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पावर गैलरी डेस्क

केरल के कोझिकोड में एयर इंडिया का विमान फिसला 11 यात्रियों की मौत

  • केरल के कोझिकोड में एयर इंडिया का विमान फिसला
  • रन वे पर फिसला
  • 180 यात्री सवार थे
  • दुबई से आ रहा था
  • विमान के अगले हिस्से में हुआ नुकसान

राहत और बचाव कार्य जारी
कोझिकोड

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दुबई से 191 लोगों को लेकर आ रहा एयर इंडिया का विमान केरल के कोझिकोड इंटरैनशल एयरपोर्ट (कारीपुर एयरपोर्ट) के पास क्रैश हो गया है। जानकारी के मुताबिक, यह विमान रनवे से फिसलने के बाद घाटी में जा गिरा और दुर्घटना का शिकार हो गया। हादसे के बाद राहत और बचाव के लिए टीमें पहुंच गई हैं। फायर ब्रिगेड और ऐम्बुलेंस की गाड़ियां घटनास्थल पर मौजूद हैं।
जानकारी के मुताबिक, इस फ्लाइट की उड़ान संख्या IX1344 है। यह प्लेन दुबई से शाम के 4 बजकर 45 मिनट पर उड़ा था। जानकारी के मुताबिक, शाम को 7 बजकर 41 मिनट पर लैंडिंग के वक्त प्लेन रनवे से फिसलकर घाटी में जा गिरा। केरल के पुलिस महानिदेशक ने विमान हादसे में 11 लोगों की मौत की पुष्टि की है।

प्रो. प्रदीप कुमार जोशी बने UPSC के चेयरमैन

प्रोफेसर प्रदीप कुमार जोशी संघ लोक सेवा आयोग(UPSC) के नए अध्यक्ष नियुक्त किए गए हैं। प्रोफेसर जोशी अभी आयोग में सदस्य थे। वे मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। प्रोफेसर जोशी का कार्यकाल मई 2021 तक का होगा। फिलहाल भीम सेन बस्सी, एयर मार्शल ए एस भोंसले (सेवानिवृत्त), सुजाता मेहता, मनोज सोनी, स्मिता नागराज, एम साथियावती भारत भूषण व्यास, टी सी ए अनंत और राजीव नयन चौबे यूपीएससी के अन्य सदस्य हैं

कमलनाथ ने अपने पुत्र नकुल नाथ को घोषित कर दिया है भावी मुख्यमंत्री !

nakul nath
nakul nath s/o kamalnath

मध्यप्रदेश के दो पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह एवं कमलनाथ अपने-अपने बेटे को आगे बढ़ाने में जुट गए हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांगे्रस छोड़कर जाने से कमलनाथ एवं दिग्विजय सिंह दोनों ही इस बात को लेकर आश्वस्त दिखाई दे रहे हैं कि उनके बेटों को राजनीति में आगे बढ़ने में अब कोई चुनौती नहीं है। नकुल नाथ(nakul nath) को तो मुख्यमंत्री बनाए जाने के लिए अभियान भी सोशल मीडिया पर चल रहा है। वहीं दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन सिंह(jay vardhan singh) को भावी मुख्यमंत्री बताए जाने वाले होर्डिंग कुछ दिन दिन पहले भोपाल(bhopal) में लगाए गए थे। नकुल नाथ को नेतृत्व दिए जाने के हार्डिंग आज भोपाल में लगाए गए।

नकुल नाथ है मध्य प्रदेश से अकेले कांग्रेस सांसद

यह होर्डिंग नकुल नाथ के युवक कांग्रेस अध्यक्ष बनने का संकेत है?

मध्य प्रदेश की राजनीति में नकुल नाथ की एंट्री दो साल पहले ही हुई है। कमलनाथ जब मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष(president mp congress) का कार्यभार करने के लिए भोपाल आए थे उस वक्त नकुल नाथ भी उनके साथ थे। नकुल नाथ ही कमलनाथ के राजनीतिक उत्तराधिकारी होंगे, यह संकेत भी उसी दिन मंच पर उनकी मौजूदगी से मिल गया था। कमलनाथ के दो बेटे हैं ।दूसरा बेटा बकुल नाथ उनका बिज़नेस देखता है। कमलनाथ के मुख्यमंत्री बन जाने के बाद छिंदवाड़ा लोकसभा(chhindwara loksabha) क्षेत्र से नकुल नाथ को उम्मीदवार बनाया गया था। वे लगभग 37500 वोटों से ही चुनाव जीत पाए थे। यह जीत भी कमलनाथ के छिंदवाड़ा से विधानसभा का मुख्यमंत्री के नाते उप चुनाव लड़ने के कारण संभव हो पाई थी। नकुल नाथ मध्य प्रदेश से एकमात्र कांग्रेसी सांसद है। पिछले लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अपनी परंपरागत सीट गुना से चुनाव हार गए थे ।राज्य में लोकसभा की कुल 29 सीटें हैं।

