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पावर गैलरी डेस्क

गुना सांसद के पी यादव को ज्योतिरादित्य सिंधिया से क्यों है परहेज

Jyotiraditya Scindia BJP
Jyotiraditya Scindia BJP bye election jora

भारतीय जनता पार्टी द्वारा आयोजित की जानी वर्चुअल रैली के क्रम में सोमवार को प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने मुंगावली की सभा को संबोधित किया. इस सभा में ज्योतिरादित्य सिंधिया दिल्ली से शामिल हुए. सभा में गुना के सांसद के पी यादव का शामिल ना हो ना कई तरह की अटकलों को जन्म दे रहा है. सिंधिया से दूरी खुद के पी यादव बना रहे हैं या भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें अलग-थलग कर दिया यह सवाल भी महत्वपूर्ण है

सिंधिया की नसीहत गुटबाजी से रहें दूर

सिंधिया की नसीहत गुटबाजी से रहें दूर गुना के सांसद के पी यादव लोकसभा चुनाव से पहले तक ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी लोगों में एक माने जाते थे ।चुनाव के पहले के पी यादव कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में आ गए थे । पार्टी ने उन्हें गुना संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया और चुनाव भी जिताया। मार्च में राजनीतिक स्थितियां बदली और ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में आ गए। सिंधिया के साथ उनके 22 समर्थक विधायक भी भारतीय जनता पार्टी को मिले । राज्य की सरकार भी एक बार फिर वापस मिल गई। भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता इस बदलाव से खुश है । लेकिन कई जगह स्थानीय राजनीतिक समीकरणों के कारण कुछ नेताओं को सिंधिया का भारतीय जनता पार्टी में आना रास नहीं आ रहा ।जिन्हें सिंधिया के आने से राजनीतिक दिक्कत है उन नेताओं में केपी यादव भी शामिल है ।यद्यपि सिंधिया अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं कि भाजपा नेता के तौर पर राजनीति करें और गुटबाजी से अपने आप को बचा कर रखें। पिछले दिनों कांग्रेस छोड़कर आए कार्यकर्ताओं से उन्होंने कहा कि वे अब भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता है उसी की रीति नीति के अनुसार काम करें।

सिंधिया ने कहा भाजपा ही मेरा परिवार है

राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आज एक ट्वीट कर कहा कि मैने खुद को पूरे विश्वास के साथ भारतीय जनता पार्टी को सौंप दिया है। अब यही मेरा परिवार है। सिंधिया ने अपने ट्वीट में यह भी लिखा कि मेरे पूज्य पिताजी हो या मैं, हमनें राजनीति में कभी छल कपट का सहारा कभी नहीं लिया। सिंधिया के खिलाफ पिछले चार महिनें से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ-दिग्विजय सिंह सहित पूरी कांगे्रस प्रचार अभियान चला रही है। असंसदीय शब्दों का उपयोग भी कांगे्रस के नेताओं द्वारा की जा रहा है। सिंधिया ने अपने भोपाल प्रवास के दौरान भारतीय जनता पार्टी कार्यालय में आयोजति वर्चुयल रैली में कहा था कि पिछले 90 दिन से उन पर कई तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं। उन्होंने कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का नाम लेते हुए कहा था कि टाइगर अभी जिंदा है।

https://twitter.com/JM_Scindia/status/1280063576665763840?s=20

क्या केपी यादव ने जन संवाद का बहिष्कार किया है

विधानसभा उप चुनाव को ध्यान में रखते हुए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मुंगावली और बमोरी में वर्चुयल जन संवाद रैली को संबोधित किया। इस रैली में स्थानीय सांसद केपी यादव की अनुपस्थिति की ओर सभी का ध्यान गया। यादव के समर्थकों की ओर से कहा कि पार्टी ने इस रैली में उन्हें आमंत्रित ही नहीं किया। इस सवाल पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने स्वीकार किया कि गुना सांसद कार्यक्रम में नहीं थे। लेकिन,क्यों इस सवाल का कोई जवाब प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने नहीं दिया।

मध्य प्रदेश के दसवीं बोर्ड की परीक्षा के नतीजे घोषित

माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा आयोजित की गई दसवीं बोर्ड की परीक्षा के नतीजे घोषित कर कर दिए गए हैं परीक्षा 1 से 19 मार्च के बीच आयोजित की गई थी हाईस्कूल परीक्षा में इस बार 62.84% नियमित तथा 16.95% प्राइवेट परीक्षार्थी सफल रहे हैं परीक्षा के नतीजों में लड़कियों ने बाजी मारी है सफल छात्रों का प्रतिशत 60.87% रहा है

माध्यमिक शिक्षा मंडल का शनिवार को दो विषयों में जनरल प्रमोशन के साथ घोषित होगा हाई स्कूल का परिणाम

