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Rohit Gupta

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जानें कैसा होगा 6 मई,शनिवार का दिन: किस राशि को होगा आर्थिक लाभ

6 मई 2023 का पंचांग

तिथि: .प्रतिपदा

माह: ज्येष्ठ

वार: शनिवार

नक्षत्र: विशाखा

योग: .व्यतिपात

करण: बालव

अभिजीत मुहूर्त :- दोप 11.57 से 12.49 तक । ।

चौघडिया :- प्रात: 07.31 से 09.08 तक शुभ दोप. 12.22 से 01.59 तक चर दोप. 01.59 से 03.36 तक लाभ दोप. 03.36 से 05.14 तक अमृत संध्या 06.51 से 08.13 तक लाभ रात्रि 09.36 से 10.59 तक शुभ ।

दिशाशूल :- पूर्व दिशा – यदि आवश्यक हो तो अदरक या उड़द का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें । ।

शुभ अंक…………………..4 शुभ रंग………………….पीला

4 मई 2023 का राशिफल: क्या कहता है आपका राशिफल ?

मेष भूमि व भवन संबंधी बाधा दूर होगी। बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं। आय में वृद्धि होगी। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता प्राप्त होगी। निवेश शुभ रहेगा। भाग्य का साथ रहेगा। नौकरी में अनुकूलता रहेगी। प्रसन्नता रहेगी।स्वास्थ्य का ध्यान रखें। विवाद से दूर रहें। कुसंगति से बचें।

वृषभ राशि: मान-सम्मान मिलेगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। किसी मांगलिक कार्यक्रम में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता प्राप्त करेगा। स्वादिष्ट भोजन का आनंद प्राप्त होगा। व्यापार-व्यवसाय में मनोनुकूल लाभ होगा। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड में सोच-समझकर हाथ डालें। जल्दबाजी न करें। समय अनुकूल है।

मिथुन राशि: व्यर्थ भागदौड़ रहेगी। समय का अपव्यय होगा। दूर से दु:खद समाचार प्राप्त हो सकता है। विवाद से क्लेश होगा। काम में मन नहीं लगेगा। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। किसी व्यक्ति विशेष से अनबन हो सकती है। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगी।

कर्क राशि: कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। शारीरिक कष्ट संभव है। परिवार के किसी सदस्य के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। कोई ऐसा कार्य न करें जिससे कि नीचा देखना पड़े। आर्थिक उन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। मित्रों का सहयोग कर पाएंगे। पराक्रम व प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। धनार्जन होगा।

सिंह राशि: शत्रु शांत रहेंगे। वाणी पर नियंत्रण रखें। दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। घर में प्रतिष्ठित अतिथियों का आगमन हो सकता है। व्यय होगा। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। आय बनी रहेगी। दुष्‍टजनों से दूर रहें। चिंता तथा तनाव रहेंगे।

कन्या राशि: भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। रोजगार प्राप्ति सहज ही होगी। व्यावसायिक यात्रा से लाभ होगा। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। निवेशादि शुभ रहेंगे। कारोबार में वृद्धि के योग हैं। किसी बड़ी समस्या का हल प्राप्त होगा। प्रसन्नता रहेगी। दूसरों के काम में हस्तक्षेप न करें।

तुला राशि: व्यापार-व्यवसाय अच्छा चलेगा। शत्रु शांत रहेंगे। ऐश्वर्य पर खर्च होगा। मान-सम्मान मिलेगा। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। कर्ज लेना पड़ सकता है। पुराना रोग उभर सकता है। वाणी पर नियंत्रण रखें। किसी भी अपरिचित व्यक्ति पर अंधविश्वास न करें। चिंता तथा तनाव बने रहेंगे। अपेक्षित कार्यों में विलंब होगा।

वृश्चिक राशि: प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। शुभ समाचार मिल सकता है। शारीरिक कष्ट संभव है। अज्ञात भय रहेगा। लेन-देन में सावधानी रखें। चिंता रहेगी। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा लाभदायक रहेगी। मित्रों का सहयोग कर पाएंगे। मान-सम्मान मिलेगा। आय में वृद्धि होगी।

धनु राशि: आराम का समय मिलेगा। आशंका-कुशंका रहेगी। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। कारोबारी नए अनुबंध हो सकते हैं, प्रयास करें। आय में वृद्धि होगी। सामाजिक कार्य करने की प्रेरणा मिलेगी। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। रोजगार में वृद्धि होगी। प्रमाद न करें।

मकर राशि: यात्रा मनोनुकूल लाभ देगी। राजभय रहेगा। जल्दबाजी व विवाद करने से बचें। थकान महसूस होगी। किसी के व्यवहार से स्वाभिमान को ठेस पहुंच सकती है। कोर्ट व कचहरी के काम अनुकूल रहेंगे। धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन हो सकता है। पूजा-पाठ में मन लगेगा। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। प्रसन्नता रहेगी।

कुंभ राशि: आज मान-सम्मान के योग बनेंगे। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। शारीरिक शिथिलता रहेगी। काम में मन नहीं लगेगा। किसी अपने का व्यवहार प्रतिकूल रहेगा। पार्टनरों से मतभेद हो सकते हैं। नौकरी में अपेक्षानुरूप कार्य न होने से अधिकारी की नाराजी झेलना पड़ेगी।

मीन राशि: कष्ट, भय व चिंता का वातावरण बन सकता है। विवेक से कार्य करें। समस्या दूर होगी। कानूनी अड़चन दूर होकर स्थिति मनोनुकूल बनेगी। किसी वरिष्ठ व्यक्ति का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। कारोबारी लाभ में वृद्धि होगी। नौकरी में शांति रहेगी। सहकर्मियों का साथ मिलेगा। धनार्जन होगा। ।

बरेली में 31 साल पहले फर्जी मुठभेड़ में पुलिस ने निर्दोष की हत्या कर दी थी। आरोपी दरोगा को कोर्ट ने दोषी ठहराया

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यूपी के बरेली में 31 साल पहले फेक एनकाउंटर किया गया था। आरोपी दारोगा पर दोष सिद्ध हो गया है। कोर्ट ने दारोगा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

 

Fake-encounter
आरबी लाल, बरेली: यूपी के बरेली में चर्चित लाली एनकाउंटर केस में सेवानिवृत्त दारोगा युधिष्ठिर सिंह पर हत्या का आरोप साबित हो गया। शुक्रवार दोपहर तीन बजे कोर्ट ने सजा सुनाई। आरोपी दारोगा को आजीवन कारावास और 20 हजार रुपये का जुर्माना कोर्ट ने लगाया है। जिला सत्र न्यायाधीश पशुपतिनाथ मिश्रा ने सजा सुनाई। वहीं, परिजनों कहा है कि हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे, जिससे आजीवन कारावास फांसी में परिवर्तित हो सके। निर्दोष की हत्या के मामले में दोषी दारोगा को सजा दिलाने के लिए 31 साल तक न्याय पाने के लिए परिजनों ने संघर्ष किया खुद उसकी मां सुप्रीम कोर्ट तक गई, तब मामला सीबीसीआईडी पहुंचा और अब कहीं जाकर आरोपी दारोगा को सजा मिल पाई। मुकेश जौहरी उर्फ लाली के साथ मुठभेड़ नहीं हुई, बल्कि दारोगा ने जानबूझकर जान से मारने के इरादे से लाली पर गोली चलाई थी, जिससे उसकी मृत्यु हो गई। अपर सेशन जज-12 पशुपति नाथ मिश्रा ने बुधवार को हत्या के आरोपी दारोगा युधिष्ठिर सिंह को दोषी ठहराया है।