जयवर्धन सिंह को भावी मुख्यमंत्री बताने वाले होर्डिंग का जवाब नकुल नाथ ने कुछ इस तरह दिया

उप चुनाव में नकुल नाथ को मिलेगी अहम जिम्मेदारी

छिंदवाड़ा के लोकसभा सांसद नकुल नाथ ने साफ तौर पर कहा है कि मध्यप्रदेश में होने वाले 27 विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनावों में युवाओं का नेतृत्व वे खुद करेंगे। कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार में जो युवा मंत्री जीतू पटवारी, हनी बघेल, जयवर्धन सिंह और ओमकार सिंह मरकाम जैसे युवा चेहरे अपने-अपने क्षेत्रों में उनके पीछे खड़े रहकर भा जा पा का मुकाबला करेंगे। नकुल नाथ के बयान से यह साफ है कि आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी में उनका दखल बढ़ने वाला है? कमलनाथ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के साथ साथ कांग्रेस विधायक दल के नेता भी है

नकुल नाथ से होगा जयवर्धन सिंह का टकराव

इस बात की संभावना बहुत ज्यादा दिखाई दे रही है कि नकुल नाथ को उप चुनाव की अहम जिम्मेदारी देने की कोई रणनीति कमलनाथ ने बनाई है। कमलनाथ विधानसभा उपचुनावों के जरिए ही अपने पुत्र को राजनीतिक तौर पर स्थापित करना चाहते हैं। नकुल नाथ के सामने चुनौती दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन सिंह की है। इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि उप चुनावों के ठीक पहले कांग्रेस के दो दिग्गज नेता अपने अपने पुत्रों को लेकर आमने सामने खड़े नजर आए?

देंखें नकुल नाथ ने क्या कहा युवा नेतृत्व के बारे में:-https://youtu.be/TYhS1qEhhvw

आज का पंचांग दिनांक 29 जुलाई 2020

aaj ka rashifal
राशिफल :कर्क राशि वालों के घर में शुभ कार्य का दिन

पंचांग 29-07-2020

  • दिनांक 29 जुलाई 2020
  • दिन – बुधवार
  • विक्रम संवत – 2077 (गुजरात – 2076)
  • शक संवत – 1942
  • अयन – दक्षिणायन
  • ऋतु – वर्षा
  • मास – श्रावण
  • पक्ष – शुक्ल
  • तिथि – दशमी 30 जुलाई रात्रि 01:16 तक तत्पश्चात एकादशी
  • नक्षत्र – विशाखा सुबह 08:33 तक तत्पश्चात अनुराधा
  • योग – शुक्ल शाम 03:35 तक तत्पश्चात ब्रह्म
  • राहुकाल – दोपहर 12:33 से दोपहर 02:12 तक
  • सूर्योदय – 06:12
  • सूर्यास्त – 19:17
  • दिशाशूल – उत्तर दिशा में

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शक्ति प्रदर्शन के लिए विधायकों को लेकर राजभवन पहुंचे गहलोत

सचिन पायलट(sachin pilot) को विधानसभा अध्यक्ष द्वारा दिए गए नोटिस पर हाईकोर्ट की रोक के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने विधायकों को लेकर राज भवन पहुंच गए हैं। अशोक गहलोत(ashok gajlot) राज्यपाल(rajypaal) के सामने संख्या बल का शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं। कांग्रेस के विधायक चार बसों में बैठकर राजभवन (rajbhawan) पहुंचे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी उनके साथ है ।मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज्यपाल से विधानसभा सत्र बुलाए जाने को मंजूरी देने का दबाव डाल रहे हैं। विधायकों का यह शक्ति प्रदर्शन भी इसीलिए किया गया ।गहलोत विधानसभा के भीतर संख्या बल दिखाना चाहते हैं।