आधिकारिक सूचना अनुसार मध्यप्रदेश में 10वीं बोर्ड का रिजल्ट 4 जुलाई, शनिवार को 12:00 बजे घोषित कर दिया जाएगा।। कोरोना वायरस के कारण छात्रों को दो विषयों में जनरल प्रमोशन दिया गया है। जो छात्र टॉपर आए हैं , उनको कोरोना के कारण बुलाया नहीं जाएगा। मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल (MP Board) में इस साल 10 लाख विद्यार्थी परीक्षा में शामिल हुए हैं। माध्यमिक शिक्षा मंडल (MP Board) के कक्षा 10वीं के रजिल्ट का बेसब्री से इंतजार हो रहा है। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा दिए गए निर्देश अनुसार MP Board 10वीं की मेरिट लिस्ट बनाते समय केवल उन परीक्षाओं को आधार बनाया जाएगा, जो मार्च 2020 के महीने में कोरोना महामारी और लॉकडाउन लगने के पहले पूरी कर ली गई थी। MP Board की 10वीं की जितनी परीक्षाएं मार्च के महीन में आयोजित हो गईं थी, उन्हीं के आधार पर रिजल्ट तैयार किया जा रहा है और मेरिट लिस्ट भी उसी आधार पर तैयार की जाएंगी।बोर्ड (MP Board) का रिजल्ट mpresults.nic.in पर घोषित किया जाएगा। इस बार बोर्ड ने मोबाइल ऐप के जरिए भी रिजल्ट देखने की व्यवस्था की है।

मध्य प्रदेश में प्रत्येक वर्ष हाई स्कूल (10वीं) और हायर सेकण्डरी (12वीं) का रिजल्ट 15 मई तक घोषित करने की परंपरा ही है, जो कोरोना वायरस के कारण इस बार टूटने जा रही है। इस साल हायर सेकण्डरी(12वीं) की तो पूरी परीक्षा भी नहीं हो पाई है। अब तक 10 पेपर लिए जा चुके हैं और 9 बाकी हैं। ये परीक्षाएं 9 जून से 15 जून तक ली जाएंगी।MP Board के अधिकारियों ने पहले ही संकेत दे दिए थे कि इस साल पहले हाई स्कूल का रिजल्ट घोषित होगा और फिर हायर सेकण्डरी का। कोरोना वायरस के कारण ऐसा पहली बार ऐसा होगा, जब दोनों कक्षाओं के रिजल्ट जारी होने में अंतर होगा।

रिजल्ट के लिए लिंक

http://mpbse.nic.in/results.htm

टाइगर सिंधिया के वार से अब कैसे बचेगी कांगे्रस ?

Jyotiraditya Scindia BJP
Jyotiraditya Scindia BJP bye election jora

भारतीय जनता पार्टी (BJP) में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) कांगे्रस को लेकर आक्रमक मुद्रा में हैं। पिछले तीन माह से कमलनाथ (KamalNaath) और दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) द्वारा उनके खिलाफ चलाए जा रहे अभियान पर सिंधिया ने कहा कि टाइगर अभी जिंदा है। कांगे्रस और उसके नेताओं को लेकर भी सिंधिया हमलावर हैं। भाजपा (BJP) की रीति-नीति को आत्मसात करते हुए सिंधिया ने आपातकाल लगाए जाने पर भी कांगे्रस को निशाने पर लेने में देरी नहीं की। शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chuohan) के मंत्रिमंडल में अपने सबसे ज्यादा समर्थकों को शपथ दिलाकर सिंधिया यह संदेश देने में सफल रहे हैं कि कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांगे्रस सरकार में उनकी उपेक्षा की जा रही थी।

उप चुनाव के मैदान होगा सिंधिया-कांगे्रस का सीधा मुकाबला

भारतीय जनता पार्टी कार्यालय में ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) उसी तरह से भीड़ से घिरे दिखाई दिए जिस तरह कांगे्रस में नजर आते थे। ग्वालियर-चंबल संभाग के कई नेता और कार्यकता कांगे्रस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं। मंत्रिमंडल (Cabinet)के बाद सिंधिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती उप चुनाव में अपने समर्थकों को जीताने की है। उप चुनाव के मैदान में ही सिंधिया का पहली बार आमने-सामने का मुकाबला उन नेताओं से होगा जो कांगे्रस में उनकी राह में रोड़े अटकाते रहते थे। ऐसे नेताओं में कमलनाथ (KamalNaath) और दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) बडे़े नाम हैं। सिंधिया के भाजपा (BJP) में जाने के बाद से ये दोनों नेता सिंधिया को गद्दार कहकर उन पर लगातार हमला कर रहे हैं। विधायकों पर सौदेबाजी के आरोप लगा रहे हैं। इन आरोपों पर सिंधिया ने भोपाल में कहा कि टाइगर अभी जिंदा है। उन्होंने कहा कि मैं कांगे्रस को पूर्ण जवाब दूंगा। अभी तो कमलनाथ (KamalNaath) और दिग्विजय सिंह
(Digvijay Singh) को इतना ही कहना चाहता हूं कि “टाइगर अभी जिंदा ” है। 