ये था मामला

मामला वर्ष 1992 का है। थाना कोतवाली में तैनात रहे दारोगा युधिष्ठिर सिंह ने 23 जुलाई 1992 को मुकेश जौहरी उर्फ लाली को एनकाउंटर में मार गिराने का दावा किया था। दारोगा ने अपने बचाव के लिए वारदात को मुठभेड़ दर्शाकर मृतक लाली पर लूट और जानलेवा हमला करने के आरोप में मुकदमा दर्ज करा दिया। दारोगा ने कोतवाली में रिपोर्ट लिखाई कि वह वारदात की शाम 7:45 बजे बड़ा बाजार से घरेलू सामान खरीद कर लौट रहे थे, तभी तीन व्यक्तियों को पिंक सिटी वाइन शाप के सेल्समैन से झगड़ते हुए देखा था। एक व्यक्ति ने जबरन दुकान से शराब की बोतल उठा ली तो दूसरे ने दुकानदार के गल्ले में हाथ डाल दिया। सेल्समैन के विरोध करने पर एक व्यक्ति ने सेल्समैन पर तमंचा तान दिया। लूट की आशंका से दारोगा युधिष्ठिर सिंह ने आरोपियों को ललकारा तो एक ने उन पर फायर झोंक दिया, जिससे वह बाल-बाल बचे। दारोगा ने पुलिस को बताया कि अगर वह गोली नहीं चलाते तो बदमाश उनकी जान ले सकते थे। उन्होंने अपनी आत्मरक्षा में एक बदमाश पर अपने सरकारी रिवाल्वर से गोली चला दी, जिससे वह लहूलुहान होकर गिर पड़ा। घायल ने अपना नाम मुकेश जौहरी उर्फ लाली बताया। बाकी दो व्यक्ति मौके से फरार हो गए। मुकेश जौहरी उर्फ लाली की अस्पताल ले जाते समय मृत्यु हो गई थी। दारोगा ने लूट व जानलेवा हमला करने के आरोप में थाना कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया।

1997 को दारोगा पर दर्ज हुआ मुकदमा

शहर के चर्चित कांड में लाली की मां ने दारोगा की कहानी को झूठा बताते हुए पुलिस अधिकारियों से हत्या का मुकदमा दर्ज कराने की मांग की। मुकदमा दर्ज नहीं किया गया। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। पांच साल तक मृतक की मां पैरवी करती रही। अंत में जांच सीबीसीआईडी को सौंप दी गई, जिससे राजफाश हुआ कि दारोगा ने घटना के वक्त अपनी आत्मरक्षा का अधिकार खो दिया था। वह ड्यूटी पर नहीं थे और उसने सरकारी रिवाल्वर का दुरुपयोग किया। दारोगा ने लाली पर सामने से गोली चलाना बताया, जबकि पोस्टमार्टम में गोली पीठ में लगी पाई गई। सीबीसीआईडी के इंस्पेक्टर शीशपाल सिंह के शिकायती पत्र पर 20 नवंबर 1997 को दारोगा युधिष्ठिर सिंह के विरुद्ध हत्या की प्राथमिकी लिखी गई थी। सीबीसीआईडी ने चार्जशीट के साथ 19 गवाहों की लिस्ट कोर्ट में पेश की। सरकारी वकील आशुतोष दुबे व वादी पक्ष के अधिवक्ता अरविंद श्रीवास्तव ने मुकदमे में बहस की। अपर सेशन कोर्ट जज-12 पशुपति नाथ मिश्रा ने आरोपित दारोगा युधिष्ठिर सिंह को हत्या का दोषी माना है।

Ani-jauhari

मृतक का भाई अनिल जौहरी

पांच साल तक दौड़ी मां…तब सीबीसीआइडी को दी गई जांच

मुकेश की मां ने अपने मृत बेटे के लिए करीब एक दशक तक न्याय की लड़ाई लड़ी। अगस्त 2001 में उसकी मृत्यु हो गई। इस मामले को उसके परिवार ने आगे बढ़ाया। मुठभेड़ के तीन महीने बाद उनके पिता बरेली स्थित एक सरकारी राजपत्रित अधिकारी की भी मृत्यु हो गई थी। मुकेश के भाई ने अनिल जौहरी ने बताया कि मेरी मां की आखिरी इच्छा मुकेश के लिए न्याय सुनिश्चित करना था। इस घटना के बाद से हमारा पूरा परिवार परेशान था। हमारे सबसे बड़े भाई, अरविंद जौहरी, जिनका भी निधन हो गया है, एक वकील थे, और उन्होंने हमारी मां की मृत्यु के बाद मुकदमा लड़ा था।

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बिहार में नीतीश के लव-कुश समीकरण को ध्वस्त करने में जुट गई बीजेपी, जान लीजिए अंदर की खबर – bihar bjp steps up destroying nitish kumar luv kush equation

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पटना: बिहार में बीजेपी ने अपने ‘खेल’ को तेज कर दिया है। खासतौर पर कुशवाहा वोटरों के बीच, जो नीतीश कुमार के बेस वोट बैंक ‘लव-कुश’ में से एक है। बीजेपी ने ओबीसी जातियों ने अपनी पहुंच को और आगे बढ़ाया है। इसके साथ ही राज्य में बीजेपी के काम को देखने के लिए पीएम मोदी के प्रमुख सहयोगियों को नियुक्त किया गया है। वहीं, दो अप्रैल को सासाराम में सम्राट अशोक की जयंती बीजेपी मनाने जा रही है, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शामिल होंगे।

लव-कुश वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश

बिहार बीजेपी के नए अध्यक्ष सम्राट चौधरी को बनाए जाने के कुछ दिन बाद ही सासाराम में सम्राट अशोक की जयंती मनाने का फैसला लिया गया। सम्राट चौधरी खुद कुशवाहा जाति से आते हैं और ये समुदाय सम्राट अशोक को अपने पूर्वज के तौर पर देखता है। कोइरी-कुर्मी (लव-कुश) जाति की बिहार में आबादी लगभग साढ़े 10 फीसदी के आसपास है। नीतीश कुमार खुद कुर्मी जाति से आते हैं। लालू के मुस्लिम-यादव वोट बैंक से मुकाबले के लिए नीतीश कुमार ने लव-कुश वोटरों का हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया। इसका उन्हें अब तक फायदा मिलते आ रहा है।