धमकी-राजभवन घिरेगा तो हमारी जिम्मेदारी नहीं

इससे पहले अशोक गहलोत ने राज्यपाल के रवैये पर नाराजगी प्रकट करते और चेतावनी देते हुए कहा कि यदि राजस्थान की जनता राजभवन का घेराव करेगी तो हमारी जिम्मेदारी नहीं होगी। राज्यपाल कालराज मिश्रा(kaalraj mishra) और मुख्यमंत्री अशोक गहलोतके बीच तल्खी राजस्थान हाईकोर्ट के उस फैसले के बाद बढ़ी,जिसमें कि विधानसभा अध्यक्ष को दलबदल कानून के तहत सचिन पायलट के खिलाफ कार्यवाही करने से रोक दिया है। अशोक गहलोत का दावा है कि विधायकों का बहुमत उनके साथ है। सचिन पायलट के अलग होने से भी सरकार अल्पमत नहीं आती है। राज्यपाल कालराज मिश्रा कोरोना संक्रमण के कारण विधानसभा का सत्र बुलाने की मंजूरी नहीं दे रहे हैं। संविधान विशेषज्ञों का मानना है कि राज्यपाल स्वविवेक का उपयोग नहीं कर सकते। उन्हें मंत्रिपरिषद की सलाह को मानना ही होगा।

राजभवन गहलोत संघर्ष करों के नारें गूंजे

kaalraj mishra governer rajsthan

राज्यपाल कालराज मिश्रा ने मुलाकात का समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दिया था। लेकिन,गहलोत शक्ति प्रदर्शन के लिए विधायकों को भी अपने साथ ले गए। विधायक राजभवन (rajbhawan)में भाजपा की तानाशाही नहीं चलेगी,गहलोत तुम संघर्ष करों,हम तुम्हारे साथ हैं के नारे लगाने लगे। राज्यपाल मिश्रा ने विधायकों के इस रवैये पर नाराजगी भी प्रकट। बाद में अशोक गहलोत ने राज्यपाल कालराज मिश्रा ने विधायकों से लॉन में आकर मुलाकात भी की। विधायकों को शांत रहने के लिए कहा।

सचिन पायलट के कदम का हर किसी को इंतजार

राजस्थान में राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है। सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों को अब तक कांगे्रस पार्टी ने बाहर नहीं निकाला है। अशोक गहलोत की रणनीति विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव की व्हीप के जरिए पायलट की सदस्यता समाप्त करने की है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद सचिन पायलट का अगला कदम क्या होगा,इस पर सभी की निगाह टिकी हुई है। यद्यपि पायलट पहले ही यह कह चुके हैं कि वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल नहीं हो रहे हैं,लेकिनजो हालात दिखाई दे रहे हैं उसमें पर्दे के पीछे भाजपा की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता।

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चुनाव आयोग ने टाले सभी लोकसभा और विधानसभा चुनाव

Election Commission of India
Election Commission of India

चुनाव आयोग का फैसला कोरोना काल मे लोकसभा और विधानसभा के लिए चुनाव नही होंगे । आयोग ने कानून मंत्रालय को भेजा दिया है । सर्टिफिकेट चुनाव आयोग द्वारा विधि मंत्रालय को भेजे गए प्रस्ताव का असर मध्यप्रदेश विधानसभा की रिक्त 26 सीटों पर भी पड़ेगा। आयोग आगर मालवा और जौरा विधानसभा उप सीट के उप चुनाव दो माह पहले ही टाल चुका था। मध्यप्रदेश में कुल 26 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं,जहां कि सीटें खाली हैं।

क्या बिहार में भी टाल जाएंगे विधानसभा के आम चुनाव

चुनाव आयोग को नवंबर से पहले बिहार में विधानसभा के आम चुनाव कराना है। देश में जिस तेजी के साथ कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा है,उसे देखकर लगता नहीं कि अगले दो माह में स्थिति नियंत्रण में आ पाएगी। समय पर विधानसभा का गठन हो जाए,इसके लिए चुनाव आयोग को मतदान की तारीखों का एलान सितंबर अंत तक हर हाल में करना होगा। अन्यथा स्थितियां राष्ट्रपति शासन की बन जाएंगीं।

उप चुनाव छह माह में कराने की बाध्‍यता?