ग्वालियर-चंबल का मंत्रिमंडल में दबदबा

ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के कारण ग्वालियर-चंबल संभाग का पलड़ा मंत्रिमंडल (Cabinet) में भारी हो गया है। मुरैना से लेकर गुना तक सिंधिया ने अपने समर्थकों को मंत्री पद दिलाया। मुंगावली के विधायक ब्रजेन्द्र सिंह यादव, सुरेश धाकड़ पहली बार मंत्री बने हैं। बदनावर विधायक राजवर्द्धन सिंह को भी जगह दिलाने में सिंधिया को कोई दिक्कत नहीं हुई। कांगे्रस में विरोधी रहे ऐंदल सिंह कंसाना को भी सिंधिया ने अपने साथ कर लिया है। कंसाना मुरैना के सुमावली से विधायक हैं। मुरैना से ही सिंधिया ने अपने समर्थक गिर्राज दंडोतिया को भी मंत्रिमंडल में जगह दिलाई है। प्रद्युमन सिंह और इमरती देवी स्वभाविक दावेदार थीं। भिंड में ओपीएस भदौरिया को वफादारी का ईनाम मिला। बिसाहूलाल सिंह को भी सिंधिया का साथ मिला।

सोशल मीडिया पर असंतोष का शोर पर प्रतिक्रिया सधी हुई

शिवराज सिंह चौहान (Shivraj singh chouhan) के मंत्रिमंडल (Cabinet) में 9 वो चेहरे हैं,जो पिछली पारी में मंत्रिमंडल में साथ थे। सात नए चेहरों को जगह मिली है। इनमें ओमप्रकाश सकलेचा भी है। सकलेचा को पिछले दो कार्यकाल में शिवराज सिंह चौहान (Shivraj singh chouhan) ने मंत्रिमंडल से बाहर ही रखा। जबकि कैलाश जोशी के पुत्र दीपक जोशी और सुंदरलाल पटवा के दत्तक पुत्र सुरेन्द्र पटवा को मंत्री बनाया गया। ओमप्रकाश सकलेचा के पिता वीरेन्द्र कुमार सकलेचा भी मुख्यमंत्री रहे हैं। रामपाल सिंह,राजेन्द्र शुक्ला गौरीशंकर बिसेन जैसे चेहरे इस बार पिछड़ गए। इन नेताओं के चेहरों पर झलक रहा दर्द असंतोष की कहानी बयां करता है, लेकिन वे खुकर कुछ नहीं कह रहे। संजय पाठक ने जरूर यहा कहा कि जिन के कारण सरकार बनी, उनका हक पहला था। संजय पाठक छह साल पहले भी कांगे्रस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। नारायण त्रिपाठी का चेहरा कहीं दिखाई नहीं दिया। इंदौर में रमेश मेंदोला की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई। किसी समर्थक ने मिट्टी का तेल ड़ालकर आग लगाने की कोशिश की।

उमा भारती ने पत्र लिखकर जताई नाराजगी

मंत्रिमंडल में शामिल चेहरों को लेकर कांगे्रस न उगल पा रही है, न निगल पा रही है। राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा (Vivek Tankha) ने विंध्य, महाकौशल को पर्याप्त प्रतिनिधित्व न मिलने पर तंज कसा। मंत्रिमंडल (Cabinet) में शामिल अधिकांश चेहरे वो हैं,जो उप चुनाव में उम्मीदवार होंगे, इस कारण कांगे्रस को अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ सकता है। भाजपा में मंत्रिमंडल के गठन को लेकर उमा भारती (Uma Bharti) द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
(Shivraj singh chouhan) और वी ड़ी शर्मा (V D Sharma) को पत्र लिखकर नाराजगी प्रकट करने की बात जरूर सामने आई, लेकिन पत्र की कॉपी सामने नहीं आई। बताया जा रहा है कि उमा भारती (Uma Bharti) की नाराजगी उनके सुझावों को महत्व न देने पर है।

आनंदी बेन हो सकती हैं मध्यप्रदेश की प्रभारी राज्यपाल

महामहिम लालजी टंडन की बीमारी को देखते हुए एक-दो दिन में मध्यप्रदेश में प्रभारी राज्यपाल की नियुक्ति की जा सकती है। संभव है कि उत्तर प्रदेश राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को मध्यप्रदेश के राज्यपाल का प्रभार दे दिया जाए। राज्य के राज्यपाल लालजी टंडन अस्पताल में भर्ती हैं। दूसरी और भोपाल का राजभवन अब तक कोरोना मुक्त नहीं हो पाया है। आज भी तीन नए संक्रमित राजभवन में पाए गए हैं।

टंडन नौ जून से हैं अवकाश पर

लालजी टंडन नौ जून को भोपाल से लखनऊ के लिए रवाना हुए थे। राज्यपाल अपने गृह राज्य दस दिन का अवकाश लेकर गए थे। वहां उनकी तबियत बिगड़ गई। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। राज्यपाल टंडन को वेंटिलेटर पर रखा गया था। टंडन के अवकाश पर होने के बाद भी राष्ट्रपति ने किसी और राज्यनपाल को मध्यप्रदेश का प्रभार नहीं सौंपा है। संभवत: इसकी वजह राष्ट्रपति ने महसूस न की हो? लेकिन,अब मंत्रिमंडल के विस्तार की अटकलें तेज हो गर्इं हैं। इस कारण यह माना जा रहा है कि अगले एक-दो दिन में राज्यपाल का प्रभार पड़ोसी राज्य के राज्यपाल को सौंपा जा सकता है?