नीतीश कुमार पर हमलावर सम्राट चौधरी

सम्राट चौधरी ने नवभारत टाइम्स डॉट कॉम के सहयोगी अखबार इकनॉमिक टाइम्स को बताया कि सम्राट अशोक की जयंती को मनाने के लिए बीजेपी एक बड़ा सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित कर रही है, जिसे कुशवाहा अपने पूर्वज के रूप में देखते हैं। अब लव-कुश मतदाता, जिसे नीतीश कुमार अपना बंधुआ मजदूर मानते थे, वो भाजपा के साथ जाएगा। ये सभी भगवान राम के उपासक हैं। उन्होंने कहा कि लव-कुश गठबंधन की उत्पत्ति यादव वोट बैंक की तुष्टिकरण की राजनीति का मुकाबला करने के लिए हुई थी।

सच में क्या थी सम्राट अशोक की जाति? क्यों नीतीश और शाह को चुनावी वैतरणी पार करने का भरोसा

बिहार बीजेपी में गुजरात के लोगों को अहम जिम्मेदारी

इस बीच, भाजपा ने गुजरात के सुनील ओझा को बिहार के लिए नया सह-प्रभारी नियुक्त किया है। ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर काम करते थे और पूर्वी उत्तर प्रदेश में पार्टी के काम को देख रहे थे। खास तौर पर वाराणसी का, जो पीएम मोदी का चुनाव क्षेत्र है। सुनील ओझा की नियुक्ति के साथ बिहार बीजेपी के दो प्रमुख पदाधिकारी गुजरात से हो गए। बिहार बीजेपी के संगठनात्मक सचिव भिखूभाई दलसानिया और प्रदेश बीजेपी के सह प्रभारी सुनील ओझा शामिल हैं।

गुजरात के सुनील ओझा बिहार बीजेपी के सह प्रभारी बने

कुछ दिन पहले गुजरात के रहनेवाले सुनील ओझा को पार्टी ने वाराणसी ट्रांसफर किया था। 2018 में पीएम मोदी के निर्वाचन क्षेत्र से उन्होंने एक मतदाता के रूप में खुद को रजिस्टर्ड कराया। सुनील ओझा ने ईटी को बताया कि मैं पूर्वी उत्तर प्रदेश में पार्टी का काम संभाल रहा था, जो बिहार से सटा हुआ है। इसलिए, दोनों क्षेत्रों में जनसांख्यिकी और सामाजिक संरचना समान है। सम्राट चौधरी को नए प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के कुछ दिनों बाद सुनील ओझा को सह प्रभारी बनाया गया।

क्या Bihar में लालू-नीतीश की पिछलग्गू पार्टी बन कर रह गई है BJP? इतिहास जान लीजिए

जेडीयू और आरजेडी से निपटने की रणनीति

भारतीय जनता पार्टी के लिए बिहार हमेशा से एक चैलेंज रहा है। पार्टी के लिए लगातार चुनौतियां पेश करता रहा है। अब, 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले, भाजपा ने नए राज्य इकाई प्रमुख और प्रभारियों के साथ अपनी रणनीति फिर से तैयार की है। भाजपा से अलग होने के बाद जद (यू) का राजद के साथ आना भाजपा के लिए एक गंभीर चुनौती है क्योंकि ये दोनों दल जातिगत समीकरणों में बीजेपी पर भारी पड़ते हैं।

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कांग्रेस-भाजपा में बंद है नेतृत्व परिवर्तन का अध्याय?


सोनल भाराद्वाज


मध्यप्रदेश की राजनीति इतनी पेचिदा नहीं है कि इसे समझने के लिए ज्यादा माथापच्ची करना पड़े। भारतीय जनता पार्टी के नेता भले ही चुप रहते हो लेकिन,वे अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को छुपा नहीं पाते। वहीं कांग्रेस के नेताओं का यकीन खुलकर बल्लेबाजी करने में है। पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को चुनौती किस नेता से मिल रही है,यह सवाल किसी से भी पूछिए वह पहला नाम जीतू पटवारी का ही लेगा। वहीं दूसरी तरफ से यह सवाल पूछा जाए कि भाजपा में मुख्यमंत्री पद पर अपनी दावेदारी कौन जता रहा है तो अधिकांश लोग पहला नाम गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का ही लेंगे। केन्द्रीय नागरिक विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के राज्य का मुख्यमंत्री होने पर संशय भी लोगों से सुनने को मिल जाएगा? मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विकल्प हीन नेता के तौर पर स्थापित हो चुके हैं। शिवराज सिंह चौहान इसी माह अपनी चौथी पारी के तीन साल पूरे कर रहे हैं। इन तीन सालों में शायद ही कोई दिन ऐसा हो,जिस दिन महत्वाकांक्षी नेताओं ने राज्य को नया मुख्यमंत्री मिलने की नई तारीख न दी हो। कभी कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर का नाम विकल्प के तौर पर लिया गया। कभी ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम आया। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा को लेकर भी कई दावे किए गए। पूर्व मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को भी वापस राज्य की राजनीति में सक्रिय किए जाने के दावे किए गए। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का कार्यकाल न बढ़ाए जाने की भी चर्चाएं चलीं। लेकिन,कुछ बदला नहीं। न तो भारतीय जनता पार्टी में और न ही कांग्रेस पार्टी में। पिछले दिनों एक दिलचस्प तस्वीर सामने आई थी इस तस्वीर में प्रदेश भाजपा के चार बड़े नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया,नरेन्द्र सिंह तोमर,कैलाश विजयवर्गीय और नरोत्तम मिश्रा एक साथ एक ही गुलदस्ता मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को देते दिख रहे थे। इस तस्वीर के मायने क्या हैं? क्या भाजपा के शीर्ष नेताओं को यह संकेत मिल गया है कि चुनाव में पार्टी का नेतृत्व शिवराज सिंह चौहान ही करेंगे?