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के भाग 9 में धारा 150 राज्य विधान सभाओं में हुई आकस्मिक रिक्तियों के संबंध में हैं। आकस्मिक रिक्ति निधन अथवा त्यागपत्र के कारण होती है। अधिनियम की धारा 151 मैं रिक्तियों को भरने के लिए समय सीमा का प्रावधान किया गया है। यह प्रावधान धारा 151(क) में है। रिक्त स्थानों को भरे जाने के लिए प्रक्रिया छह के भीतर पूरी करना होता है। लेकिन,उन मामलों में यह समय-सीमा लागू नहीं होती,जब संसद अथवा विधानसभा का कार्यकाल एक वर्ष से भी कम बचा हो। उस स्थिति में भी समय अविध से छूट दी गई है,जब ऐसी स्थितियां निर्मित हो गईं हों कि निर्वाचन प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकती तो चुनाव आयोग, केन्द्र सरकार से परामर्श कर उन कारणें का उल्लेख कर प्रमाणित करता है कि उप चुनाव कराया जाना संभव नहीं है।

खतरे में पड़ सकता है सिलावट और राजपूत का मंत्री पद

मध्यप्रदेश में सत्ता पलट का नाटकीय घटनाक्रम मार्च में हुआ था। 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी थी। कांगे्रस पार्टी के 22 विधायकों के इस्तीफें के कारण कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांगे्रस सरकार का पतन हो गया था। कांगे्रस के जिन 22 विधायकों ने पार्टी छोड़कर विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया था,उनमें तुलसी सिलावट और गोविंद राजपूत भी हैं। इन दोनों को 21 अप्रैल को मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई थी। संवैधनिक प्रावधानों के तहत इन दोनों को छह माह के भीतर विधानसभा का सदस्य निर्वाचित होना है। यदि 20 अक्टूबर तक सदस्य नहीं चुने जाते तो इन्हें मंत्री पद छोड़ना होगा।

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श्रावण मास में शिव को प्रसन्न करने के लिए पार्थिव शिवलिंग पूजा ही सर्वोपरि

श्रावण मास में जो पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर एकबार भी उसकी पूजा कर लेता है, वह दस हजार कल्प तक स्वर्ग में निवास करता है, शिवलिंग के अर्चन से मनुष्य को प्रजा, भूमि, विद्या, पुत्र, बान्धव, श्रेष्ठता, ज्ञान एवं मुक्ति सब कुछ प्राप्त हो जाता है | जो मनुष्य ‘शिव’ शब्द का उच्चारण कर शरीर छोड़ता है वह करोड़ों जन्मों के संचित पापों से छूटकर मुक्ति को प्राप्त हो जाता है |

दिनांक 21 जुलाई 2020

दिन – मंगलवार
विक्रम संवत – 2077 (गुजरात – 2076)
शक संवत – 1942
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – वर्षा
मास – श्रावण
पक्ष – शुक्ल
तिथि – प्रतिपदा रात्रि 09:24 तक तत्पश्चात द्वितीया
नक्षत्र – पुष्प रात्रि 08:30 तक तत्पश्चात अश्लेशा
योग – वज्र शाम 05:35 तक तत्पश्चात सिद्धि
राहुकाल – शाम 03:52 से शाम 05:31 तक
सूर्योदय – 06:09
सूर्यास्त – 19:20
दिशाशूल – उत्तर दिशा में
व्रत पर्व विवरण – अमावस्यांत श्रावण मासारम्भ, नक्तव्रतारम्भ, शिवपार्थेश्वर पूजन प्रारंभ, शिवपूजनारम्भ, मंगलागौरी पूजन । विशेष – प्रतिपदा को कूष्माण्ड(कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34) । चतुर्मास के दिनों में ताँबे व काँसे के पात्रों का उपयोग न करके अन्य धातुओं के पात्रों का उपयोग करना चाहिए।(स्कन्द पुराण) चतुर्मास में पलाश के पत्तों की पत्तल पर भोजन करना पापनाशक ।