आनंदी बेन या उइके या फिर कोई और

मध्यप्रदेश के पड़ोसी राज्यों में उत्तरप्रदेश और छत्तीसगढ़ भी है। छत्तीसगढ़ के राज्यपाल अनुसुइया उइके मध्यप्रदेश मूल की हैं। संभवत: इस कारण उन्हें राज्य के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार न दिया जाए। संभावना यही है कि उत्तरप्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को मध्यप्रदेश के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार दिया जाए। गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत का नाम भी चर्चा में है।

राजभवन नियम विरूद्ध हुआ कंटेनमेन्ट मुक्त

पिछले माह राजभवन कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गया था। राज्यपाल लालजी टंडन को लखनऊ जाना था,इस कारण नियम विरूद्ध कंटेनमेन्ट मुक्त क्षेत्र घोषित कर दिया गया था। सोमवार को कोरोना पॉजेटिव नए मामले सामने आने के बाद राजभव को नए फिर से कंटेनमेंट क्षेत्र बनाया जा रहा है।

माइंड नहीं दिमाग का उपयोग कीजिए जनाब

डोंट माइंड प्लीज-1

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरूण मिश्रा की यह टिप्पणी बेहद अहम है कि सुप्रीम कोर्ट में ताला लगा दिया जाना चाहिए,बेहतर है कि देश में रहा न जाए और देश छोड़ दिया जाए। जस्टिस मिश्रा ने यह टिप्पणी सिर्फ अखबारों में सुर्खियां बटोरने के लिए नहीं की होगी? सुप्रीम कोर्ट में बैठे न्यायमूर्ति जो देख रहे है,महसूस कर रहे हैं उसमें उनकी टिप्पणी को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। टिप्पणी किसी सेलिबे्रटी या नेता की ओर से आई होती तो भगवा बिग्रेड सहित पूरी मशीनरी लाव-लश्कर लेकर उस टूट पड़ी होती। घर होता तो घर टूट जाता। दुकान टूट जाती। मनोबल तोड़ने के लिए हर हडकंडा अपनाया जाता। टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस की है। इस कारण हर तरफ सन्नाटा है। दरअसल,हुक्मरानों ने तय कर लिया है कि काने को कान कहने की कोशिश करने वालों के मुंह पर ऐसा ताला लगाया जाए कि फिर कोई दूसरा बोलने की हिम्मत ही न करे। डेढ सौ साल की गुलामी से निकले भारत देश को एक बार फिर गुलाम बनाने की कोशिश तानाशाही तरीके से हो रही है। तानाशाह की सफलता के पीछे नौकरशाही की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है। भारत के संविधान को गढ़ते समय इस बात का खास ख्याल रखा गया था कि लोकतंत्र के तीन महत्वपूर्ण अंगों में से कोई भी तानाशाह न हो पाए। कार्यपालिका,विधायिका और न्याय पालिका तीनों की संरचना ऐसी बनाई गई कि तानाशाही की गुंजाइश ही न रहे। कार्यपालिका और विधायिका का कोई गठजोड़ भी हो सकता है? शायद इस संभावना की कल्पना करने से संविधान सभा चूक गई। कार्यपालिका और विधायिका के इस गठजोड़ में न्याय पालिका खुद को शायद असहाय पा रही है? न्यायमूर्ति बाबुओं पर बरस रहे हैं। अदालत के आदेशों की अवहेलना करने वाले अफसरों पर कॉस्ट लगा रहे हैं। कहीं-कहीं तो न्यायमूर्ति न्याय करने के लिए अदालतों से बाहर भी निकल रहे हैं। अदालतों की तौहनी पर भडक रहे न्यायमूर्ति की आवाज भी नक्कार खाने में तूती की तरह है। देश में कानून का खुला मजाक निर्भया मामले में देखा गया है। कानून का राज देश में कहीं भी दिखाई नहीं देता। पूर्व-पश्चिम,उत्तर-दक्षिण कहीं भी नहीं। पूरी नौकरशाही राजनेताओं की ड्योडी पर बैठी है। वफादारी दिखाने की बेताबी उसकी आंखों में साफ देखी जा सकती है। नौकरशाही और सरकार बने नेताओं का गठजोड़ तीन सिद्धांत लेकर चल रहा है। साम,दाम,दंड। भेद के सिद्धांत को सियासी मोर्चे पर ही उपयोग किया जा रहा है। सांसद,विधायकों या महत्वपूर्ण नेताओं का दल बदल भेद के सिद्धांत का ही रूप है। केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी की नीति का यह अलिखित सिद्धांत है। टेलीकॉम कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन रूकवाने के लिए निश्चित तौर पर दाम का इस्तेमाल किया होगा? न्याय की कीमत भी लगाने की कोशिश की गई होगी? न्याय बिकता है,इस धारणा से मुक्त होने की न्यायपालिका की कोशिश पर लगातार कुछ लोग चोट पहुंचा रहे हैं। यह भी किसी से छुपा हुआ नहीं है। नीचली अदालतों में न्यायिक दंडाधिकारियों के ठीक सामने तारीखे बढ़ाने के लिए मुड़ा हुआ नोट लेते बाबुओं को याद कीजिए। अदालत और न्याय आसानी से समझ में आ जाएगा।