इससे इतर तस्वीर में कोई दूसरा संकेत मिलता नहीं है। शिवराज सिंह चौहान पहली बार नवंबर 2005 में राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। उस वक्त उनकी उम्र लगभग 46 साल थी। अब उनकी उम्र 64 साल की है। पिछले 18 साल में भारतीय जनता पार्टी की एक पूरी पीढ़ी मुख्यमंत्री बनने की आस लिए घर बैठ गई। उमा भारती जैसी नेता से अपना सम्मान करा लेने की कला सिर्फ शिवराज सिंह चौहान के पास ही है। वर्ष 2005 में शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री बनाने का सबसे ज्यादा विरोध भी उमा भारती ने ही किया था। उन्होंने पार्टी नेताओं को बच्चा चोर तक कह दिया था। शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ उमा भारती का साथ जो नेता दे रहे थे,वे भी आज अस्तित्व का संघर्ष करते दिखाई दे रहे हैं। उमा भारती की तरह ही कैलाश विजयवर्गीय को भी राज्य की राजनीति में अपनी सक्रियता को छोड़ना पड़ा था। उमा भारती और विजयवर्गीय दोनों की ही राज्य में सक्रियता शिवराज सिंह चौहान की हां पर निर्भर करती है। उमा भारती का शराब बंदी का मुद्दा समाप्त हो गया है। पार्टी में शीर्ष नेतृत्व बदलता गया लेकिन,शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री पद पर अंगद के पांव की तरह जमे हुए हैं। शिवराज सिंह चौहान की जमीनी मेहनत,लोकप्रियता और संतुलन की कला सफलता के मुख्य कारण माने जा सकते हैं। लाडली लक्ष्मी से लेकर लाडली बहना तक की योजना को सफलतापूर्वक लागू कराकर राजनीतिक लाभ लेने की कला भी सिर्फ शिवराज सिंह चौहान में ही है। उनके समकालीन किसी दूसरे नेता में यह देखने को नहीं मिलती। उनकी भाषण कला का मुकाबला विपक्ष का भी कोई नेता करने की स्थिति में नहीं है। पंद्रह माह की कमलनाथ सरकार में लोगों ने जिस कमी को को महसूस किया वह मुख्यमंत्री का मैदान में न होने की थी। कमलनाथ की भाषण शैली में वह आक्रमकता नहीं है जो शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता के तौर पर समान रूप से प्रदर्शित करते हैं। शिवराज सिंह चौहान का चुनाव के बाद भविष्य क्या होगा,इस सवाल का जवाब भी भविष्य में ही मिलेगा?
कांग्रेस की राजनीति लंबे समय से एक जैसी ही चल रही है। मार्च 2020 में सरकार गंवाने के बाद भी कमलनाथ के रवैये में कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिला है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सबसे बड़ी समस्या भी उसका नेतृत्व ही है। पार्टी पर आज भी उन नेताओं की पकड़ है जो कि अस्सी के दशक में प्रभाव में आए थे। कमलनाथ के साथ दिग्विजय सिंह भी उनमें एक हैं। पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के पास पिता अर्जुन सिंह के समर्थकों की समृद्धशाली विरासत थी। लेकिन,समय के साथ समर्थकों की संख्या भी सीमित हो गई है। अरुण यादव भी अपने पिता स्वर्गीय सुभाष यादव की समृद्धशाली विरासत को मजबूती से रोक कर नहीं रखा पा रहे हैं। परिवार के भीतर की राजनीति में उलझकर रह गए हैं। भाई सचिन यादव को कमलनाथ ने अपने मंत्रिमंडल में जगह देकर परिवार में सफलतापूर्वक सेंध लगा दी थी। अजय सिंह और अरुण यादव दोनों ही अपने-अपने स्तर पर संघर्ष कर रहे हैं। कमलनाथ भी इन दोनों नेताओं को किनारे लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के तौर पर कमलनाथ मई में पांच साल का समय पूरा कर लेंगे। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उन्होंने यह पद नहीं छोड़ा था। जब सरकार गिर गई तब पार्टी के बचे हुए नेताओं ने एक मत से तय किया था कि अगले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा कमलनाथ ही होंगे। कमलनाथ कांग्रेस की नई पीढ़ी के नेताओं को साथ लेकर नहीं चल पा रहे हैं। वे परवाह करते हुए दिखाई नहीं दे रहे। युवा नेतृत्व में असंतोष होना स्वाभाविक है। कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी से उनका टकराव जगजाहिर है। कमलनाथ की ओर से ही यह संदेश देने की कोशिश की गई कि पटवार कार्यकारी अध्यक्ष नहीं है। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के दखल के बाद मानना पड़ा है। कांग्रेस भी अपने मौजूदा नेतृत्व के साथ ही चुनाव मैदान में है। युवा वोटरों में पटवारी की लोकप्रियता नकुल नाथ और जयवर्धन सिंह से ज्यादा है। लेकिन,कमलनाथ और दिग्विजय सिंह अपने उत्तराधिकारियों के भविष्य सुरक्षित करने में लगे हैं। दिलचस्प यह है कि ये दोनों उत्तराधिकारी अब तक वैसा प्रदर्शन नहीं कर पाए जैसा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कर अपनी जमीन मजबूत की थी। कांग्रेस के भीतर पूरी लड़ाई अपने उत्तराधिकारियों के भविष्य को लेकर है और भाजपा नेता पार्टी की जमीन मजबूत करने संघर्ष कर रहे हैं।