कलियुग में पार्थिव शिवलिंग पूजा ही सर्वोपरि है ।

कृते रत्नमयं लिंगं त्रेतायां हेमसंभवम्
द्वापरे पारदं श्रेष्ठं पार्थिवं तु कलौ युगे (शिवपुराण)
शिवपुराण के अनुसार पार्थिव शिवलिंग का पूजन सदा सम्पूर्ण मनोरथों को देनेवाला हैं तथा दुःख का तत्काल निवारण करनेवाला है |
पार्थिवप्रतिमापूजाविधानं ब्रूहि सत्तम ॥
येन पूजाविधानेन सर्वाभिष्टमवाप्यते ॥
अग्निपुराण के अनुसार
त्रिसन्ध्यं योर्च्चयेल्लिङ्गं कृत्वा विल्वेन पार्थिवम् ।
शतैकादशिकं यावत् कुलमुद्‌धृत्य नाकभाक् ।। ३२७.१५ ।। अग्निपुराण
जो मनुष्य प्रतिदिन तीनों समय पार्थिव लिङ्ग का निर्माण करके बिल्वपत्रों से उसका पूजन करता है, वह अपनी एक सौ ग्यारह पीढ़ियों का उद्धार करके स्वर्गलोक को प्राप्त होता है।
स्कंदपुराण के अनुसार
प्रणम्य च ततो भक्त्या स्नापयेन्मूलमंत्रतः॥
ॐहूं विश्वमूर्तये शिवाय नम॥
इति द्वादशाक्षरो मूलमंत्रः॥ ४१.१०२ ॥
“ॐ हूं विश्वमूर्तये शिवाय नमः” यह द्वादशाक्षर मूल मंत्र है। इससे शिवलिंग को स्नान कराना चाहिए।

श्रावण में रुद्राभिषेक करने का महत्व

“रुद्राभिषेकं कुर्वाणस्तत्रत्याक्षरसङ्ख्यया, प्रत्यक्षरं कोटिवर्षं रुद्रलोके महीयते। पञ्चामृतस्याभिषेकादमृत्वम् समश्नुते।। ”
श्रावण में रुद्राभिषेक करने वाला मनुष्य उसके पाठ की अक्षर-संख्या से एक-एक अक्षर के लिए करोड़-करोड़ वर्षों तक रुद्रलोक में प्रतिष्ठा प्राप्त करता है। पंचामृत का अभिषेक करने से मनुष्य अमरत्व प्राप्त करता है।
श्रावण मास में भूमि पर शयन
“केवलं भूमिशायी तु कैलासे वा समाप्नुयात” – स्कन्दपुराण
श्रावण मास में भूमि पर शयन करने से मनुष्य कैलाश में निवास प्राप्त करता है।

रुद्राभिषेक के विभिन्न पूजन के लाभ इस प्रकार हैं-

जल से अभिषेक करने पर वर्षा होती है। असाध्य रोगों को शांत करने के लिए कुशोदक से रुद्राभिषेक करें। भवन-वाहन के लिए दही से रुद्राभिषेक करें। लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें। धनवृद्धि के लिए शहद एवं घी से अभिषेक करें। तीर्थ के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है। इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है। रुद्राभिषेक से योग्य तथा विद्वान संतान की प्राप्ति होती है। पुत्र प्राप्ति के लिए दुग्ध से और यदि संतान उत्पन्न होकर मृत पैदा हो तो गोदुग्ध से रुद्राभिषेक करें। ज्वर की शांति हेतु शीतल जल/ गंगाजल से रुद्राभिषेक करें। सहस्रनाम मंत्रों का उच्चारण करते हुए घृत की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है। प्रमेह रोग की शांति भी दुग्धाभिषेक से हो जाती है। शकर मिले दूध से अभिषेक करने पर जड़बुद्धि वाला भी विद्वान हो जाता है।

सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रु पराजित होता है। शहद के द्वारा अभिषेक करने पर यक्ष्मा (तपेदिक) दूर हो जाती है। पातकों को नष्ट करने की कामना होने पर भी शहद से रुद्राभिषेक करें। गोदुग्ध से तथा शुद्ध घी द्वारा अभिषेक करने से आरोग्यता प्राप्त होती है।पुत्र की कामना वाले व्यक्ति शकर मिश्रित जल से अभिषेक करें। ऐसे तो अभिषेक साधारण रूप से जल से ही होता है।

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रिश्वत लेते वीडियो वायरल होने के बाद बी मधु कुमार बाबू को ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के पद से हटाया