अदालतें नाराज होती हैं तो किसी का कुछ बिगडता नहीं है। अफसर पर कॉस्ट लगती है तो सरकारी खजाने से भुगतान हो जाता है। सजा भुगतने की स्थिति मौजूदा न्याय व्यवस्था में कम ही आती है। सजा वही भुगतता है जो तकदीर का मारा है। सिक्कों की खनक से तो भाग्य भी कई बार बदल जाता है। मौजूदा दौर में नौरशाही हो या सरकार में बैठे नेता दोनों ही आलोचना को सहन नहीं कर पा रहे हैं। मीडिया की स्वतंत्रता और विचार की अभिव्यक्ति का कोई मतलब ही नहीं है। हर राज्य में कोई न कोई ऐसा मामला सामने आता है,जो लोकतंत्र का अर्थ ही बदलकर रख देता है। नैतिकता लोकतंत्र के किसी भी स्तंभ में दिखाई नहीं देती है। विरोध के स्वर सख्ती से दबाए जा रहे हैं। हर दल की सरकारों में यह हो रहा है। अखबार अब समाज का आईना नहीं रहे। सच से ज्यादा झूठ दिखाई देता है। सच को जानने और स्वीकार करने के लिए नैतिक तौर मजबूत होना जरूरी है। जो नैतिकता से दूर चला गया है, वह माइंड भी करता है। देश और प्रदेश की घटनाओं पर हमारी यह श्रृंखला डोंट माइंड प्लीज सिर्फ इसलिए है कि आप अपने अंदन झांक कर सही फैसला ले सके।

आज का पञ्चांग

कलियुगाब्द……………………….5121
विक्रम संवत्………………………2076
शक संवत्………………………..1941
मास………………………………अश्विन
पक्ष………………………………..शुक्ल
तिथी……………………………..पूर्णिमा
रात्रि 02.36 पर्यंत पश्चात प्रतिपदा
रवि……………………………दक्षिणायन
सूर्योदय……………प्रातः 06.22.49 पर
सूर्यास्त……………संध्या 06.03.29 पर
सूर्य राशि…………………………..कन्या
चन्द्र राशि……………………………मीन
नक्षत्र………………………उत्तराभाद्रपद
प्रातः 07.41 पर्यंत पश्चात रेवती
योग……………………………..व्याघात
दुसरे दिन प्रातः 04.36 पर्यंत पश्चात हर्षण
करण………………………………विष्टि
दोप 01.37 पर्यन्त पश्चात बव
ऋतु……………………………….शरद
दिन……………………………..रविवार

आंग्ल मतानुसार
13 अक्तूबर सन 2019 ईस्वी ।

⚜ *तिथि विशेष :*शरद पूर्णिमा :*
शरद पूर्णिमा, जिसे कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा भी कहते हैं । हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा को कहते हैं। ज्‍योतिष के अनुसार, पूरे साल में केवल इसी दिन चन्द्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। इसी को कौमुदी व्रत भी कहते हैं। इसी दिन श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। मान्यता है इस रात्रि को चन्द्रमा की किरणों से अमृत झड़ता है। तभी इस दिन उत्तर भारत में खीर बनाकर रात भर चाँदनी में रखने का विधान है।

🔱 *व्रत कथा :*
एक साहुकार के दो पुत्रियाँ थी। दोनो पुत्रियाँ पुर्णिमा का व्रत रखती थी। परन्तु बडी पुत्री पूरा व्रत करती थी और छोटी पुत्री अधुरा व्रत करती थी। परिणाम यह हुआ कि छोटी पुत्री की सन्तान पैदा ही मर जाती थी। उसने पंडितो से इसका कारण पूछा तो उन्होने बताया की तुम पूर्णिमा का अधूरा व्रत करती थी जिसके कारण तुम्हारी सन्तान पैदा होते ही मर जाती है। पूर्णिमा का पुरा विधिपुर्वक करने से तुम्हारी सन्तान जीवित रह सकती है।
उसने पंडितों की सलाह पर पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक किया। उसके लडका हुआ परन्तु शीघ्र ही मर गया। उसने लडके को पीढे पर लिटाकर ऊपर से पकडा ढक दिया। फिर बडी बहन को बुलाकर लाई और बैठने के लिए वही पीढा दे दिया। बडी बहन जब पीढे पर बैठने लगी जो उसका घाघरा बच्चे का छू गया। बच्चा घाघरा छुते ही रोने लगा। बडी बहन बोली-” तु मुझे कंलक लगाना चाहती थी। मेरे बैठने से यह मर जाता।“ तब छोटी बहन बोली, ” यह तो पहले से मरा हुआ था। तेरे ही भाग्य से यह जीवित हो गया है। तेरे पुण्य से ही यह जीवित हुआ है। “उसके बाद नगर में उसने पुर्णिमा का पूरा व्रत करने का ढिंढोरा पिटवा दिया।