आपकी बात: उत्तर-पूर्व में बदलती भाजपा की रीति-नीति


दिनेश गुप्ता, भोपाल


उत्तर-पूर्व के तीन राज्यों में विधानसभा के आम चुनाव के परिणाम 2 मार्च को आएंगे। इन राज्यों के चुनाव को लेकर उत्तर भारत के लोगों में कोई खास दिलचस्पी नहीं है। दक्षिण भारत में भी इन चुनाव के परिणामों को लेकर कोई खास उत्सुकता नहीं है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि उत्तर-पूर्व के राज्यों की संस्कृति,भाषा और मुद्दे अलग है। सेवन सिस्टर्स वाले इन राज्यों की राजनीति में क्षेत्रीय दलों का दबदबा देखने को मिलता है। भारतीय जनता पार्टी की रीति-नीति इन राज्यों को लेकर वह नहीं रहती जो कि पूरे उत्तर भारत में देखने को मिलती है। भाजपा का यहां अलग रंग है। इस रंग में बीफ खाने के मुद्दे का भाजपा विरोध नहीं करती। यहां भाजपा के नेता अपना जनाधार बढ़ाने के लिए वोटर को यह भरोसा दिलाते हुए दिखाई देते हैं कि उनकी पार्टी बीफ खाने पर पाबंदी लगाने वाली नहीं है। मेघालय भाजपा के अध्यक्ष अर्नेस्ट मावरी ने कहा कि मैं बीफ खाता हूं और मैं बीजेपी में हूं, इसमें मुझे कोई दिक्कत नहीं है। ईसाई और मिशनरीज को लेकर भाजपा का जो आक्रामक रवैया उत्तर भारत में देखने को मिलता है,वह उत्तर-पूर्व में आकर नरम पड़ जाता है। दरअसल यहां भाजपा अपना चेहरा बदल लेती है। चेहरा बदलने की नौबत इस कारण आती है कि वह कांग्रेस की तरह सर्वधर्म समभाव की नीति नहीं अपनाती। मेघालय के अलावा त्रिपुरा और नागालैंड में भी विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं। यहां भाजपा के कार्यकर्ताओं को जय श्री राम का नारा लगाने की इजाजत पार्टी नहीं देती। जबकि असम में जय श्री राम का नारा वोटों के ध्रुवीकरण में काफी मदद करता है। उत्तर-पूर्व की सियासत देखने के बाद यह भी साफ हो जाता है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हिंदुत्व की कट्टर लाइन को छोड़कर अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति नरमी क्यों दिखा रहे हैं। उत्तर भारत में चुनाव के समय यह नीति फिर बदल सकती है?मेघालय की राजनीतिक तस्वीर असंभव को भी संभव कर दिखाने वाली है। वर्ष 2018 से राज्य की सत्ता में काबिज मेघालय डेवलपमेंट अलायंस (एमडीए) का नेतृत्व कर रहे मौजूदा मुख्यमंत्री कोनराड संगमा की पार्टी एनपीपी 57 सीटों पर, एमडीए के घटक दल रहे यूडीपी ने 40 सीटों पर और इसी गठजोड़ में सरकार चलाने में शामिल रही भाजपा ने सभी 60 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किए हैं। पांच साल तक तीनों पार्टियों ने मिलकर सरकार चलाई और ऐन चुनाव से पहले उनके गठजोड़ टूट गया। सभी अपनी- अपनी बांसुरी और अपना- अपना राग बजा रहे हैं। एक दूसरे पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे हैं।
मेघालय की राजनीति के रंग यही खत्म नहीं होते। कांग्रेस के एक दर्जन विधायकों को पार्टी नेता मुकुल संगमा के साथ अपनी पार्टी में शामिल करा चुकी तृणमूल कांग्रेस भी यहां दमखम के साथ चुनावी मैदान में है। पिछले विधानसभा चुनाव में 21 विधायक लेकर विधानसभा पहुंची कांग्रेस के विधायक या तो पाला बदल चुके हैं या उन्हें निलंबित कर दिया गया है। कांग्रेस को इस बात का भरोसा है कि मतदाता अभी भी उसके साथ हैं। मेघालय का राजनीतिक गठजोड़ इस बात की ओर साफ इशारा कर रहा है कि अन्य राज्यों की तरह यहां भी कांग्रेस को कमजोर करने की कोशिश उन लोगों ने ही की, जिन्हें जनता का वोट भी हाथ के पंजे के कारण ही मिला। भाजपा यहां अपना वोट शेयर बढ़ाने के लिए सभी साठ सीटों पर चुनाव लड़ रही है। पिछली बार वह सिर्फ दो सीट जीत पाई थी। लेकिन,गठबंधन कर सरकार में आ गई। मेघालय के पिछले चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था. कांग्रेस 21 सीट पर जीत दर्ज कर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, लेकिन वह बहुमत से दूर रह गई। कोनराड संगमा के नेतृत्व वाली एनपीपी 19 सीट पर जीत के साथ दूसरे नंबर पर थी। प्रदेश की यूडीपी के छह सदस्य चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे।
इसी प्रकार राज्य की पीडीएफ को चार सीट पर जीत मिली थी और भाजपा तथा एचएसपीडीपी को दो-दो सीट पर सफलता मिली थी। चुनावी नतीजों के बाद संगमा ने भाजपा, यूडीपी, , पीडीएफ, एचपीपीडीपी और एक निर्दलीय के साथ मिलकर गठबंधन की सरकार बनाई और वह राज्य के मुख्यमंत्री बने।
उत्तर-पूर्व के चुनाव वाले राज्यों की तस्वीर को समझना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि चुनाव परिणामों के बाद इस बात की चर्चा जरूर होगी कि कांग्रेस को कितना नफा नुकसान हुआ है। नागालैंड की मौजूदा सियासत भी कम दिलचस्प नहीं है। यहां कोई विपक्षी दल नहीं है। नागालैंड में विपक्ष की लगभग गैरमौजूदगी के चलते संयुक्त जनतांत्रिक गठबंधन के तहत अपनी सरकार चला रहे मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो मजबूत स्थिति में नजर आ रहे हैं। इस गठबंधन में नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीडीपी), भारतीय जनता पार्टी और नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) भी शामिल हैं। हालांकि एनडीपीपी और भाजपा के बीच गठबंधन 2018 के चुनावों से पहले ही बन गया था। इसके अलावा एनपीएफ के 21 विधायक भी इस गठबंधन में शामिल हो गए और विपक्ष लगभग खत्म हो गया। नागालैंड चुनाव में इस बार एक बड़ा मुद्दा यह भी है कि सात जनजातियां राज्य के 16 जिलों को काटकर एक अलग राज्य सीमांत नागालैंड की मांग कर रही हैं। केंद्र सरकार ने हाल ही में इस मसले का कोई हल निकालने के लिए एक बैठक की थी।त्रिपुरा में लंबे समय से एक-दूसरे के राजनीतिक विरोधी कांग्रेस और सीपीएम के गठबंधन से सीधी चुनौती मिल रही है। दो प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियां भी चुनाव मैदान में हैं। पश्चिम बंगाल के बाद त्रिपुरा में भाजपा को चुनौती तृणमूल कांग्रेस से मिलती दिख रही है। त्रिपुरा में यह साफ हो जाता है कि सीबीआई और ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियां अभिषेक बनर्जी के खिलाफ क्यों सक्रिय रहीं? विप्लव देव मुख्यमंत्री बने थे। लेकिन से जनता में बढ़ती नाराजगी के बाद भाजपा ने माणिक साहा को मुख्यमंत्री बनाया।

प्रदेश की 111 शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं को मिला प्रमाणीकरण : सीएम शिवराज

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि राज्य सरकार प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के लिए निरंतर सक्रिय है। प्रसन्नता का विषय है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में मध्यप्रदेश ने एक और उपलब्धि प्राप्त की है। प्रसूताओं को बेहतर उपचार देने में हम देश में अव्वल हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से प्रसव कक्ष गुणवत्ता बेहतरी के लिए शुरू किए गए “लक्ष्य” अभियान में मध्यप्रदेश को देश में पहला स्थान प्राप्त हुआ है। मुख्यमंत्री श्री चौहान श्यामला हिल्स स्थित उद्यान में पौध-रोपण के बाद मीडिया प्रतिनिधियों से चर्चा कर रहे थे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि लक्ष्य अभियान में राज्य की 111 शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं को राष्ट्रीय स्तर पर प्रमाणीकरण मिला है। इसी आधार पर इन संस्थाओं को एक लाख से लेकर 5 लाख रूपए तक का वार्षिक अनुदान प्राप्त होगा। इस राशि से ऑपरेशन थियेटर और प्रसव कक्षों की देख-भाल तथा बेहतरी के‍लिए व्यय किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्रीय दल द्वारा “लक्ष्य” अभियान में सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण मातृत्व देख-भाल को ध्यान में रखते हुए प्रदेश के चिकित्सालयों में उपलब्ध व्यवस्थाओं की जाँच की गई थी।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने भोपाल के हमीदिया अस्पताल के डॉ. राजीव गुप्ता, डॉ. लवली कौशल और उनकी पूरी टीम को टीबी के मरीजों के इलाज के लिए नई तकनीक का सफलतापूर्वक उपयोग करने पर बधाई दी।

मोदी सरकार ने जनजातीय बजट बढ़ा कर 90 हजार करोड़ किया

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा है कि केन्द्र में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की डबल इंजन की सरकार हर गरीब के जीवन को सुखी बनाने के लिये संकल्पित है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अनुसूचित जाति और जनजाति के विकास के लिये अनेक महत्वपूर्ण कार्य किये हैं। पूर्व की केन्द्र सरकार एससी-एसटी वर्ग के लिये 24 हजार करोड़ प्रतिवर्ष खर्च करती थी, मोदी सरकार ने इस राशि को कई गुना बढ़ा कर 90 हजार करोड़ रूपये कर दिया है। पहले सिर्फ 167 एकलव्य विद्यालय हुआ करते थे, मोदी सरकार ने इनकी संख्या बढ़ा कर 690 कर दी है। इसी प्रकार एससी-एसटी वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिये पहले 1000 करोड़ रूपये का प्रावधान था, जिसे मोदी सरकार ने बढ़ा कर 2833 करोड़ रूपये कर दिया है।