मध्य प्रदेश के ट्रांसपोर्ट कमिश्नर बी मधु कुमार बाबू का रिश्वत लेते एक वीडियो वायरल होने के बाद उनका तबादला पुलिस मुख्यालय में कर दिया गया है । मधु कुमार बाबू को कमलनाथ सरकार में ट्रांसपोर्ट कमिश्नर बनाया गया था । सरकार बदलने के बाद भी उन्हें इस पद से नहीं हटाया गया ।आज दोपहर बाद उनका रिश्वत लेते वीडियो वायरल होने के बाद सरकार हरकत में आई और उनका तबादला कर दिया गया ।वायरल वीडियो उस वक्त का दिखाई दे रहा है जब.वे उज्जैन जोन में पुलिस महानिरीक्षक थे। वीडियो वायरल करने वाले व्यक्ति का नाम जतिन बताया जाता है ।यद्यपि कई पत्रकारों को यह वीडियो देश के बाहर के मोबाइल नंबर से भेजा गया है। वायरल वीडियो में मधु कुमार बाबू किसी रेस्ट हाउस के कमरे में बैठे हुए हैं। कक्ष में बारी बारी से पुलिस की वर्दी पहने व्यक्ति आते हैं और एक लिफाफा देकर चले जाते हैं। मधु कुमार लिफाफा लेकर व्यक्ति का हालचाल पूछते हैं और उसे तत्काल रवाना कर देते हैं। उसके जाने के बाद लिफाफे के ऊपर कुछ लिखकर जल्दी से ब्रीफकेस के भीतर तक रख देते हैं। यह सिलसिला चलता हुआ वायरल वीडियो में दिखाया गया है।

https://www.youtube.com/watch?v=dVnXv4f-R_E

मध्यप्रदेश में एक और कांग्रेस विधायक सुमित्रा देवी का इस्तीफा

नेपानगर से कांग्रेस की विधायक सुमित्रा सुमित्रा देवी ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। पिछले 6 दिनों में कांग्रेस के दूसरे विधायक ने इस्तीफा दिया है। इससे पहले रविवार को छतरपुर जिले के बड़ा मलहरा विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित कांग्रेस विधायक प्रद्युमन लोधी ने इस्तीफा दिया था। विधायकी छोड़ने के बाद लोधी भाजपा में शामिल हो गए। नेपानगर विधायक सुमित्रा देवी के भी भाजपा में शामिल होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

सुमित्रा देवी ने मंजू राजेंद्र दादू को पराजित किया था

Sumitra devi Kasdekar

सुमित्रा देवी कसडेकर को विधानसभा चुनाव में 85 हजार से अधिक मत प्राप्त हुए थे। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भारतीय जनता पार्टी की मंजू राजेंद्र दादू को पराजित किया था ।सुमित्रा देवी के इस्तीफे के बाद अब तक कांग्रेस के 24 विधायकों के इस्तीफे हो चुके हैं। 22 विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भारतीय जनता पार्टी में चले गए थे। सुमित्रा देवी ने विधायकी क्यों छोड़ी इस बारे में कोई स्पष्ट कारण अब तक सामने नहीं आ सका है। लेकिन, यह जरूर अनुमान लगाया जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी द्वारा कांग्रेस मुक्त मध्य प्रदेश का जो अभियान चलाया जा रहा है उसके तहत ही सुमित्रा देवी ने इस्तीफा दिया है। सुमित्रा देवी पहली बार की विधायक है।

विधायकों के इस्तीफे से उठ रहे हैं कमलनाथ के नेतृत्व पर सवाल

Kamalnath

मध्य प्रदेश में लगातार हो रहे कांग्रेस के विधायकों के इस्तीफे को वरिष्ठ नेता एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ की सबसे बड़ी विफलता के तौर पर देखा जा रहा है । वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कमलनाथ ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के चेहरे को आगे रखकर 15 साल बाद कांग्रेस की सत्ता में वापसी कराई थी। कांग्रेस की सत्ता आने के बाद मुख्यमंत्री बने कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया से समन्वय बनाकर सरकार नहीं चला पाए । नतीजा भारतीय जनता पार्टी की 15 माह बाद ही सत्ता में वापसी हो गई। अब लगातार कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे ने कमलनाथ की कार्यप्रणाली पर भी कई तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस की राजनीति में ऐसे हालात प्रदेश में कभी भी देखने को नहीं मिले।