☸ शुभ अंक………………….4
🔯 शुभ रंग…………………लाल

👁‍🗨 *राहुकाल :-*
संध्या 04.33 से 05.59 तक ।

🌞 *उदय लग्न मुहूर्त :-*
*कन्या*
04:35:05 06:45:27
*तुला*
06:45:27 09:00:22
*वृश्चिक*
09:00:22 11:16:32
*धनु*
11:16:32 13:22:11
*मकर*
13:22:11 15:09:20
*कुम्भ*
15:09:20 16:42:54
*मीन*
16:42:54 18:14:05
*मेष*
18:14:05 19:54:48
*वृषभ*
19:54:48 21:53:24
*मिथुन*
21:53:24 24:07:06
*कर्क*
24:07:06 26:23:16
*सिंह*
26:23:16 28:35:05

🚦 *दिशाशूल :-*
पश्चिमदिशा – यदि आवश्यक हो तो दलिया, घी या पान का सेवनकर यात्रा प्रारंभ करें।

✡ *चौघडिया :-*
प्रात: 07.51 से 09.18 तक चंचल
प्रात: 09.18 से 10.45 तक लाभ
प्रात: 10.45 से 12.12 तक अमृत
दोप. 01.38 से 03.05 तक शुभ
सायं 05.59 से 07.32 तक शुभ
रात्रि 07.32 से 09.05 तक अमृत
रात्रि 09.05 से 10.39 तक चंचल ।

📿 *आज का मंत्रः*
॥ ॐ माधवाय नमः ॥

 *संस्कृत सुभाषितानि :-*
यथा वायुं समाश्रित्य वर्तन्ते सर्वजन्तवः ।
तथा गृहस्थमाश्रित्य वर्तन्ते सर्व आश्रमाः ॥
अर्थात :-
जिस तरह सब जंतु वायु को आश्रित होते हैं, वैसे सब आश्रम गृहस्थ (आश्रम) पर आश्रित हैं ।

🍃 *आरोग्यं सलाह :-*
*ज़ख्मों और घावों के आयुर्वेदिक उपचार :-*

1. चन्दन की लेई घाव पर लगाने से भी घाव जल्दी ठीक हो जाते हैं।

2. कच्चे केले का रस घाव पर लगाने से भी घाव जल्दी ठीक हो जाते हैं।

3. लहसुन का रस और हल्दी तिल के तेल के साथ मिलाकर बनाये हुए मिश्रण से सूजन कम हो जाती है और घाव जल्दी भर जाते हैं।

4. तिल और नीम के पत्ते एरंडी के तेल के साथ भूनकर और हल्दी और कपूर के साथ पीसकर घरेलू मरहम बनाया जा सकता है। इस मरहम को घाव पर लगाने से घाव जल्दी भर जाते हैं।

5. नारियल के तेल में कपूर उबाल लें और इसेसूजी हुई जगह पर लगा लें। अगले दिन उसे गरम पानी से धो लें। इससे अंदरूनी चोट के कारण हुई सूजन कम हो जाती है।

⚜ *आज का राशिफल :-*

🐏 *राशि फलादेश मेष :-*
(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)
नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। कोई बड़ा काम करने का मन बनेगा। मेहनत का फल मिलेगा। मित्रों तथा संबंधियों की सहायता करने का अवसर प्राप्त होगा। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। अपेक्षित कार्य समय पर पूरे होंगे। विवाद से बचें। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। प्रमाद न करें।

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
नजदीकी वातावरण सुखद रहेगा। भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। आत्मसम्मान बना रहेगा। दूसरे अधिक अपेक्षा करेंगे। दुष्टजनों से सावधान रहें। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। निवेश में सोच-समझकर हाथ डालें।

👫 *राशि फलादेश मिथुन :-*
(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)
यात्रा लाभदायक रहेगी। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। कोई बड़ा कार्य होने से प्रसन्नता में वृद्धि होगी। भाग्य का साथ रहेगा। भेंट व उपहार की प्राप्ति संभव है। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड इत्यादि से मनोनुकूल लाभ होगा। पुराना रोग उभर सकता है।

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
पुराना रोग परेशानी तथा बाधा का कारण बन सकता है। लापरवाही न करें। फालतू खर्च होगा। आर्थिक परेशानी रहेगी। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। नौकरी में समस्याएं रहेंगी। यात्रा यथासंभव टालें। जोखिम नहीं लें। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। आय बनी रहेगी।

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
यात्रा लाभदायक रहेगी। व्यापार-व्यवसाय अच्‍छा चलेगा। नौकरी में उच्चाधिकारी की प्रसन्नता प्राप्त होगी। डूबी हुई रकम प्राप्त हो सकती है। आय में वृद्धि होगी। समय की अनुकूलता का लाभ लें। घर-परिवार की चिंता रहेगी। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा।

👩🏻‍🦰 *राशि फलादेश कन्या :-*
(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
नई योजना बनेगी। तत्काल लाभ नहीं मिलेगा। कार्यस्थल पर सुधार या परिवर्तन संभव है। लंबित कार्य पूर्ण होने के योग हैं। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। कारोबार में अनुकूलता रहेगी। निवेश शुभ फल देगा। शत्रुओं से सावधान रहें।

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
राजकीय सहयोग से कार्य पूर्ण होंगे। व्यापार-व्यवसाय से लाभ होगा। नौकरी में चैन रहेगा। सहकर्मी साथ देंगे। किसी धार्मिक यात्रा का आयोजन हो सकता है। अध्यात्म में रुचि रहेगी। प्रसन्नता तथा उत्साह में वृद्धि होगी। आलस्य न करें।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
चोट व दुर्घटना से शारीरिक हानि संभव है। स्वास्थ्‍य का पाया कमजोर रहेगा। काम में मन नहीं लगेगा। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। कीमती वस्तुएं गुम हो सकती हैं। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। विवेक से कार्य करें। लाभ होगा।

