्मीदवारों में एक बात कॉमन है सभी ने आवेदन में अपने हस्ताक्षर हिंदी में किए हैं।
इनके अलावा पटवारी परीक्षा की आसंर सीट और गलत उत्तर वाले सवालों को लेकर भी विवाद की स्थिति बनी हुई है। छात्रों का कहना है कि गलत जवाब होने के बावजूद उन सवालों को नहीं हटाया गया, बल्कि जो सवाल सही थे उन्हें हटा दिया गया। यहां एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि सॉल्वर गैंग को परीक्षा के दिन ही ग्वालियर पुलिस ने पकड़ा था। परीक्षा केंद्रों पर जेमर न होने की बात भी सामने आई है।