केन्द्रीय मंत्री श्री शाह आज सतना के मैत्री पार्क में माता शबरी जयंती पर कोल जनजाति महाकुंभ में शामिल हुए। अध्यक्षता मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने की। केन्द्रीय मंत्री श्री शाह और मुख्यमंत्री श्री चौहान ने महाकुंभ का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित कर किया। साथ ही 507 करोड़ रूपये लागत के 70 विकास कार्यों का शिलान्यास और 26 करोड़ रूपये लागत के 18 कार्यों का लोकार्पण किया। समारोह में विभिन्न जन-कल्याणकारी योजनाओं में हितग्राहियों को हितलाभ भी वितरित किये गये। प्रारंभ में केन्द्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री ने भगवान श्रीराम और माता शबरी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर नमन किया। साथ ही कन्या-पूजन कर बेटियों का सम्मान किया।

केन्द्रीय गृह मंत्री श्री शाह ने कहा कि आज माता शबरी की जयंती का ऐतिहासिक दिन है। माता शबरी ने अपनी भक्ति से लोगों को युगों-युगों तक राम की भक्ति करने की प्रेरणा दी, ऐसी पवित्र भूमि को मैं प्रणाम करता हूँ। उन्होंने कहा कि मुझे यहाँ तीन बार आने का अवसर मिला। जब-जब मैं यहाँ आया, तब-तब मैं नई ऊर्जा और चेतना लेकर गया। माता शबरी समग्र विश्व का कल्याण करने वाली माँ है, आप सभी सौभाग्यशाली है जो माँ के सान्निध्य में रह रहे हैं।

केन्द्रीय गृह मंत्री श्री शाह ने कहा कि आज करोड़ों रुपयों के लोकार्पण और शिलान्यास श्री शिवराज सिंह चौहान ने मेरे हाथों कराये हैं। मैं आज मन से श्री शिवराज सिंह चौहान को बधाई देना चाहता हूँ, जिन्होंने आपकी सभी जरूरतों को समझ कर कोल समाज के भाई-बहनों के लिए संकल्प लिए हैं। उन्होंने कहा कि जब मैं जबलपुर आया था, उस दिन मुख्यमंत्री श्री चौहान ने जनजातीय वर्ग के लिये 14 घोषणाएँ की थी। मुझे प्रसन्नता है कि श्री चौहान ने अपनी सभी घोषणाओं पर अमल कर जनजातीय वर्ग के उत्थान का कार्य किया है। श्री शाह ने कहा कि केन्द्र और मध्यप्रदेश की सरकार अंत्योदय के तहत गरीब से गरीब व्यक्ति के जीवन को सँवारने का काम कर रही है।

केन्द्रीय मंत्री श्री शाह ने कहा कि कोरोना काल में प्रधानमंत्री श्री मोदी ने पूरे देश में कोरोनारोधी टीके नि:शुल्क लगवा कर देशवासियों के जीवन को सुरक्षित किया है। साथ ही प्रधानमंत्री ने हर गरीब के घर में प्रति व्यक्ति प्रतिमाह 5 किलो अनाज मुफ्त में भेजने का फैसला भी किया, 10 करोड़ लोगों के घरों में शौचालय बनवाये और 3 करोड़ लोगों को गैस सिलेण्डर उपलब्ध कराये हैं। देश के 80 करोड़ लोगों को ढाई साल से लगातार मुफ्त में 5 किलो अनाज दिया जा रहा है। उन्होंने वर्ष 1832 के कोल विद्रोह का उल्लेख करते हुए कहा कि मोदी सरकार देश में शहीदों के स्मारक बनाने का काम कर रही है। पिछले 5 सालों में 80 जनजातीय स्मारक बनाने के लिये 200 करोड़ रूपये खर्च किये। देश में 70 साल में जो नहीं किया गया वह प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कर दिखाया है। देश में यह पहली बार हुआ है कि गरीब जनजातीय समाज की बेटी श्रीमती द्रौपदी मुर्मु को राष्ट्रपति बना कर समग्र जनजातीय समाज का सम्मान किया गया है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने 5 करोड़ रूपये खर्च कर रघुनाथ शाह और शंकर शाह का स्मारक बनाया और ढेर सारी योजनाएँ संचालित की हैं। श्री शाह ने मुख्यमंत्री श्री चौहान को बधाई देते हुए कहा कि उनकी अगुवाई में प्रदेश तरक्की के नये आयाम हासिल कर रहा है। श्री चौहान एक लोकप्रिय जननायक हैं।

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अन्याय का अंत करना ही धर्म है। माता शबरी द्वारा सच्चे मन से की गई भगवान श्री राम की भक्ति अमर हो गई। मुख्यमंत्री ने मैया शबरी और भगवान श्री राम के मिलन का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि माँ शबरी और भगवान राम की कथा संदेश देती है कि शासन और प्रशासन चल कर अंतिम व्यक्ति तक पहुँचे, तभी राम राज्य होगा। यह कथा अन्याय का अंत करने का संदेश देती है। साथ ही इस कथा से माँ की इच्छा की पू‍र्ति करने का संदेश भी मिलता है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत गौरवशाली, वैभवशाली, समृद्धशाली, भ्रष्टाचारमुक्त और अन्याय को समाप्त करने वाला बन रहा है। प्रधानमंत्री श्री मोदी और केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह के नेतृत्व में भारत को नये मुकाम पर पहुँचाना है। मोदी सरकार द्वारा गरीबों को पक्का मकान दिया गया। साथ ही आयुष्मान कार्ड से 5 लाख रूपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा और जम्मू-कश्मीर में धारा 370 समाप्त की गई।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कोल समाज की उन्नति और गौरव को स्थापित करने के लिये राज्य सरकार की संकल्प शक्ति को जताया। उन्होंने कहा कि रीवा जिले की त्यौंथर तहसील में कोल शासकों की कोल गढ़ी का साढ़े 3 करोड़ रूपये की लागत से जीर्णोद्धार किया जायेगा। गढ़ी की बाउण्ड्री-वॉल बनाई जायेगी, मैया शबरी की प्रतिमा स्थापित की जायेगी और अंतिम कोल राजा का तेल चित्र बनवाया जायेगा। गढ़ी परिसर में कोल जनजाति की संस्कृति, वेशभूषा, रीति-रिवाज एवं इतिहास को भी दर्शाया जायेगा।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि कोल समाज की बहनों को भी पोषण आहार के लिए प्रतिमाह एक हजार रूपये का आहार अनुदान दिया जायेगा। साथ ही समाज के छात्र-छात्राओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिये प्रशिक्षण और कोचिंग की व्यवस्था की भी जायेगी। रीवा जिला मुख्यालय पर पोस्ट ग्रेजुएट जनजातीय छात्रावास और सतना में कोल जनजाति कन्या छात्रावास बनाया जायेगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि सरकार स्वयं का व्यवसाय करने वाले कोल जनजाति के युवाओं को बैंक से ऋण दिलाने की गारंटी सरकार लेगी और ब्याज अनुदान भी देगी। कोल जनजाति के सभी भाई-बहनों को प्लाट उपलब्ध कराया जायेगा। कोल जनजाति का कोई भी व्यक्ति बिना जमीन के नहीं रहेगा। कोल जनजाति के देवी-देवताओं के धार्मिक स्थलों का पुनर्निर्माण एवं संरक्षण का कार्य किया जायेगा। प्रदेश में एक अप्रैल से शराब की दुकानों के अहाते बंद होंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जनजातियों के बच्चों के उच्च शिक्षा में आगे बढ़ने के लिये कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं। मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई को हिन्दी माध्यम में शुरू किया गया है, जिससे गरीब जनजातीय परिवारों के बच्चे भी आगे बढ़ सकें। सीएम जन-सेवा अभियान के माध्यम से छूटे हुए पात्र हितग्राहियों के राशन कार्ड एवं आयुष्मान कार्ड बनाए गए हैं। विकास यात्रा से यह कार्य सतत् जारी है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह की गरिमामयी उपस्थिति में जबलपुर में शंकरशाह-रघुनाथ शाह जयंती कार्यक्रम में जनजातीय समाज के उद्धार के लिये की गईं सभी 14 घोषणाएँ अमल में आ चुकी हैं। मध्यप्रदेश में जनजातीय वर्ग को जल, जंगल और जमीन का हक देने पेसा नियम लागू कर दिया गया है।