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)
कानूनी बाधा दूर होकर लाभ की स्थिति बनेगी। कारोबार में वृद्धि होगी। नए काम मिल सकते हैं। नौकरी में अधीनस्थ कर्मचारी सहयोग करेंगे। घर-बाहर प्रसन्नता तथा उत्साह बने रहेंगे। प्रेम-प्रसंग में उपहार आदि देना पड़ सकते हैं। जल्दबाजी न करें।

🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)
स्थायी संपत्ति में वृद्धि के योग हैं। कोई बड़ा सौदा बड़ा लाभ दे सकता है। प्रमाद न कर भरपूर प्रयास करें। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। धनलाभ सहज होगा। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। चिंता बनी रहेगी।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। मित्रों तथा परिवार के सदस्यों के साथ समय सुखमय व्यतीत होगा। शोध इत्यादि कार्यों में सफलता प्राप्त होगी। संगीत इत्यादि रचनात्मक कार्यों में रुचि बढ़ेगी। जोखिम न उठाएं। वाणी में संयम आवश्यक है।

*राशि फलादेश मीन :-*
(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
नौकरी में तनाव रहेगा। अपेक्षित कार्य समय पर पूरे नहीं हो पाएंगे। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। भावना में बहकर कोई निर्णय न लें। किसी नजदीकी व्यक्ति से संबंध बिगड़ सकते हैं। पुराना रोग उभर सकता है। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। आय होगी। धैर्य रखें।

Watch video सिंधिया का यह रूप देखकर आप चौक जाएंगे

पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पिछले चार दिन ग्वालियर एवं चंबल संभाग के दौरे पर हैं। वे अपने इस दौरे में आमजन और कार्यकर्त्ताओं के काफी करीब नजर आ रहे हैं।

भिंड में एक कार्यकर्त्ता को अपने हाथ से खाना खिलाकर सिंधिया ने सभी को अचरज में डाल दिया।


बदल रही है सिंधिया की छवि

ज्योतिरादित्य सिंधिया,कांगे्रस की राजनीति में राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा नाम है। पिछला लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लहर के चलते हार गए।

सिंधिया विरोधियों ने उनकी राजनीतिक छवि को लगातार नुकसान पहुंचाया है। सिंधिया के बारे में उनके विरोधी अक्सर यह कहते सुने जा सकते हैं कि आम जनता और कार्यकर्त्ता को अपने करीब नहीं आने देते।

ग्वालियर-चंबल संभाग के दौरे में सिंधियों,विरोधियों द्वारा बनाई गई इस धारण को बदलने की कोशिश करते हुए दिखाई दिए।

अपने भिंड के दौरे में वे दिग्विजय सिंह समर्थक सहकारिता मंत्री डॉ. गोविंद सिंह के निवास खाना खाने पहुंचे। कार्यकर्त्ताओं के साथ भी खाना खाया। उन्हें अपने हाथ से खाना खिलाने में भी सिंधिया ने गुरेज नहीं की।

सिंधिया ने अपने फेसबुक पेज पर कार्यकर्त्ता को खाना खिलाते हुए एक वीडियो शेयर किया। इस वीडियो में वे एक कार्यकर्त्ता को इस तरह खाना खिला रहे हैं,जैसे एक पिता अपने छोटे बच्चे को खिलाता है।

सिंधिया के भिंड दौरे के ऐसे कई वीडियो और भी हैं। लाइट न होने के बाद भी भी टॉर्च की रोशनी में सेवादल की स्मारिका का अध्ययन करते नजर आ रहे हैं। करीब ही डॉ.गोविंद सिंह भी खड़े हुए हैं। यह तस्वीर शायद प्रदेश की भावी राजनीति की महत्वपूर्ण तस्वीर भी बन सकती है।

हर निमंत्रण का स्वीकार कर रहे हैं सिंधिया

सिंधिया अपने इस दौरे में गुटिय राजनीति को नकारते हुए नजर आ रहे हैं। कट्टर विरोधी डॉ.गोविंद सिंह के यहा खाना खाया तो समर्थक पूर्व मंत्री राकेश चौधरी और रमेश दुबे के निवास पर भी चाय पीने गए।

कार्यकर्त्ताओं,पदाधिकारियों और विधायकों से भी मिले। सिंधिया के इस दौरे से भिंड के कांगे्रसियों में खास उत्साह देखा गया। सिंधिया अपने इस दौरे में जन संवाद के जरिए राज्य की कमलनाथ सरकार का आकलन भी कर रहे हैं।

ग्वालियर के एक कार्यक्रम में महिलाओं ने जब शहर की सड़के खराब होने की शिकायत की तो सिंधिया ने कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त को तलब करने में देरी नहीं की। सिंधिया को इस दौरे में यह शिकायत भी सुनने को मिल रही है कि उनका कर्ज अब तक माफ नहीं हुआ है।