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राजनीति के शीर्ष पदों तक ऐसे पहुंचे राहुल, दिग्विजय और अशोक गहलोत

dinesh gupta

राहुल गांधी, (Rahul Gandhi) ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) और सचिन पायलट (Sachin Pilot) के सक्रिय राजनीति में आने की कहानी में कई सामनताएं हैं। राहुल गांधी कांगे्रस पार्टी की जिस राजनीतिक विरासत के उत्तराधिकारी हैं,उसमें हर शीर्ष पद उनके लिए सुरक्षित है। राुहल गांधी,कांगे्रस के नेताओं के लिए भाग्य विधाता से कम नहीं हैं। भले ही वे शीर्ष पद पर रहें अथवा न रहें। पद स्वीकार करना अथवा न करने का उनका अधिकार भी सुरक्षित है। लेकिन,ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) और सचिन पायलट (Sachin Pilot) के साथ ऐसा नहीं है। राजनीति के ये दोनों चमकदार चेहरे भी अपने-अपने पिता की तरह कांगे्रस(Congress) की आतंरिक राजनीति से प्रताड़ित रहे हैं। सिंधिया और पायलट की उम्र आज लगभग उतनी ही जितनी उम्र में दिग्विजय सिंह और अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बना दिया गया था। दिग्विजय सिंह 46 साल में मुख्यमंत्री बने और गहलोत 47 साल में इस पद आए। लेकिन, इससे पहले पार्टी ने इन दोनों नेताओं को लगातार किसी न किसी महत्वपूर्ण पद पर बैठाकर रखा।

रणदीप सुरजेवाला ने बताया था कि पायलट को  दिया उम्र से ज्यादा

Congress Conference

राजस्थान (Rajasthan) के राजनीतिक संकट को हल करने के लिए कांगे्रस पार्टी ने अजय माकन (Ajay Makan) और रणदीप सुरजेवाला (Randeep Surjewala) को पर्यवेक्षक के तौर पर जयपुर भेजा था। इनके साथ प्रभारी महासचिव अविनाश पांडे (Avinash Pandey) भी थे। रणदीप सुरजेवाला (Randeep Surjewala) ने जयपुर जाकर एक नई बहस खड़ी कर दी। यह बहस कांगे्रस पार्टी में नेताओं को दिए जाने वाले पदों को लेकर है। सुरजेवाला ने कहा कि कांगे्रस पार्टी ने सचिन पायलट (Sachin Pilot) को कम समय में ज्यादा पद दिए हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) और सचिन पायलट दोनों की ही राजनीति में इंट्री दुर्घाटनावश मानी जाती है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया और सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट की मौत दुर्घटना में हुई थी। माधवराव सिंधिया (Madhav Raj Scindia) का हवाई दुर्घटना में और राजेश पायलट (Rajesh Pilot) का सड़क दुर्घटना में निधन हुआ था। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने पिता के परंपरागत निर्वाचन क्षेत्र से वर्ष 2002 में लोकसभा का उप चुनाव लड़ा था। सचिन पायलट (Sachin Pilot) 2002 में विदेश से लौटने के बाद कांगे्रस में शामिल हुए। उनके पिता का निधन वर्ष 2000 में हुआ था। पायलट 2004 में पहली बार दौसा से लोकसभा के लिए चुने गए। सिंधिया दूसरी बार लोकसभा में चुनकर पहुंचे थे। दोनों को अपने पिता की राजनीतिक विरासत के कारण कांगे्रस पार्टी ने यह मौका दिया था। कांगे्रस इन सुनिश्चित जीत वाली सीटों को गंवाना नहीं चाहती थी। दूसरी और राहुल गांधी ने भी लोकसभा का पहला चुनाव 2004 में ही लड़ा था। राहुल गांधी और सचिन पायलट का लोकसभा में प्रवेश एक साथ ही हुआ।

तीन साल में महासचिव और तेरह साल में सर्वेसर्वा बन गए राहुल

2004 के लोकसभा चुनाव से राहलु गांधी (Rahul Gandhi) को भी यह नहीं पता था कि उन्हें चुनाव लड़ना है। कांगे्रस की कमान प्रियंका गांधी को सौंपी जाएगी,यह संभावनाएं ज्यादा प्रकट की जाती थीं। राहुल गांधी प्रबंधन गुरू माइकल पोर्टर की कंपनी मॉनीटर गु्रप के साथ काम करते थे। इसके बावजूद राहुल गांधी का राजनीतिक प्रबंधन सबसे कमजोर साबित हुआ है। जनाधार वाले नेता लगातार पार्टी को छोड़ रहे हैं। राहुल गांधी 2007 में पार्टी के महासचिव बन गए थे। उनके पास युवक कांगे्रस और छात्र संगठन की जिम्मेदारी थी। इन दोनों संगठनों में चुनाव कराने का जो प्रयोग राहुल गांधी ने किया,उससे राज्यों में नेतृत्व उभर कर सामने नहीं पाया। राहुल गांधी, दिसंबर 2017 में कांगे्रस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए। पार्टी के इस शीर्ष पद पर पहुंचने में उन्हें तेरह साल का समय लगा। सत्रह साल की राजनीति में सचिन पायलट प्रदेश अध्यक्ष ही बन सके। मुख्यमंत्री पद पर उनकी दावेदारी को कांगे्रस के आला नेताओं ने सचिन पायलट की महत्वाकांक्षा करार दिया। प्रिया दत्त ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया कि महत्वाकांक्षी होना कोई गलत नहीं है।