सांसद श्री गणेश सिंह ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के विरूद्ध 18वीं शताब्दी में पहला कोल विद्रोह हुआ था। आज केन्द्रीय गृह मंत्री श्री शाह और मुख्यमंत्री श्री चौहान ने महाकुंभ में कोल समाज को सम्मानित कर उनका गौरव बढ़ाया है। कोल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री रामलाल रौतेल और विधायक श्री शरद कोल ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में केन्द्रीय राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते, वन मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह, जनजातीय कार्य एवं अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री सुश्री मीना सिंह, पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री श्री रामखेलावन पटेल, सांसद खजुराहो श्री व्ही.डी. शर्मा, जन-प्रतिनिधि एवं बड़ी संख्या में नागरिक मौजूद रहे। अतिथियों का स्वागत परंपरागत लोक नृत्यों से किया गया।

परंपरागत राजनीति से बाहर आने की कोशिश में संघ और भाजपा

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दिनेश गुप्ता


भारतीय जनता पार्टी और उसका मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ क्या अपनी परंपरागत हिंदुत्व की विचारधारा को छोड़कर धर्मनिरपेक्षता को स्वीकार कर रहा है? शायद अधिकांश लोग इस बात से सहमत नहीं होंगे कि संघ अपने हिन्दूवादी संगठन की छवि से बाहर आने की कभी कोशिश भी करेगा। संघ की पहचान सनातन धर्म से नहीं रही है। संघ ने देश के धर्म के मामले में हमेशा ही हिन्दू धर्म और हिन्दू राष्ट्र जैसे शब्दों को ही स्वीकार किया है। राजनीति में सनातन धर्म का उपयोग तो अक्सर कांगे्रसी नेता ही करते रहे हैं। लेकिन, पिछले कुछ समय से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संघ प्रमुख मोहन भागवत का रवैया मुस्लिम अथवा अन्य धर्मों के लोगों के प्रति रवैया नरम होता दिखाई दे रहा है। कह सकते हैं कि संघ और भाजपा में संगठन की कट्टरवादी छवि से मुक्ति की छटपटाहट कहीं-कहीं देखने को मिल रही है। धर्मनिरपेक्षता शब्द संघ को स्वीकार्य नहीं रहा है। इसमें कांग्रेस का सॉफ्ट हिंदुत्व नजर आता है।
राष्ट्रीय सेवक संघ के अनुषांगिक कई संगठनों की भूमिका हिन्दुत्व की कट्टरवादी छवि को उभारने में ज्यादा रही है। राम मंदिर का मसला अकेला ऐसा मामला था,जिसे आगे कर संघ ने अपनी राजनीतिक जमीन को मजबूत किया है। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की सरकार ने संघ की विचारधारा के अनुसार ही हिंदुत्व के मुद्दों को साकार रूप देने की कोशिश की है। राम मंदिर के निर्माण की राह भले ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश से निकली हो,लेकिन इस बात में भी दो राय नहीं है कि इसमें सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक का कदम राजनीतिक तौर काफी फायदेमंद रहा है। संघ और भारतीय जनता पार्टी के भीतर सबसे ज्यादा चिंता 2024 से आगे की राजनीति को लेकर ज्यादा दिखाई दे रही है। भाजपा यह मानकर चल रही है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में राम मंदिर के शिखर की पताका उसकी जीत का मार्ग प्रशस्त करेगी। राम मंदिर का लोकार्पण जीत की शत प्रतिशत गारंटी देने वाला नहीं है? भाजपा के भीतर यह भी एक सोच है। 1992 में बाबरी मस्जिद गिराए जाने का कोई बड़ा राजनीति लाभ चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को नहीं मिल पाया तो इसकी वजह तत्कालीन नेतृत्व की राजनीतिक सोच रही। प्रधानमंत्री की कुर्सी के लिए भारतीय जनता पार्टी में लंबे समय तक एक ही नाम लोकप्रिय रहा। यह नाम अटल बिहारी वाजपेयी का था। वाजपेयी की तुलना में लालकृष्ण आडवाणी को वह स्वीकार्यता नहीं मिल पाई थी। लेकिन,नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में आसानी से स्वीकार्यता मिली तो इसकी वजह विकास का गुजरात मॉडल रहा। लोगों के जेहन में डॉ मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की छवि ने भाजपा की राह आसान की थी। चुनाव के बाद देश में सबसे ज्यादा तेजी हिन्दुत्व के मॉडल में देखने को मिली थी। उत्तर प्रदेश में भाजपा को बहुमत मिलना भी इसी मॉडल का हिस्सा माना गया। उत्तर प्रदेश में विपक्षी नेता शायद परिस्थितियों का आकलन करने में चूक गए थे। लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़ और राजस्थान के वोटर ने इस मॉडल को स्वीकार नहीं किया था। माना यह गया कि इन तीनों राज्यों में भाजपा को सत्ता गंवाना पड़ी थी तो इसकी वजह सरकार का खराब प्रदर्शन रहा था। इसके बाद ही 2019 में लोकसभा के चुनाव हुए थे। प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी को मजबूती इन्हीं चुनाव परिणामों के बाद मिली। कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने का फैसला भी संघ की नीतियों के अनुसार ही लिया गया।
अब यदि संघ प्रमुख मोहन भागवत और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अल्पसंख्यक वोटर की चिंता कर रहे हैं तो इसके पीछे परंपरागत वोटर का मोह भंग होना भी वजह हो सकती है। पंडितों के बारे में श्री भागवत के बयान को भी इसी कड़ी का हिस्सा माना जाना चाहिए। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को 37 प्रतिशत से अधिक वोट मिले थे। दूसरे तरह से कहा जाए तो लगभग 63 प्रतिशत वोटर भाजपा के खिलाफ थे। आने वाले लोकसभा चुनाव में यह आंकड़ा बढ़ भी सकता है। इसका फायदा विपक्षी दल उठाने की कोशिश जरूर करेंगे। यद्यपि अब तक संयुक्त विपक्ष का कोई चेहरा सामने नहीं है। कांग्रेस अपना नेतृत्व छोड़ती दिखाई नहीं दे रही है। अल्पसंख्यक,अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग का वोटर कांग्रेस का परंपरागत वोटर माना जाता है। जाति व्यवस्था के बारे में संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान के पीछे कहीं न कहीं यह वोटर वजह हो सकता है। इस वोटर को यदि जोड़ना है तो राजनीति को हिंदुत्व से सनातन धर्म की और लाना मजबूरी है।
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मध्यप्रदेश में सुशासन की नई मिसाल कायम हो रही : सीएम शिवराज