सिंधिया ने एक कार्यक्रम में कहा कि कांगे्रस पार्टी का वादा दो लाख तक के कर्ज माफ करने का था,लेकिन पचास हजार रऊपए तक के ही कर्ज माफ हुए हैं। सिंधिया के इस बयान को कमलनाथ सरकार पर हमला माना जा रहा है। कांगे्रस प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी कहते हैं कि सिंधिया किसानों हमेशा ही अपने अन्नादाता की समस्या को उठाते रहे हैं।

पहली बार सरकार का पुलिस जांच में दखल, पुलिस के अधिकारों पर उठे सवाल

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सरकार खुद रखेगी पूरी जांच पर नजर, डीजीपी को सहायता करने के निर्देश

प्रदेश के बहुचर्चित हनी ट्रैप कांड की जांच के लिए गठित की गई एसआईटी को अभी करीब 10 दिन ही हुए हैं, लेकिन इस बीच ही एसआईटी को अब तीसरा मुखिया मिल गया है। इस बार खुद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एसआईटी प्रमुख के पद पर राजेंद्र कुमार को पदस्थ किया है। प्रदेश के इतिहास में सभवतः ऐसा पहली बार हुआ है, जबकि एसआईटी के गठन में खुद सरकार ने दखल दिया है। प्रदेश में अब तक विभिन्न मामलों की जांच के लिए करीब 63 एसआईटी का गठन हो चुका है, लेकिन किसी भी सरकार या मुख्यमंत्री ने ऐसा सीधा दखल कभी नहीं दिया। अब इस निर्णय के बाद पुलिस के अधिकारों पर भी सवाल उठाए जाने लगे हैं।

पुलिस महानिदेशक ने जारी किए थे आदेश

हनी ट्रैप कांड की जांच के लिए डीजीपी व्हीके सिंह ने 23 सितम्बर को एसआईटी का गठन किया था। इसका जिम्मा डी. श्रीनिवास को दिया, लेकिन अगले ही दिन आदेश बदलकर संजीव शमी को पदस्थ कर दिया गया, लेकिन अब तीसरी बार एसआईटी के मुखिया को बदलकर इसकी जिम्मेदारी राजेंद्र कुमार को सौंपी गई है। एक अक्टूबर को जारी आदेश में सरकार ने पहली बार एसआईटी गठित की है। इसमें निर्देश हैं कि एसआईटी अन्य पुलिस अधिकारियों की सेवाएं भी ले सकती है, जिसमें पुलिस महानिदेशक मदद करेंगे। अहम सवाल है कि एसआईटी गठन का अधिकार खुद पुलिस के पास होता है। इसे मामले के प्रभाव क्षेत्र, जैसे थाना, जिला, अंतर जिला, जोन या प्रदेश के मुताबिक अधिकारियों द्वारा गठित की जाती है। आज तक प्रदेश में कोई भी एसआईटी सरकार ने गठित नहीं की है। इससे पहले डी श्रीनिवास और फिर बाद में संजीव शमी के नेतृत्व में गठित एसआईटी के आदेश पुलिस महानिदेशक ने जारी किए थे।

एसआईटी रिपोर्ट सरकार को भी देगी

गृह विभाग के उपसचिव डॉ. आरआर भोंसले द्वारा जारी आदेश पत्र में एसआईटी गठन के लिए पुलिस अधिनियम 1861 की धारा-2 सहपठित दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा-36 एवं 158 के प्रावधान का हवाला दिया गया है। इसमें सरकार ने पुलिस के विशेष बल के गठन के अपने अधिकार का उपयोग किया है। साथ ही 158 के तहत तय कर दिया है कि एसआईटी इसकी रिपोर्ट सरकार को भी देगी। यानी सरकार की सीधी नजर पूरी जांच पर और इसकी गति व दिशा पर होगी। ये पहली एसआईटी होगी जो पीएचक्यू के बजाय सरकार को सीधे रिपोर्ट करेगी।

क्या कहती है धारा-36

इसमें वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की शक्तियों का जिक्र है। इसके मुताबिक पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी से पंक्ति में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी जिस स्थानीय क्षेत्र में नियुक्त है, उनमें सर्वत्र, उन शक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं जिनका प्रयोग अपने थाने की सीमाओं के अंदर ऐसे अधिकारी द्वारा किया जा सकता है।

क्या कहती है धारा-158

इसमें दो बिंदुओं में बताया गया है कि रिपोर्ट कैसे दी जाएंगी। पहला बिंदु कहता है कि धारा 157 के अधीन मजिस्ट्रेट को भेजी जानी वाली प्रत्येक रिपोर्ट, यदि राज्य सरकार ऐसा निर्देश देती है, तो पुलिस के ऐसे वरिष्ठ अधिकारी के माध्यम से दी जाएगी, जिसे राज्य सरकार साधारण या विशेष आदेश द्वारा इस निमित्त नियत करे। दूसरे बिंदु में कहा गया है कि ऐसा वरिष्ठ अधिकारी पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को ऐसे अनुदेश दे सकता है, जो वह ठीक समझे और उस रिपोर्ट पर उन अनुदेशों को अभिलिखित करने के पश्चात उसे अविलंब मजिस्ट्रेट के पास भेज देगा।