डेढ़ दशक में ही ताकतवर नेता बन गए थे दिग्विजय और गहलोत

ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) अपने पिता माधवराव सिंधिया (Madhav Raj Scindia) की तरह की कांगे्रस की गुटबाजी के शिकार बन गए। माधवराव सिंधिया का विरोध अर्जुन सिंह के अलावा दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) और कमलनाथ (Kamalnath) ने किया। ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) की राह में रोड़ा भी दिग्विजय सिंह और कमलनाथ ही बने। दिग्विजय सिंह 1971 में सक्रिय राजनीति में आए और राघोगढ़ नगर पालिका के अध्यक्ष बने थे। महज छह साल की राजनीति में उन्हें विधायक का टिकट मिल गया। नौ साल बाद वे अर्जुन सिंह मंत्रिमंडल में कृषि राज्य मंत्री बन गए। युवक कांगे्रस के महासचिव रहे। इंदिरा गांधी के हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनाव में राजगढ़ से सांसद निर्वाचित हुए। 1985 में मध्यप्रदेश कांगे्रस कमेटी के अध्यक्ष बना दिए गए। मात्र चौदह साल की सक्रिय राजनीति में उन्हें प्रदेश कांगे्रस कमेटी के अध्यक्ष का पद मिल गया था। वे फरवरी 88 तक इस पद पर रहे। 1989 का लोकसभा चुनाव वे हार गए थे। लेकिन, 91 में जीत गए। फरवरी 1992 में वे दूसरी बार प्रदेश कांगे्रस के अध्यक्ष बन गए। 1993 में राज्य के मुख्यमंत्री की कुर्सी मिल गई। कुल 22 साल का समय राज्य के इस शीर्ष पद तक पहुंचने में लगा। दस साल मुख्यमंत्री रहने के बाद पार्टी में महासचिव बनाए गए। राज्यसभा जाने का मौका भी मिला।

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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Rajasthan Chief Minister Ashok Gehlot) का जन्म 1951 का है। वे 1974 से 1979 तक कुल पांच साल भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन के प्रदेश अध्यक्ष रहे। इसके बाद से ही लगातार वे किसी न किसी पद पर बने हुए हैं। पांच बार लोकसभा का टिकट मिला। पहली बार 1980 में लोकसभा के लिए चुने गए। पहली ही बार में वे केन्द्र में उप मंत्री भी बन गए। लगभग 18 साल लोकसभा सदस्य रहे। 1985 में पहली बार प्रदेश कांगे्रस कमेटी के अध्यक्ष बन गए। उस वक्त गहलोत की उम्र चौंतीस साल थी। एनएसयूआई से प्रदेश कांगे्रस कमेटी के अध्यक्ष पद तक पहुंचने में उन्हें सिर्फ ग्यारह साल का समय लगा। उनकी उम्र 34 साल थी। पायलट 36 साल की उम्र में कांगे्रस के प्रदेशाध्यक्ष बने । एनएसयूआई अध्यक्ष पद से हटने के मात्र छह साल में ही गहलोत पीसीसी अध्यक्ष बन गए। गहलोत तीन बार प्रदेश कांगे्रस अध्यक्ष बनाए गए। गहलोत पहली बार वर्ष 1998 में राज्य के मुख्यमंत्री बनाए गए थे। बीस साल की राजनीति में वे इस पद तक पहुंच गए थे। गहलोत 29 साल की उम्र सांसद बने। 31 साल की उम्र में केन्द्रीय मंत्री बन गए। पायलट 32 साल की उम्र में केन्द्र में मंत्री बने। जबकि पायलट 26 साल की उम्र में और ज्योतिरादित्य सिंधिया 31 साल की उम्र में पहली बार सांसद निर्वाचित हुए। सिंधिया को केन्द्रीय मंत्रिमंडल में जगह 36 साल की उम्र में मिली।

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और देखें :- सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री पद से बर्खास्त किया https://powergallery.in/news/headlines/