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मध्यप्रदेश में सुशासन की नई मिसाल कायम हो रही है। सरकार हर वर्ग की तरक्की और कल्याण के कार्य कर रही है। माफिया, गुण्डे, बदमाशों के लिये प्रदेश में कोई जगह नहीं है। बेटियों से दुराचार करने वालों के लिये फाँसी का प्रावधान है। प्रदेश में विकास यात्रा चल रही है। यह जनता की जिन्दगी बदलने का अभियान है। योजनाओं में जिन व्यक्तियों के नाम छूट गये हैं, उन्हें जोड़ा जा रहा है और लाभ दिया जा रहा है। हर व्यक्ति के लिये रोटी, मकान, पढ़ाई, इलाज और रोजगार सुनिश्चित किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने फूटी कोठी चौराहे पर 55 करोड़ रूपये की लागत से बनने वाले 6 लेन फ्लाईओवर ब्रिज का भूमि-पूजन किया। फ़्लाइओवर इंदौर विकास प्राधिकरण द्वारा बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रधानमंत्री आवास योजना की महिला हितग्राहियों को आवास की चाबी सौंपी।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि इन्दौर को दुनिया का बेहतरीन शहर बनायेंगे। यहाँ तेज गति से विकास कार्य किये जा रहे हैं। राजवाड़ा के गौरव को पुन: स्थापित किया जा रहा है। यह देवी अहिल्या बाई के सुशासन का प्रतीक है। गोपाल मंदिर का पुर्नउद्धार हो रहा है। यहाँ आज जिस फ्लाई ओवर ब्रिज उदघाटन किया जा रहा है उसका नाम संत श्री सेवालाल जी महाराज ब्रिज रखा जायेगा। दो दिन बाद 15 फरवरी को संत श्री सेवालाल जी महाराज की जयंती है। हम उन्हें नमन करते हैं।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में बहनों की जिन्दगी बदलने का अभियान चल रहा है। लाड़ली बहना योजना के लिये मार्च माह से फार्म भरे जायेंगे और जून माह से 1000 रूपये महीना बहनों के खाते में पहुँचेगा। योजना में गरीब, निम्न और मध्यम वर्ग की बहनें शामिल होंगी। वृद्धावस्था पेंशन की राशि भी एक हजार रूपये महीना की जायेगी। प्रदेश में मुख्यमंत्री कन्या विवाह-निकाह योजना भी संचालित है।

इन्दौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री जयपाल सिंह चावड़ा ने कहा कि फ्लाईओवर 625 मीटर लंबाई एवं 24 मीटर चौड़ाई का होगा। निर्माण की समय-सीमा 18 माह निर्धारित की गई है। इसके बन जाने से धार रोड से आने वाला ट्रेफिक सीधे एबी रोड और केसरबाग ब्रिज की ओर जा सकेगा। साथ ही रिंग रोड की ओर से आने वाला ट्रेफिक बिना किसी बाधा के धार रोड की ओर जा सकेगा। इसके बनने से फूटी कोठी पर यातायात नहीं रूकेगा। छह लेन ब्रिज के लिए चौराहे से कोई बाधक निर्माण नहीं हटाना पड़ेगा। बिजली के पोल शिफ्ट होंगे, जिसका सर्वे आइडीए ने कर लिया है।

जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट, सांसद श्री शंकर लालवानी, सांसद श्रीमती कविता पाटीदार, महापौर श्री पुष्यमित्र भार्गव, विधायक सर्वश्री रमेश मेंदोला, महेन्द्र हार्डिया, श्रीमती मालिनी गौड़, आकाश विजयवर्गीय, पूर्व महापौर श्री कृष्णमुरारी मोघे, श्री गौरव रणदिवे, श्री सावन सोनकर सहित जन-प्रतिनिधि एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

जनजातीय जीवन की सरलता अपनायें, शहरी चकाचौंध में न आयें : मुख्यमंत्री श्री चौहान

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि शहरों में भौतिक सुविधाओं का भंडार है परंतु सोने के लिये नींद की गोली और भोजन से पहले इंसुलिन लेना पड़ता है। वहीं जनजातीय भाई प्रकृति की गोद में सरल, निष्कपट, निष्छल, निर्भीक और निस्वार्थ जीवन जीते हैं। जीवन में आनंद के लिये जनजातीय जीवन की सरलता अपनायें, शहरी चकाचौंध में न आयें।

मुख्यमंत्री श्री चौहान आज लाल बाग इंदौर में जनजातीय फूड फेस्टिवल को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कार्यक्रम के प्रारंभ में जनजातीय नायकों के चित्रों पर पुष्पांजलि भेंट कर उन्हें नमन किया। उन्होंने फूड फेस्टिवल का अवलोकन कर जनजातीय वर्ग के हुनर की सराहना की। उन्होंने झाबुआ की गुड़िया को प्रसिद्धि दिलाने वाले परमार दम्पत्ति का भी मंच पर सम्मान किया।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आज दुनिया मोटे अनाज की बात कर रही है, जबकि वर्षों से हमारे जनजातीय भाई-बहन मोटे अनाज का उपयोग कर रहे हैं। मोटा अनाज, जो कल तक गरीबों का भोजन माना जाता था, आज वैज्ञानिकों ने सिद्ध कर दिया है कि उसमें जबरदस्त पोषण क्षमता होती है। आज लोग गेहूँ की रोटी खाना छोड़ रहे हैं और ज्वार, बाजरा, मक्का का उपयोग कर रहे हैं। हमारी जड़ी-बूटियों, वनस्पतियों की उपचार क्षमता अदभुत है। आयोजकों ने फूड फेस्टिवल के माध्यम से शहरी जनता के समक्ष जनजातीय खान-पान, परम्पराओं, जीवन मूल्यों को लाने का अभिनंदनीय प्रयास किया है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जनजातीय संस्कृति अदभुत संस्कृति है। जनजातीय परम्पराएँ, जीवन मूल्य, कला, संस्कृति, नृत्य जीवन का आनंद प्रकट करते हैं। इनमें हमारी जड़े हैं। हम अपनी जड़ों को न भूलें।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आज मैं जनजातीय बहन लहरी बाई से मिला, जिनकी बीज बैंक बनाने के लिये प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सराहना की है। उन्होंने बीज बैंक बना कर भारत के विलुप्त होते बीजों को बचा लिया है।

कार्यक्रम में महापौर श्री पुष्यमित्र भार्गव, सांसद श्री शंकर ललवानी, विधायक, जन-प्रतिनिधि, जनजातीय समाज के पदाधिकारी और बड़ी संख्या में नागरिक मौजूद थे।